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इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के लिए स्थायी और प्रभावी समाधान है पीएई ट्रीटमेंट

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दुनियाभर में लाखों लोगों में पायी जाती है इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या।
इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी की पीएई तकनीक है समस्या का स्थायी समाधान।
पारंपरिक सर्जरी के मुकाबले सुरक्षित और क्वीक रिकवरी वाला ट्रीटमेंट है पीएई।

जयपुर, दिव्यराष्ट्र): इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (ईडी) यानी यौन संबंध बनाने के लिए पर्याप्त समय तक इरेक्शन प्राप्त करने या बनाए रखने में असमर्थता से दुनियाभर के लाखों पुरुष परेशान हैं। यह न केवल उन पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालते हैं, अपितु रिश्तों को भी प्रभावित करते हैं। हालांकि अब यह कोई बीमारी नहीं है। इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी द्वारा सरल और सफल ट्रीटमेंट से इस क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आए हैं। इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी एक अत्यधिक आशाजनक उपचार है। यह विशेष रूप से उन मरीजों के लिए है जो पारंपरिक सर्जरी के जोखिमों से बचना चाहते हैं। यह एडवांस तकनीक न केवल न्यूनतम इनवेसिव और अत्यधिक प्रभावी समाधान दे रही है, रिकवरी के समय को काफी कम कर देती है। इस ट्रीटमेंट से 100 फीसदी कारगर और सफल उपचार का दावा किया जाता है।

एमआईएस तकनीक पर बेस्ड है इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी

डॉ. निखिल बंसल ने बताया कि इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी की एडवांस मिनिमली इनवेसिव सर्जरी (एमआईएस) द्वारा इरेक्टाइल डिस्फंक्शन जैसी गंभीर बीमारियों का उपचार संभव है। पारंपरिक सर्जिकल प्रक्रिया थोड़ी जटिल हो सकती है और उसकी रिकवरी की अवधि भी लंबी होने की संभावना है। खर्च भी अधिक है, जबकि इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी एडवांस टेक्नोलॉजी पर बेस्ड एक ट्रीटमेंट है जिसमें खर्च, रिकवरी और अन्य प्रसाधनों को कम करके बीमारी का जड़ से निदान करना संभव है।

पीएई द्वारा किया जाता है सफल उपचार:

डॉ. निखिल बंसल के अनुसार प्रोस्टेटिक आर्टरी एम्बोलिजेशन (पीएई) एक एडवांस उपचार प्रक्रिया है, जो विशेष रूप से बढ़े हुए प्रोस्टेट (बेंजीन प्रोटेस्टिक हाइपरप्लासिया (बीपीएच) के इलाज के लिए प्रयोग की जाती है। इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट द्वारा प्रोस्टेट को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों का सटीक एम्बोलिजेशन किया जाता है। प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना आम तौर पर 50 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों में पाया जाता है। इस वृद्धि का मुख्य कारण उम्र बढ़ने के साथ पुरुष हार्मोन में होने वाले बदलाव हैं।

पीएई प्रक्रिया के चरण

एंट्री पॉइंट का निर्धारण: आमतौर पर, प्रक्रिया में फेमोरल या रेडियल आर्टरी के माध्यम से एक छोटे कैथेटर को डाला जाता है।

धमनी की पहचान*: कैथेटर को प्रोस्टेट को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों तक निर्देशित किया जाता है।
एम्बोलिजिंग एजेंट का प्रयोग: माइक्रोपार्टिकल्स या छोटे कॉइल्स का उपयोग करके, प्रोस्टेट की रक्त आपूर्ति को आंशिक रूप से अवरुद्ध किया जाता है, जिससे प्रोस्टेट के आकार में कमी आती है।

पीएई ट्रीटमेंट के लाभ:

न्यूनतम इनवेसिव: पारंपरिक सर्जरी की तुलना में यह प्रक्रिया कम आक्रामक और सरल है। यह सर्जरी बेहद छोटे चीरे के माध्यम से की जाती हैं जो आकार में केवल कुछ मिलीमीटर ही होता है।

कम दर्द और रिकवरी समय* मरीजों को कम दर्द और जल्दी रिकवरी का अनुभव होता है। अधिकांश मरीज कुछ ही दिनों के बाद अपनी सामान्य गतिविधियां शुरू कर सकते हैं। रेगुलर सर्जरी में यह पीरियड कुछ हफ्तों और महीनों का हो सकता है।

एनेस्थीसिया*: उपचार में आमतौर पर केवल लोकल एनेस्थीसिया की आवश्यकता होती है, जिससे सामान्य एनेस्थीसिया से जुड़े जोखिम कम हो जाते हैं।

ईडी में सुधार* प्रोस्टेट के आकार में कमी और रक्त प्रवाह में सुधार होने के कारण इरेक्टाइल डिस्फंक्शन में भी सुधार होता है।

जटिलताओं का कम जोखिम: इमेजिंग-निर्देशित प्रक्रियाओं की सटीकता आसपास के ऊतकों को होने वाले नुकसान को कम करती है, जिससे जटिलताओं का खतरा कम हो जाता है।

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