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भरोसेमंद विद्युत आपूर्ति की कमी बन रही राजस्थान के विकास में रूकावटः डी डी अग्रवाल

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दिव्यराष्ट्र, जयपुर: भारत विश्वस्तरीय मंच पर प्रगति और संभावनाओं का प्रतीक है, जो 2047 तक विकसित देश बनने की दिशा में अग्रसर है। हालांकि जैसे-जैसे देश इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, कुछ चुनौतियां देश की प्रगति में बाधा उत्पन्न कर रही हैं। इनमें से सबसे जटिल चुनौती है, भरोसेमंद एवं प्रभावी विद्युत आपूर्ति की कमी, जो ओद्यौगिकीकरण एवं शहरीकरण के चलते उर्जा की तेज़ी से बढ़ती मांग के बीच स्थायी सामाजिक आर्थिक विकास के लिए बेहद ज़रूरी है।

हाल ही में जारी एक रिपोर्ट ‘‘राजस्थान में विद्युत आपूर्ति की उपलब्धता और गुणवत्ता को समझना‘‘ राज्य में ग्रामीण एवं शहरी विद्युत आपूर्ति के बीच की असमानता पर रोशनी डालती है। जहां शहरी क्षेत्रों में रोज़ाना 0-6 घण्टे पावर कट रहता है, वहीं ग्रामीण इलाकों को 8-12 घण्टे बिजली की कटौती से जूझना पड़ता है। 30 फीसदी ग्रामीण परिवारों को तो हर दिन 12 घण्टे से भी कम समय के लिए बिजली मिलती है। यह रिपोर्ट इस बात को दर्शाती है कि भरोसमंद बिजली न मिलने से किस तरह लोगों के रोज़मर्रा के जीवन और आर्थिक विकास पर असर पड़ता है। खासतौर पर एमएसएमई, कृषि, शिक्षा और हेल्थकेयर जैसे क्षेत्र इसकी वजह से प्रभावित होते हैं।

“भरोसेमंद विद्युत सिर्फ एक ज़रूरत नहीं; यह सामाजिक आर्थिक विकास के लिए बुनियादी आवश्यकता है।“ श्री डी.डी. अग्रवाल, डायरेक्टर, समता पावर ने कहा। ‘‘राजस्थान के शहरी और ग्रामीण इलाकों में बिजली की उपलब्धता में असमानता के चलते सामाजिक-आर्थिक अंतराल बढ़ रहा है, और विद्युत की भरोसेमंद आपूर्ति को सुनिश्चित करके ही इस अंतर को दूर किया जा सकता है,“

राजस्थान में विद्युत के इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार लाने के लिए राज्य सरकार द्वारा किए गए सराहनीय प्रयासों के बावजूद चुनौतियां ज्यों कि त्यों बनी हुई हैं। अप्रैल से सितम्बर 2023 के बीच 10,000 से अधिक ऐसे ट्रांसफॉर्मर्स को बदला गया जो जल चुके थे या खराब हो गए थे। इसके बावजूद जब गर्मी का मौसम अपने चरम पर होता है, उस समय ट्रांसफॉर्मर खराब होने की घटनाएं बहुत अधिक बढ़ जाती हैं, जिसके चलते ओद्यौगिक, नगरपालिका एवं ग्रामीण क्षेत्रों को पावर कट के संकट से जूझना पड़ता है। विद्युत की आपूर्ति में भरोसेमंद न होने से लोगों, खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों की आजीविका और व्यवसाय पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

“प्राइवेट सेक्टर ने बड़े पैमाने के सोलर पावर प्लांट्स विकसित करने की दिशा में प्रयास किए हैं, लेकिन फिर भी नवीकरणीय उर्जा उत्पादन में आने वाली रूकावटें चिंता का विषय बनी हुई हैं। हमें ऐसी मजबूत और आत्मनिर्भर विद्युत वितरण प्रणाली की आवश्यकता है जिसके द्वारा नवीकरणीय उर्जा को आसानी से ग्रिड के साथ जोड़ा जा सके,” श्री अग्रवाल ने कहा।

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