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अमोल पालेकर: राजनीति से दूरी, सिनेमा और थिएटर का सफर

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जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में बेबाक बयान

जयपुर,, दिव्यराष्ट्र/ फील-गुड फिल्मों के चर्चित अभिनेता आमोल पालेकर ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में राजनीति में आने की अटकलों पर साफ कहा कि वे आलोचना करने के अपने अधिकार को बरकरार रखना चाहते हैं, इसलिए राजनीति से दूरी बनाए रखते हैं। पालेकर ने यह भी खुलासा किया कि वे अभिनेता भी नहीं बनना चाहते थे। उनका सपना एक पेंटर बनने का था और इसी रूप में मरने की ख्वाहिश रखते हैं।

बीआर चोपड़ा के खिलाफ कोर्ट केस का खुलासा*
पालेकर ने बताया कि एक फिल्म प्रोजेक्ट के दौरान उन्हें बीआर चोपड़ा के साथ 40,000 रुपये पर काम करने का मौका मिला। लेकिन कंपनी ने यह भुगतान करने से इनकार कर दिया। जब उन्होंने हक की मांग की, तो उन्हें फिल्म इंडस्ट्री से बाहर करने की धमकी मिली। मजबूर होकर उन्होंने मामला कोर्ट में ले लिया, जहां फैसला उनके पक्ष में आया। बाद में उन्होंने वह राशि चैरिटी को दान कर दी।

आधुनिक राजनीति पर टिप्पणी
आज के नेताओं पर कटाक्ष करते हुए पालेकर ने कहा कि नेता जनसेवा के लिए नहीं, बल्कि इसे प्रोफेशन मानकर राजनीति में हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में किसी सरकार या नेता की आलोचना करने पर देशद्रोही करार दिया जाता है।

थिएटर और फिल्मों में रिहर्सल का अंतर*
पालेकर ने थिएटर और फिल्मों के काम करने के तरीकों में बड़ा अंतर बताया। थिएटर में लगातार रिहर्सल से किरदार को जीने का मौका मिलता है, जबकि फिल्मों में एक सीन शूट करने के बाद उसे भूल जाना पड़ता है।

स्मिता पाटिल के साथ थप्पड़ वाला किस्सा*
एक घटना का जिक्र करते हुए पालेकर ने बताया कि एक सीन में उन्हें स्मिता पाटिल को थप्पड़ मारना था। बिना रिहर्सल के शूटिंग हुई, जिससे वह जोरदार थप्पड़ मार बैठे। यह दृश्य पर्दे पर बेहद प्रभावशाली बना। बाद में उन्होंने स्मिता से माफी मांगते हुए गले लगाया। उस दिन के बाद उन्होंने महिलाओं के प्रति सम्मान के साथ कभी ऊंची आवाज़ में बात न करने का संकल्प लिया।

बच्चों को फिल्मी दुनिया से दूर रखा
पालेकर ने बताया कि उनकी बेटियां फिल्मी दुनिया से दूर हैं। एक बेटी ऑस्ट्रेलिया में इंग्लिश की प्रोफेसर है और दूसरी स्वीट्जरलैंड में स्पोर्ट्स लॉयर है।

मध्यम वर्ग की फिल्में आज नहीं बनतीं*
रजनीगंधा और गोलमाल जैसी मध्यम वर्गीय भावनाओं को दर्शाने वाली फिल्मों पर टिप्पणी करते हुए पालेकर ने कहा कि आज का मिडिल क्लास वैसा नहीं रहा। हालांकि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ऐसे किरदार अब भी नजर आ जाते हैं।

छह दशक का थिएटर और फिल्म सफर*
आमोल पालेकर का छह दशकों का लंबा करियर रहा है। कोविड के दौरान उन्हें लेखन का समय मिला और उन्होंने छह महीने में 450 पन्नों की किताब लिखी। पिछली बार उन्होंने अपना 80वां जन्मदिन मनाया।

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