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अहंकार से भाग्य भी तिरस्कार करता है-आचार्य गुप्तिनंदी

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जयपुर , दिव्यराष्ट्र/महावीर खंडेलवाल दिगंबर जैन मंदिर आडूल में पहली बार श्री प्राप्ति लक्ष्मी रक्षक रोट तीज व्रत विधान का महा आयोजन किया गया।जिसमें समाज के सभी वर्गों ने बडे उत्साह से भाग लिया।आचार्य गुप्तिनंदी गुरुदेव द्वारा रचित इस विधान में त्रिकाल चौबीसी के बहत्तर लक्ष्मीपति तीर्थंकरों को ल बहत्तर अर्घ व महाअर्घ अर्पित किये गये ।आचार्य गुप्तिनंदी , आर्यिका आस्थाश्री माताजी की मधुर स्वर लहरियों
द्वारा संगीतमय महार्चना की गई।इस अवसर पर अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने रोटतीज व्रत संपन्न किया।आचार्य गुप्तिनंदी ने त्रिलोक तीज व्रत का महत्व बताते हुए कहा कि यह एक दिन का व्रत हर किसी संसारी के लिए महत्त्वपूर्ण है।उन्होंने रोटतीज व्रत कथा का सार समझाते हुए कहा कि जिस सेठ के यहाँ पहले छप्पन करोड़ स्वर्ण मुद्राओं को दिखाने वाली छप्पन ध्वजायें फहराती थीं।देश विदेश में सर्वत्र जिसका बडा व्यापार था। जिसके भंडार खजाने अनेक बहुमूल्य रत्न, हीरे, मोती, जवाहरात से सदा भरे रहते थे । उसके परिवार ने धन के घमंड में मदहोश होकर रोटतीज व्रत का उपहास किया। उसे भूखे गरीबों का व्रत बताया। उनकी हँसी में सेठानी ने लिया हुआ व्रत छोड़ दिया। व्रत को छोडने के कारण और रोटी का व गरीबी का उपहास करने के कारण वे सब कुछ ही दिनों में कंगाल, फटेहाल हो गए। दीवालिया होने से दर-दर के भिखारी हो गए।रोटी का अपमान करने से एक-एक रोटी के टुकड़े के लिए तरसने लगे।आचार्य श्री ने कहा कि हमें कभी भी गरीब या गरीबी का तिरस्कार नहीं करना चाहिए।रोटी का महत्त्व बताते हुए उन्होंने रोटी शीर्षक से स्वरचित कविता का ओजस्वी पाठ करते हुए कहा- *यूँ तो सामान्य सी होती है रोटी। पर बहुत ही विशेष होती है रोटी।दिखने में बहुत छोटी होती है रोटी।पर काम बहुत बडे कर देती है रोटी।(1)।किसी को पेट भरने के लिए दौडाती है रोटी, किसी को पचाने के लिए दौडाती है रोटी।भूख की दवाई होती है रोटी, गरीबों की मिठाई होती है रोटी।2।अहम् का वहम मिटाती है रोटी, इंसान की औकात दिखाती है रोटी, जीवन के संबंध निभाती है रोटी, बडी-बडी क्रांति कर जाती है रोटी।3।मुनियों से मुनिधर्म पलवाती है रोटी, श्रावक से दानधर्म करवाती है रोटी।दोनों से षट्कर्म कराती है रोटी, जीवन का मर्म सिखाती है रोटी4।।व्रत की महिमा दिखाती है रोटी, भूले को राह बताती है रोटी।अमीरी का घमंड मिटाती है रोटी,
गरीबों का साथ निभाती है रोटी5।बडी किस्मत से नसीब होती है रोटी ,सच्चे मन के करीब होती है रोटी। धर्म राह बताती है दुनिया में वाह वाह कराती है रोटी ।6।दर-दर की ठोकर खाने के बाद जब उन्हें अपनी भूल का पश्चाताप होता है और वे सभी सोलह प्राणी पूरी श्रद्धा से रोट तीज व्रत का पालन करते हैं तो रूठी हुई लक्ष्मी पुनः लौट आती है।उनके जीवन में फिर से खुशी की बहार आ जाती है और अंत में सभी को व्रत के फल से क्रम से निर्वाण सुख की प्राप्ति होती है।

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