जयपुर,, दिव्यराष्ट्र/ फिक्की फ्लो जयपुर चैप्टर (2024-25) की अध्यक्ष रघुश्री पोद्दार के प्रेरणादायक नेतृत्व में 30 उत्साही फ्लो महिलाओं के एक समूह ने 3 फरवरी से 5 फरवरी 2025 तक तीन दिवसीय सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं विरासत यात्रा के अंतर्गत बनारस की ऐतिहासिक, धार्मिक और वस्त्र परंपरा से जुड़े महत्वपूर्ण स्थलों का अनुभव किया। इस विशेष यात्रा का उद्देश्य सदस्यों को भारत की आध्यात्मिक समृद्धि और पारंपरिक कारीगरी से परिचित कराना था, जिससे वे इस पवित्र नगरी की गहराई को आत्मसात कर सकें।
आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव: बनारस की अनूठी विरासत
विश्व के सबसे प्राचीन नगरों में से एक, बनारस ने फिक्की फ्लो जयपुर की सदस्यों का अपनी अलौकिक आभा और आध्यात्मिक ऊर्जा से स्वागत किया। इस यात्रा की शुरुआत भव्य गंगा आरती से हुई, जहां मंत्रों के उच्चारण, प्रवाहित दीपों और दिव्य वातावरण ने सभी को भाव-विभोर कर दिया।
सदस्यों ने काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक के दर्शन किए, जो उनके लिए श्रद्धा और आस्था का विशेष क्षण रहा। साथ ही, काल भैरव मंदिर की यात्रा भी इस यात्रा का अहम हिस्सा रही, जहां श्रद्धालु सुरक्षा एवं आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं।
बनारसी बुनकरों का सम्मान: हस्तकला की विरासत
बनारस अपनी आध्यात्मिकता के साथ-साथ अपनी उत्कृष्ट कारीगरी के लिए भी प्रसिद्ध है। यात्रा के दौरान सदस्यों ने पारंपरिक बनारसी वस्त्र उद्योग को करीब से देखा और बुनकरों से मुलाकात की, जो पीढ़ियों से रेशम बुनाई की समृद्ध कला को संरक्षित कर रहे हैं।
हेरिटेज एवं हैंडलूम वॉक के दौरान सदस्यों ने संकरी गलियों में घूमते हुए बनारसी साड़ियों के निर्माण की प्रक्रिया को देखा, जिसमें महीन कढ़ाई, जटिल डिज़ाइन और परंपरागत बुनाई की अनूठी शैली शामिल थी। बुनकरों की मेहनत और लगन ने सभी को प्रभावित किया, जिससे यह अनुभव और भी सार्थक बन गया।
बनारसी व्यंजनों का स्वाद
बनारस की यात्रा यहां के पारंपरिक व्यंजनों के बिना अधूरी है। फ्लो सदस्यों ने प्रसिद्ध कचौड़ी गली में स्वादिष्ट कचौड़ियों और जलेबियों का आनंद लिया, साथ ही बनारसी पान का भी स्वाद चखा। यह पाक अनुभव बनारस की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा से जुड़ने का एक और अनूठा अवसर बना।
प्रयागराज में आध्यात्मिक यात्रा का विस्तार
यात्रा के 14 सदस्यों ने अपनी आध्यात्मिक यात्रा को और आगे बढ़ाते हुए 6 फरवरी तक प्रयागराज में प्रवास किया। यहां उन्होंने त्रिवेणी संगम पर स्नान किया, जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम होता है। इस पावन स्थल पर जाकर सदस्यों को भारत की आध्यात्मिक भव्यता का दिव्य अनुभव प्राप्त हुआ।
एक अविस्मरणीय यात्रा
इस अनूठी यात्रा के अनुभव को साझा करते हुए फिक्की फ्लो जयपुर चैप्टर की अध्यक्ष रघुश्री पोद्दार ने कहा,
“बनारस केवल एक शहर नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत उदाहरण है। यह यात्रा न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध थी, बल्कि पारंपरिक हस्तशिल्पियों के समर्थन और हमारे सांस्कृतिक मूल्यों की गहरी समझ को भी बढ़ाने वाली रही। इस यात्रा का नेतृत्व करना मेरे लिए गर्व और सम्मान की बात थी।
फिक्की फ्लो जयपुर चैप्टर की यह पहल महिलाओं को सांस्कृतिक अनुभवों के माध्यम से सशक्त बनाने, हेरिटेज पर्यटन को बढ़ावा देने और स्थानीय कारीगरों का समर्थन करने के प्रति निरंतर प्रतिबद्ध है, जिससे प्राचीन परंपराएं आधुनिक युग में भी जीवंत बनी रहें।