केंद्र में 1,000 से ज़्यादा लोगों के साफ-सुथरे शौचालय, जलपान कक्ष, स्तनपान कक्ष और मुलाकात कक्षों कि व्यवस्था
येरवडा, दिव्यराष्ट्र/: सायबेज सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड की सीएसआर शाखा, सायबेज फाउंडेशन ने आज पुणे की ऐतिहासिक येरवडा मध्यवर्ती कारागृह में रखे कैदियों से मिलने आने वाले ऊनके परिवारोंजनो की सुविधा के लिए हाल ही में बनाए गए प्रतीक्षालय का उद्घाटन किया, जिसमें लोगों के आराम के लिए तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं। सायबेज की सोच पर आधारित है कि हर इंसान सम्मान का हकदार है, खासकर जो लोग जेल के बाहर रहकर अपनों के कैद में होने की मानसिक पीड़ा को सह रहे हैं। नागरिको के लिए बनाया गया ये केंद्र बहुत बड़े बदलाव को दर्शाता है कि समाज उन गुमनाम लोगों के साथ कैसा व्यवहार कर सकता है, जो कुछ बोले बिना या अपनी पहचान बताए बिना हर गम को बर्दाश्त करते हैं। छोटे बच्चों को गोद में लिए माताओं से लेकर लंबा सफर तय करके यहां पहुंचने वाले बुजुर्ग माता-पिता तक, इन परिवारों के लिए अब सुरक्षित, साफ-सुथरा और सम्मानजनक आसरा उपलब्ध है, जो उनकी भावनात्मक और शारीरिक तकलीफों का सम्मान करता है।
सुश्री रितु नथानी, बोर्ड डायरेक्टर, सायबेज फाउंडेशन प्रमुख, सायबेज सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड ने कहा,”ये सिर्फ़ ईंट और सीमंट से बनी इमारत नहीं है; बल्कि ये एक ऐसी जगह है, जिसे हमदर्दी की भावना और कुछ भी कहे बिना पीड़ा सहने की गहरी समझ के साथ बनाया गया है। हर दिन दूरदराज के गांवों से कई परिवार सलाखों के पीछे अपने प्रियजनों से मिलने के लिए लंबा सफर तय करके यहां आते हैं, और यह यात्रा मानसिक रूप से थका देने वाली होती है। सालों से, उन्होंने खुले आसमान के नीचे, धूप, बारिश और लोगों की आलोचना सहते हुए अपनों से मिलने के लिए इंतजार किया है। इस पहल के ज़रिये हम बस यही संदेश देना चाहते थे कि: ‘आपकी भी पहचान है, आपका भी महत्व है, और आप सम्मान पाने के हकदार हैं।’ सायबेज फाउंडेशन में हमने हमेशा यही कोशिश की है कि, सीएसआर के लिए हमारे प्रयास वास्तविक हों, आकलन योग्य हों और लोगों के दिलों में अपनी जगह बना सकें। इस परियोजना में हमारे उसी विश्वास की झलक दिखाई देती है, जो हमारे बीच बिना शोरगुल के मौजूद उन कमियों को दूर करने के लिए है, जिन पर अधिकतर लोगों का ध्यान भी नहीं जाता।”
आगंतुकों के लिए बनाए गए इस केंद्र में 1,000 से ज़्यादा लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है, जहां साफ-सुथरे शौचालय, पीने के पानी की व्यवस्था, एक जलपान केंद्र, माताओं के लिए एक स्तनपान कक्ष और मुलाकात कक्षों तक जाने के लिए एक छायादार रास्ता शामिल है। इस नए केंद्र में एक कानूनी परामर्श कक्ष तथा आगंतुकों की आवाजाही को अच्छी तरह व्यवस्थित करने के लिए पंजीकरण कक्ष भी मौजूद है। सायबेज फाउंडेशन ने अपने सीएसआर कार्यक्रम के तहत, जेल के अधिकारियों और स्थानीय सरकारी विभागों के साथ मिलकर काम करते हुए इस परियोजना की शुरुआत से लेकर अंत तक सभी कार्यों का नेतृत्व किया है।
सुनील ढमाल, कारागृह -अधीक्षक, येरवडा मध्यवर्ती कारागृह, पुणे ने इस पहल का स्वागत किया है और इसे ऐतिहासिक सहयोग बताया है। उन्होंने कहा,”अक्सर यहां आने वाले परिवार जज्बाती तौर पर बेहद दुखी होते हैं, लेकिन उनका गम किसी को दिखाई नहीं देता। हालांकि इस केंद्र की बनावट संरचना काफी सामान्य है, लेकिन यह उन्हें कुछ पल के लिए सुकून भरा अनुभव प्रदान करने में काफी मददगार साबित होगी। हम लोगों के प्रति हमदर्दी की भावना के साथ किए गए इस नेक कार्य के लिए सायबेज फाउंडेशन को धन्यवाद देते हैं।”
ऐतिहासिक और पारंपरिक महत्व वाली येरवडा सेंट्रल जेल, अब एक ऐसे परियोजना का केंद्र बन गया है जो मानवीय अवसंरचना के भविष्य का प्रतीक है। इस प्रतीक्षालय से हर साल लगभग 3.5 लाख आगंतुकों को अच्छी सुविधा मिलने की उम्मीद है, जो इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि दूसरों के प्रति हमदर्दी और कार्रवाई का मेल होने पर क्या होता है।
