दिव्यराष्ट्र, नई दिल्ली: ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री सुरेश अग्रवाल ने केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में बजट 2024-25 को लागू करने से पूर्व सुझाव एवं प्रस्तावों पर विचार विमर्श के लिये आयोजित बैठक में आयकर की दरें घटाकर 20 प्रतिशत करने का सुझाव दिया है। वर्तमान में भारत में आयकर की दर 30% + शिक्षा उपकर + सरचार्ज सहित बहुत अधिक है, जिससे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) आयकर दाताओं पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है. इसे कम करके 20% किया जाना चाहिए ।
इसका कारण यह है कि देश में आयकर के अतिरिक्त भी सभी राज्यों में अनेक प्रकार के कर लगे हुए है, जैसे जीएसटी (जीएसटी में सभी प्रकार के व्यापार में जीएसटी की दरे अलग अलग है), प्रोफेशनल टैक्स, स्थानीय नगर निगम नगर परिषद के संपत्ति कर, चुंगी कर, पेट्रोल-डीजल पर जीएसटी, कृषि उपज पर मंडी शुल्क और प्रॉपर्टी खरीदने पर स्टाम्प ड्यूटी सहित विभिन्न प्रकार के टैक्स का वहन व्यापारियों को करना पड़ता है, अतः आयकर की दरों में कमी की जावे ।
इसके अतिरिक्त देश के राष्ट्रीयकृत बैंक, प्राइवेट बैंक एवं को-आपरेटिव बैंको में ब्याज दरों में भी कमी करने की आवश्यकता है, सभी बैंको मे व्याज की दर मे विशेष रूप से निर्धारित होना चाहिए। देश की दाल इंडस्ट्रीज, अन्य उद्योगों और व्यापारियों के विभिन्न खाते जैसे केश क्रेडिट लिमिट खाता (CC LIMIT), बुक डेब्ट्स खाता लिमिट खाता, टर्म लोन लिमिट खाता एवं अन्य लोन खाते विभिन्न बैंको में रहते है, जिस पर ब्याज की दरे उच्चतम स्तर की है. व्याज दर कम करके 6% किए जाने का अनुरोध है। साथ ही बैंक द्वारा विभिन्न प्रकार के शुल्क भी खातों में लगाए जाते है, उन्हें भी कम किया जाना चाहिए ।
बैंको की ब्याज दरे अधिक होने से इसका अतिरिक्त भार भी उद्योगों और व्यापारियों पर पड़ रहा है और खर्च बढ़ता जा रहा है। ब्याज महत्वपूर्ण नहीं होता, बल्कि उद्योग चलेंगे तो देश मे रोजगार के अवसर पैदा होंगे, साथ ही सरकार को भी राजस्व मिल सकेगा ।
दाल इंडस्ट्रीज दालों को क्लीन करने के लिए विदेशों से जो कलर सॉरटेक्स मशीन खरीदती है, जिसका उपयोग आम उपभोक्ताओ को बेस्ट क्वालिटी की दाले उपलब्ध कराने के लिए किया जाता है। आयातित कलर सॉरटेक्स मशीनो पर इम्पोर्ट ड्यूटी समाप्त करने का अनुरोध है।
जीएसटी लागू करते वक्त सरकार ने “एक देश एक टैक्स” का कहा था, जीएसटी प्रारंभ होने के बाद स्पष्ट था कि मंडी शुल्क व अन्य टैक्स समाप्त कर दिए जाएंगे, किन्तु आज भी देश के अनेक राज्यों में मंडी शुल्क अलग-अलग दर से वसूला जा रहा है। अतः अनुरोध है की मंडी शुल्क की दरे सम्पूर्ण देश में एक समान 0.50 पैसा प्रति सेकड़ा किया जाना चाहिए ।