Home समाज भेदभाव और अन्याय के चक्र में फंसी संतरा देवी; न्याय के लिए...

भेदभाव और अन्याय के चक्र में फंसी संतरा देवी; न्याय के लिए दशक भर से कर रही हैं संघर्ष

47 views
0
Google search engine

जयपुर, दिव्य राष्ट्र/ डॉ. भीमराव अंबेडकर के दूरदर्शी नेतृत्व में बनाए गए भारतीय संविधान में जातिगत भेदभाव के खिलाफ मजबूत संदेश दिया गया है और प्रत्येक नागरिक के मौलिक अधिकारों की गारंटी भी दी गई है। इसके बावजूद, कई हाशिए पर खड़े समुदायों के जीवन में इन वादों और वास्तविकता के बीच एक गहरी खाई नजर आती है।

जयपुर में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह गहरी खाई उजागर हुई, जहां राजधानी के कालवाड़ रोड स्थित माचवा गांव की दलित महिला, संतरा देवी ने अपने व परिवार की दुर्दशा मीडिया के सामने रखी। संतरा देवी गत एक दशक से अपनी जमीन पर अवैध कब्जे के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं। उन्होंने मीडिया के जरिए अधिकारियों से तत्काल व निर्णायक कार्रवाई की अपील की।

संतरा देवी ने अपनी संघर्षपूर्ण कहानी साझा करते हुए बताया कि 2013 में उनके पति की मृत्यु के बाद उनका जीवन पूरी तरह बदल गया। उन्होंने कृषि भूमि को अपने नाम पर दर्ज कराने के लगातार प्रयास किए, लेकिन स्थानीय अधिकारियों ने उनकी बातों को अनसुना कर दिया।

संतरा देवी ने बताया “मेरे पति बहुत ही गरीब थे, जो इमारतों की पुताई कर जीवन यापन करते थे। भूमिहीन दलित होने के कारण सरकार ने उन्हें 2 बीघा रेतीली जमीन आवंटित की थी, जिसमें कुआं नहीं था, और जिसे वे साल में केवल एक बार उपजाऊ बना सकते थे। 2013 में उनकी मृत्यु के बाद, माचवा के राजेंद्र शेरावत और सरना पंचायत के झाझड़ा जैसे दो स्थानीय सरपंचों और उनके परिवारों ने जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया। उन्होंने फर्जी सोसाइटी बनाई और जमीन पर दुकानें खोलने के लिए बैकडेटेड पट्टे जारी किए। 2021 में, जब कोविड-19 महामारी के दौरान मेरा परिवार भूमिहीन था, हमने जमीन के एक कोने में एक छोटी सी झोपड़ी बनाई, लेकिन राजेंद्र शेरावत ने रात में इसे जला दिया। मेरे बच्चों और मुझे स्थानीय गांव की झुग्गियों में शरण लेनी पड़ी, जहां हम अभी भी रहते हैं। मेरे बच्चे दिहाड़ी मजदूर हैं और अत्यंत गरीबी में जी रहे हैं। मैंने तहसीलदार कालवाड़, पूर्व कलेक्टर जयपुर, पुलिस कमिश्नर, मुख्यमंत्री, मानवाधिकार आयोग और एससी आयोग को कई बार आवेदन दिए, लेकिन इस गरीब विधवा की कोई मदद नहीं हुई। हमारा सिस्टम कितना प्रभावी है, यह केवल परीक्षण के दौरान ही पता चलता है।”

जमीन से उठाया जा रहा है आर्थिक लाभ —

संतरा देवी की वैध जमीन अब व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए बेची जा रही है। वर्तमान में, वहां 23 दुकानें चल रही हैं, जिनमें से प्रत्येक की कीमत 50 लाख से 1 करोड़ रुपये के बीच है। इस जमीन का कुल मूल्य कम से कम 23 करोड़ रुपये आंका गया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here