सायबेज सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड की सीएसआर शाखा, सायबेज फाउंडेशन ने आज पुणे की ऐतिहासिक येरवडा मध्यवर्ती कारागृह में रखे कैदियों से मिलने आने वाले ऊनके परिवारोंजनो की सुविधा के लिए हाल ही में बनाए गए प्रतीक्षालय का उद्घाटन किया, जिसमें लोगों के आराम के लिए तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं। सायबेज की सोच पर आधारित है कि हर इंसान सम्मान का हकदार है, खासकर जो लोग जेल के बाहर रहकर अपनों के कैद में होने की मानसिक पीड़ा को सह रहे हैं। नागरिको के लिए बनाया गया ये केंद्र बहुत बड़े बदलाव को दर्शाता है कि समाज उन गुमनाम लोगों के साथ कैसा व्यवहार कर सकता है, जो कुछ बोले बिना या अपनी पहचान बताए बिना हर गम को बर्दाश्त करते हैं। छोटे बच्चों को गोद में लिए माताओं से लेकर लंबा सफर तय करके यहां पहुंचने वाले बुजुर्ग माता-पिता तक, इन परिवारों के लिए अब सुरक्षित, साफ-सुथरा और सम्मानजनक आसरा उपलब्ध है, जो उनकी भावनात्मक और शारीरिक तकलीफों का सम्मान करता है।
सुश्री रितु नथानी, बोर्ड डायरेक्टर, सायबेज फाउंडेशन प्रमुख, सायबेज सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड ने कहा,”ये सिर्फ़ ईंट और सीमंट से बनी इमारत नहीं है; बल्कि ये एक ऐसी जगह है, जिसे हमदर्दी की भावना और कुछ भी कहे बिना पीड़ा सहने की गहरी समझ के साथ बनाया गया है। हर दिन दूरदराज के गांवों से कई परिवार सलाखों के पीछे अपने प्रियजनों से मिलने के लिए लंबा सफर तय करके यहां आते हैं, और यह यात्रा मानसिक रूप से थका देने वाली होती है। सालों से, उन्होंने खुले आसमान के नीचे, धूप, बारिश और लोगों की आलोचना सहते हुए अपनों से मिलने के लिए इंतजार किया है। इस पहल के ज़रिये हम बस यही संदेश देना चाहते थे कि: ‘आपकी भी पहचान है, आपका भी महत्व है, और आप सम्मान पाने के हकदार हैं।’ सायबेज फाउंडेशन में हमने हमेशा यही कोशिश की है कि, सीएसआर के लिए हमारे प्रयास वास्तविक हों, आकलन योग्य हों और लोगों के दिलों में अपनी जगह बना सकें। इस परियोजना में हमारे उसी विश्वास की झलक दिखाई देती है, जो हमारे बीच बिना शोरगुल के मौजूद उन कमियों को दूर करने के लिए है, जिन पर अधिकतर लोगों का ध्यान भी नहीं जाता।”
आगंतुकों के लिए बनाए गए इस केंद्र में 1,000 से ज़्यादा लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है, जहां साफ-सुथरे शौचालय, पीने के पानी की व्यवस्था, एक जलपान केंद्र, माताओं के लिए एक स्तनपान कक्ष और मुलाकात कक्षों तक जाने के लिए एक छायादार रास्ता शामिल है। इस नए केंद्र में एक कानूनी परामर्श कक्ष तथा आगंतुकों की आवाजाही को अच्छी तरह व्यवस्थित करने के लिए पंजीकरण कक्ष भी मौजूद है। सायबेज फाउंडेशन ने अपने सीएसआर कार्यक्रम के तहत, जेल के अधिकारियों और स्थानीय सरकारी विभागों के साथ मिलकर काम करते हुए इस परियोजना की शुरुआत से लेकर अंत तक सभी कार्यों का नेतृत्व किया है।
सुनील ढमाल, कारागृह -अधीक्षक, येरवडा मध्यवर्ती कारागृह, पुणे ने इस पहल का स्वागत किया है और इसे ऐतिहासिक सहयोग बताया है। उन्होंने कहा,”अक्सर यहां आने वाले परिवार जज्बाती तौर पर बेहद दुखी होते हैं, लेकिन उनका गम किसी को दिखाई नहीं देता। हालांकि इस केंद्र की बनावट संरचना काफी सामान्य है, लेकिन यह उन्हें कुछ पल के लिए सुकून भरा अनुभव प्रदान करने में काफी मददगार साबित होगी। हम लोगों के प्रति हमदर्दी की भावना के साथ किए गए इस नेक कार्य के लिए सायबेज फाउंडेशन को धन्यवाद देते हैं।”
ऐतिहासिक और पारंपरिक महत्व वाली येरवडा सेंट्रल जेल, अब एक ऐसे परियोजना का केंद्र बन गया है जो मानवीय अवसंरचना के भविष्य का प्रतीक है। इस प्रतीक्षालय से हर साल लगभग 3.5 लाख आगंतुकों को अच्छी सुविधा मिलने की उम्मीद है, जो इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि दूसरों के प्रति हमदर्दी और कार्रवाई का मेल होने पर क्या होता है।