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अभी भारत में निवेश क्यों करना चाहिए

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नया इन्वेस्टमेंट फ्रेंडलीनेस सूचकांक एक गेम चेंजर है

जयपुर,, दिव्यराष्ट्र/ आज के युग में जब भारत विदेशी निवेश के लिए एक प्रमुख डेस्टिनेशन के रूप में उभर रहा है, केंद्रीय बजट 2025 में इन्वेस्टमेंट फ्रेंडलीनेस सूचकांक का हाल ही में लॉन्च होना हमारे आर्थिक ढांचे में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है। राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धात्मक और कोऑपरेटिव फेडरलिज़म को बढ़ाना इस पहल का उद्देश्य है, ताकि वे घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों निवेशकों के लिए ज़्यादा से ज़्यादा आकर्षक बन सकें।

इन्वेस्टमेंट फ्रेंडलीनेस सूचकांक केवल एक रेटिंग प्रणाली नहीं है; इसे भारतीय राज्यों को उनकी निवेश क्षमता के आधार पर मूल्यांकन और रैंक करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर, यह सूचकांक राज्यों को अपने विनियामक ढाँचों का पुनर्मूल्यांकन और रिफाईन करने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे निजी निवेश के इंफ्लक्स को बढ़ावा मिलता है। एचडीएफसी सिक्योरिटीज़ जैसे वित्तीय संस्थानों के लिए, यह सूचकांक निवेश को नेविगेट करने के लिए एक महत्वपूर्ण कम्पास के रूप में काम करेगा और साथ ही आशाजनक क्षेत्रों में इनसाइट्स प्रदान करेगा।

प्रमुख पैरामीटर और उनका प्रभाव
सूचकांक प्रत्येक राज्य के निवेश माहौल का व्यापक मूल्यांकन करने के लिए व्यापार करने में आसानी, बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता, आर्थिक स्थिरता, टैक्सेशन नीतियों, श्रम बाज़ार की स्थितियों और नवाचार इकोसिस्टम जैसे महत्वपूर्ण मैट्रिक्स का उपयोग करेगा। यह निवेशकों को विश्वसनीय डेटा के आधार पर सूचित निर्णय लेने में सक्षम बनाएगा।

बढ़ी हुई पारदर्शिता और अकाउंटेबिलिटी इस सूचकांक की महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं। स्पष्ट, क्वान्टीफाएबल मैट्रिक्स का उपयोग करके, राज्यों को अपने नियामक और बुनियादी ढांचे में सुधार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे वे निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक बनेंगे। एचडीएफसी सिक्योरिटीज़ जैसी ब्रोकरेज फर्मों के लिए, इस विश्वसनीय डेटा तक पहुंच हमें अपने ग्राहकों को विभिन्न क्षेत्रों में विविध निवेश अवसरों पर बेहतर सलाह देने में सक्षम बनाएगी।

प्रासंगिक विकास*
इन्वेस्टमेंट फ्रेंडलीनेस सूचकांक के लॉन्च पर कई उल्लेखनीय पहलों को शुरू किया गया, जैसे कि एक नया अर्बन चैलेंज फंड और स्टार्टअप के लिए फंड ऑफ फंड्स। ये प्रयास निवेशक-अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को उजागर करते हैं। इसके अलावा, नेशनल मैन्युफैक्चरिंग मिशन जैसी पहल इन रणनीतिक उपायों को मज़बूत करती हैं, यह सुनिश्चित करती हैं कि सूचकांक के पैरामीटर राष्ट्रीय लक्ष्यों और अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप हों।

सूचकांक के बहुप्रतीक्षित रिलीज में बस कुछ ही महीने बचे हैं, निवेशकों को इसमें अमूल्य जानकारी मिलेगी। एचडीएफसी सिक्योरिटीज़ की ऑनलाइन ट्रेडिंग सेवाओं जैसे प्लेटफॉर्म भारतीय बाज़ारों तक सहज पहुंच प्रदान करते हैं, जिससे इस पहल से उत्पन्न होने वाले अवसरों को बढ़ावा मिलता है।

वृद्धि के लिए तैयार क्षेत्र
भारत की विविधतापूर्ण अर्थव्यवस्था में कई क्षेत्र हैं जो बेहतर निवेश अनुकूलता से लाभान्वित होने के लिए तैयार हैं। सूचना प्रौद्योगिकी, फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोटिव और नवीकरणीय ऊर्जा विशेष रूप से आशाजनक क्षेत्र हैं, जिन्हें मेक इन इंडिया अभियान और उदार विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीतियों जैसी पहलों से बढ़ावा मिला है। जीएसटी के कार्यान्वयन ने कर अनुपालन को और अधिक सुव्यवस्थित किया है, जिससे अधिक पारदर्शी कारोबारी माहौल को बढ़ावा मिला है।

विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईज़ेड) कर प्रोत्साहन और समर्पित बुनियादी ढांचे को प्रस्तुत करके विदेशी निवेश को आकर्षित करना जारी रखते हैं। एचडीएफसी सिक्योरिटीज़ म्यूचुअल फंड और पोर्टफोलियो प्रबंधन सहित निवेश उत्पादों और सेवाओं की एक व्यापक श्रृंखला के ज़रिए निवेशकों की सहायता करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

चुनौतियां और आगे की राह
जबकि इन्वेस्टमेंट फ्रेंडलीनेस सूचकांक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है, यह चुनौतियों का भी सामना करता है। राज्यों में सटीक और सुसंगत डेटा सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है और इसके लिए मज़बूत कलेक्शन विधियों और पारदर्शी मूल्यांकन तकनीकों की आवश्यकता है। इसके अलावा, सूचकांक के निष्कर्षों के आधार पर सुधारों को अपनाने के लिए राज्यों को प्रेरित करने के लिए रणनीतिक प्रोत्साहन और क्षमता निर्माण समर्थन की आवश्यकता होगी।

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