ब्यावर स्वाद और व्यवहार दोनों है जिसकी पहचान : पावणा का ढाबा
प्रदेश में ब्यावर शहर खानपान और स्वाद नगरी के रूप में विख्यात है । शहरवासी तरह तरह के स्वाद की तलाश में कई मीलों तक का सफर तय करके जयपुर और जोधपुर तक की यात्राएं करते है, लम्बी दूरी तक स्वाद की तलाश में जानेवालों को शहर के आस पास में ही रोक लेने का उपक्रम कई बार अलग अलग होटल रेस्टोरेंट व्यावसायियों ने किया , परंतु वे लंबे नहीं चले । इसी रिस्क के बीच एक युवा शिक्षित नई सोच के साथ मैदान में उतरा उसका नाम है चन्द्र प्रकाश हुकमीचंद। चन्द्र प्रकाश ने अपने पिता के खान पान से जुड़े व्यापार को ही नए सिरे और नवीनता के साथ बाज़ार में प्रस्तुत किया , इसी उद्देश्य से उन्होंने पावना का ढाबा नामक रेस्टोरेंट एवं होटल व्यवसाय की एक श्रृंखला खड़ी की ।
इस श्रृंखला की नींव ब्यावर शहर से लगभग 2 किलोमीटर दूर भीम नाथद्वारा राजमार्ग पर नर्मदा खेड़ा के पास पहली बार भावना का ढाबा खोला गया आज यह ढाबा शहर के प्रतिष्ठित भोजन शालाओं की श्रेणी में पहले स्थान पर है । इस रेस्टोरेंट की पहचान लच्छा पराठा से मानी जाती है जो की विभिन्न प्रकार के चटनिया और देसी सब्जियों के साथ लाजवाब स्वाद के साथ प्रस्तुत की जाती है ।
होटल एवं रेस्टोरेंट व्यवसायी चंद्र प्रकाश ने अपने अपने पिता की थाती को निरंतर आगे बढ़ाया और भावना का ढाबा नरपत खेड़ा से लेकर अगली स्थापना उन्होंने शहर के बीच जालिया रोड पर फिर से पावणा का नया ढाबा खोला l हाल ही में जहां फास्ट फूड का महत्व और लोगों में चलन अधिक हो रहा है इस श्रृंखला में एक बार फिर भावना का ढाबा श्रेणी की नया उपक्रम पी डी 2 पिज़्ज़ा , शहर के बीच शाहपुरा मोहल्ला से बुधवार 15 जनवरी से श्रीगणेश हुआ है। इसी श्रृंखला का एक ढाबा पूर्व में भी खरवा के पास इसी नाम से संचालित हो रहा है जहां पर स्वाद पर विशेष जोर दिया जाता है तथा आए हुए अतिथियों के साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार न हो सके उसे पर विशेष ध्यान दिया जाता है । शिक्षित व्यक्ति जहां नौकरियों की दौड़ में लगे हैं वहीं चंद्रप्रकाश जैसे व्यवसाय निरंतर व्यापार को ही अपना कर्म बनाकर पूजा कर रहे हैं। भावना का ढाबा श्रृंखला की विशेषता यह है कि हाइजीनिक तरीके से भोजन का निर्माण तथा उनका रखरखाव इस तरह किया जाता है कि किसी प्रकार के बैक्टीरिया से मुक्त शुद्ध स्वादिष्ट भोजन लोगों को मिल सके ।