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कोलैब 2024: संस्कृतियों के संगम में भव्य तरीके से हुआ इंडो-कोरियन म्यूज़िक के लॉन्च के उत्सव का आयोजन

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मुंबई, दिव्यराष्ट्र/: इंडियन परफॉर्मिंग राइट सोसाइटी लिमिटेड (IPRS) और कोरियन म्यूज़िक कॉपीराइट एसोसिएशन (कॉमिक) को भारत-कोरियाई संगीत सहयोग कार्यक्रम, कोलैब की शानदार सफलता का जश्न मनाते हुए खुशी हो रही है। मुंबई के अंधेरी में आयोजित यह कार्यक्रम 13 नवंबर को श्रोताओं के लिए एक विशेष सत्र के साथ संपन्न हुआ। इस इंडस्ट्री की जानी-मानी हस्तियों, गणमान्य अतिथियों और उत्साह से भरे दर्शकों ने एकजुट होकर कोलैब के उभरते कलाकारों के शानदार प्रदर्शन का जश्न मनाया। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को कोलैब गीत लेखन शिविर के दौरान तैयार किए गए बेमिसाल गीतों को पहली बार सुनने का मौका मिला, और उन्होंने रचनात्मक प्रतिभा के जादू और बेजोड़ साझेदारी का सीधे तौर पर अनुभव किया। इस कार्यक्रम ने कलाकारों को उनके कुछ बेहतरीन और एक-दूसरे के सहयोग से तैयार गीतों को दर्शकों के सामने पेश करने का बेजोड़ मंच प्रदान किया, जिसमें भारतीय और कोरियाई संगीत के घटकों के शानदार तालमेल ने वहाँ मौजूद सभी दर्शकों का मन मोह लिया। यह अनुभव वाकई बेहद शानदार था, जिसने कलाकारों को अपना प्रदर्शन दिखाने और करियर में संभावित विकास की राह पर आगे बढ़ने का अवसर दिया, जिनकी संगीत रचनाओं ने श्रोताओं के रूप में उपस्थित इस इंडस्ट्री के दिग्गजों के दिल में अपनी अमिट छाप छोड़ी।

जामरुंग में स्थित विजयभूमि यूनिवर्सिटी के ट्रू स्कूल ऑफ़ म्यूज़िक में 6 से 12 नवंबर, 2024 के दौरान भारत और दक्षिण कोरिया के 19 म्यूज़िक क्रिएटर्स ने साथ मिलकर दोनों संस्कृतियों के मेल से संगीत रचनाएँ तैयार कीं। गीत लेखन, कम्पोजीशन तथा प्रोडक्शन जैसे विषयों पर गहन जानकारी देने वाले सत्रों के माध्यम से, उन्होंने भारतीय और कोरियाई प्रभावों की जुगलबंदी के साथ दिलों में नई उमंग जगाने वाला और दुनिया भर के लोगों को आकर्षित करने वाला संगीत तैयार किया। मशहूर म्यूज़िक क्रिएटर्स, बंटी बैंस और मयूर पुरी उन्होंने संगीत शिविर में क्रिएटिव डायरेक्टर की भूमिका निभाई और उन्हीं के मार्गदर्शन में भाग लेने वाले कलाकारों ने अपनी अलग-अलग सांस्कृतिक पृष्ठभूमि और बेहद खास म्यूज़िकल स्टाइल से प्रेरणा लेकर ऐसा संगीत तैयार किया, जिसमें दोनों संस्कृतियों के बीच इस अभूतपूर्व आदान-प्रदान की ऊर्जा की झलक दिखाई देती है।

इस पहल के बारे में अपनी राय जाहिर करते हुए, जाने-माने गीतकार, पटकथा लेखक, फिल्म-निर्देशक तथा आईपीएस के बोर्ड सदस्य, मयूर पुरी ने कहा, “कोलैब ने भारत और कोरिया के युवा क्रिएटर्स को सही मायने में एक-दूसरे के सहयोग के लिए मंच उपलब्ध कराया है, जिससे उन्हें अपनी भावनाओं को खुलकर जाहिर करने और सचमुच कुछ ऑरिजिनल क्रिएट करने का मौका मिला है। यह पहल व्यावसायिक बाधाओं को दूर करती है, जिससे कलाकारों को अपने खास स्टाइल और अपनी संस्कृति के मूल घटकों को सहज तरीके से साथ मिलाने में मदद मिलती है। यह देखकर हमें भी प्रेरणा मिलती है कि, किस तरह सहयोग की भावना ने भारतीय और कोरियाई संगीत की शानदार विरासत को एकजुट कर दिया है। हम भविष्य में दोनों संस्कृतियों के बीच और अधिक साझेदारियों के लिए इस मंच का विस्तार करने को लेकर बेहद उत्साहित हैं।”

कॉमिक के बोर्ड के सदस्य, किम किबेओम ने कहा, “यह शिविर कोरियाई कलाकारों के लिए एक बदलाव लेकर आया है। इससे उन्हें अपनी सामान्य रचनात्मक आदतों से अलग होने और भारतीय कलाकारों के साथ सहयोग से प्रेरित होने का अवसर मिला। भारत में म्यूज़िक के अलग-अलग स्टाइल और यहाँ की संस्कृतियों का अनुभव करने के बाद उनकी कला का दायरा काफी बढ़ गया है। इसके अलावा, दोनों देशों के कलाकारों और प्रोड्यूसर्स के बीच सहयोग से सांस्कृतिक आदान-प्रदान संभव हुआ, जो पहले संभव नहीं था। यकीनन इस अनुभव से कॉमिक के कलाकारों को व्यक्तिगत रूप से विकसित होने में मदद मिलेगी, साथ ही कोरियाई संगीत जगत में बिल्कुल नई और अभिनव रचनाओं को तैयार करने में भी इसकी अहम भूमिका होगी।”

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