जयपुर, दिव्यराष्ट्र/ वाराणसी के होटल इवारा इन में कविताम्बरा तथा विश्व हिंदी शोध संवर्धन अकादमी के तत्वावधान में आयोजित शब्द सारथी डॉ के.के.प्रजापति पर केंद्रित कविताम्बरा विशेषांक के लोकार्पण समारोह के अवसर पर कवि-गीतकार डॉ संजय पंकज को ‘ कविताम्बरा साहित्य श्री सारस्वत सम्मान’ से अलंकृत किया गया। सम्मान स्वरूप प्रशस्ति पत्र, सम्मान पत्र, स्मृति चिन्ह, पुष्पमाल्य , चादर और पुस्तकें भेंट की गईं। बीएचयू हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ वशिष्ठ अनूप, डॉ दयानिधि मिश्र, केशव जालान भाईजी, भोलानाथ त्रिपाठी विह्वल, डॉ कृष्ण कुमार प्रजापति, जय चक्रवर्ती, अनिरुद्ध सिन्हा, डॉ दशरथ प्रजापति, डॉ अजय प्रजापति, डॉ सविता सौरभ तथा अन्य गणमान्य साहित्यकारों की उपस्थिति में डॉ संजय पंकज के रचनात्मक व्यक्तित्व पर बोलते हुए आलोचक डॉ राम सुधार सिंह ने कहा कि “साहित्य की लगभग सारी विधाओं में डॉ पंकज गंभीरता से निरंतर लिख रहे हैं। इनके गीत छंद की कसौटी, भाषा के संतुलन और शिल्प के सौंदर्य पर सधे हुए होने के कारण सम्मोहक और प्रभावशाली होते हैं। हिंदी गीत कविता के शिखर पुरुष आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री का स्नेह सानिध्य इन्हें मिलता रहा। इन्होंने जानकीवल्लभ शास्त्री संचयिता का कुशल संयोजन और संपादन किया है। मानवीय मूल्य, भारतीय संस्कृति और सघन संवेदना के कवि संजय पंकज एक कुशल वक्ता और सामाजिक सरोकार के भाव-वैभव से संपन्न व्यक्तित्व हैं।” अकादमी के संस्थापक निदेशक कविताम्बरा के संपादक वरिष्ठ साहित्यकार हीरालाल मिश्र मधुकर ने कहा कि ‘ संजय पंकज के लेखन की आज सर्वत्र चर्चा हो रही है। भाव और भाषा से संपन्न एक गीतकार के रूप में जहां ये समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा को अधुनातन शिल्प में कुशलता से अभिव्यक्त करते हैं वहीं ललित निबंधकार और आलोचक के रूप में भारतीयता तथा विश्वबंधुत्व को प्रखर वैचारिकता के आलोक में उजागर करते हैं। साहित्य के प्रति इनका समर्पण प्रेरक है। सहजता, सादगी और संवेदना के उत्कर्ष कवि पंकज युवाओं को आगे बढ़ाने में निरंतर सहयोग करते हैं। पूरे देश के साथ ही काशी के लिए भी इनका रचनात्मक और सम्मोहक व्यक्तित्व बड़ा प्रिय तथा आत्मीय है। ” डॉ संजय पंकज ने अपने भावोद्गार में कहा कि – “काशी की पवित्र धरती पर यह स्नेह-आशीर्वाद जो मुझे मिला है इसे मैं बाबा विश्वनाथ के प्रसाद और भारतीय साहित्य के सरोकार के सम्मान के रूप में मानता और स्वीकारता हूं। मेरे शब्दकर्म के प्रति जो आस्था साहित्यिक सांस्कृतिक पत्रिका कविताम्बरा ने व्यक्त की है उसे मैं पूरी निष्ठा से जीवन-संजीवनी की तरह आत्मसात करता हूं। डॉ कृष्ण कुमार प्रजापति देश के जाने-माने गजलकार, कवि और कथाकार हैं। इनका रचनात्मक व्यक्तित्व बड़ा है। इनका रचना संसार समय से साक्षात्कार कराता हुआ अभिभूत करता है। कविताम्बरा का विशेषांक पठनीय और अनुकरणीय है।” विदित हो कि यवनिका उठने तक, मंजर मंजर आग लगी है, यहां तो सब बंजारे, मां है शब्दातीत, शब्द नहीं मां चेतना, सोच सकते हो, समय बोलता है, मौसम लेता अंगड़ाई, शब्दों के फूल खिले, बजे शून्य में अनहद बाजा, बिहार की लोककथाएं – जैसी कृतियों के यशस्वी रचनाकार संजय पंकज को राष्ट्रीय स्तर पर कई सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हैं। सम्मानित होने पर डॉ महेंद्र मधुकर, डॉ इंदु सिन्हा, डॉ शारदाचरण, डॉ रामप्रवेश सिंह, डॉ रवींद्र उपाध्याय, डॉ निर्मला सिंह, डॉ पूनम सिन्हा, ब्रजभूषण मिश्र, कुमार विरल, विजय शंकर मिश्र, पुष्पा प्रसाद, वंदना विजय लक्ष्मी, विकास नारायण उपाध्याय, डॉ वीरेंद्र किशोर, समाजसेवी एच एल गुप्ता, मधुमंगल ठाकुर, ब्रजभूषण शर्मा, डॉ रामजी प्रसाद, डॉ एच एन भारद्वाज, अविनाश तिरंगा उर्फ ऑक्सीजन बाबा, डॉ यशवंत, सुधीर कुमार आदि ने प्रसन्नता व्यक्त की और डॉ पंकज को बधाइयां दीं।