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जयपुर में उठी ‘विस्थापित हिन्दू पुनर्वास बोर्ड’ के गठन की मांग

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निमित्तेकम सोसाइटी और धर्मांश फाउंडेशन ने भारत में हिन्दू शरणार्थियों के सुगम विस्थापन को सुदृढ़ बनाने के लिए ‘हिन्दू आक्रोश दिवस’ मनाया

  • पाकिस्तान में हिन्दुओं की संख्या 16 प्रतिशत से घटकर 2 प्रतिशत रह गई
  •  पाकिस्तानी, बांग्लादेशी व कश्मीरी हिन्दुओं के नरसंहार के विरोध में जागृति

जयपुर – भारत में हिन्दू शरणार्थियों के लिए काम करने वाली निमित्तेकम सोसायटी और धर्मांश फाउंडेशन ने जयपुर में 12 अक्टूबर को दशहरा के अवसर पर राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर, जयपुर में ‘हिन्दू आक्रोश दिवस’ मनाया। निमित्तेकम सोसायटी और धर्मांश फाउंडेशन ने पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे भारत के पड़ोसी देशों में प्रताड़ित 12,000 से अधिक धार्मिक अल्पसंख्यकों को उनकी दीर्घकालिक वीजा की व्यवस्था के साथ भारतीय नागरिकता दिलवा कर इन प्रताड़ित मुल्कों से निकलने में मदद की है।

इस अवसर पर समाज में जागरूकता बढ़ाने के लिए मुख्य वक्ता के रूप में पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ, ओमेंद्र रत्नू, नीरज अत्री, रमणीक मान, वैभव सिंह, राकेश उत्तखंडी और प्रीतेश विश्वानाथ ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए।

पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ ने अपने संबोधित करते हुए बताया कि, यह भी अच्छा बदलाव है की आज राजनीतिक दल हिंदू की बात करने लगे है और उन्होंने इस बात पर भी भरपूर जोर दिया कि जो हिन्दू जिस भी जगह जिस भी स्थिति में है वो पड़ोसी देशों में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के बारे में बात करे और ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को बताए और हर संभव सहयोग करे उन संस्थानों का जो हिंदू विस्थापितों के लिए काम कर रहे है। उन्होंने इज़राइल का उदहारण देकर बताया कि जो बहादुर और एकजूट होता है उसके पीछे पूरा विश्व खड़ा होता है, इसलिए ये जरूरी है कि भारत का हिन्दू एकजूट हो और सरकारों को मज़बूर करे की वो पाकिस्तान तथा बांग्लादेश ही नहीं, विश्व भर मे जहां भी हिन्दू है उनकी सुरक्षा के लिए काम करे और विस्थापित हिन्दू पुनर्वास बोर्ड का गठन हो।

इस मौके पर निमित्तेकम सोसाइटी और धर्मांश फाउंडेशन के फाउंडर, डॉ ओमेन्द्र रत्नू ने बताया कि, “पिछले कुछ वर्षों में, पाकिस्तान में हिन्दुओं की संख्या 16 प्रतिशत से घटकर 2 प्रतिशत रह गई है, जबकि बांग्लादेश में हिन्दुओं की संख्या 35 प्रतिशत से घटकर 8 प्रतिशत रह गई हैं। इसी प्रकार भारत में हिन्दू 85 प्रतिशत से घटकर 80 प्रतिशत रह गये। सीमा पार, हर दिन लगभग तीन हिन्दू-सिख लड़कियों (बालिकाओं) का उनके घरों से अपहरण कर लिया जाता है और आने वाले 10 वर्षों में, पाकिस्तान और बांग्लादेश में सभी हिन्दू और सिखों को मिटाने की मुहिम जारी है। वे सभी या तो जीवित नहीं बचेंगे या धर्म परिवर्तन कर लेंगे एवं उनके पास पलायन के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। इन्हें बचाने के लिए हम केंद्र और राज्य सरकार से विस्थापित हिन्दू पुनर्वास बोर्ड बनाने का अनुरोध करते हैं क्योंकि इन तीन करोड़ हिंदुओं के लिए भारत के अलावा कोई देश नहीं बचा है। एक समाज के तौर पर हमें अपनी पूरी ताकत इन मासूम लोगों के लिए लगानी चाहिए और उन्हें इस नरकीय जीवन से मुक्त कराना चाहिए।”

2016 में अपनी स्थापना के बाद से निमित्तेकम सोसायटी उपमहाद्वीप में सीमा पार के प्रताड़ित हिंदुओं, सिखों, ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यकों के दर्द को कम करने के लिए काम कर रही है, जो सिर्फ अपने पैतृक धर्म का पालन करने के लिए अत्यधिक कठिनाइयों और अपमान का जीवन जी रहे हैं। यह सोसायटी उनके दीर्घकालिक वीजा की व्यवस्था करने से लेकर उन्हें भारत में शिविर स्थापित करने और एक सम्मान और स्वतंत्रता का नया जीवन शुरू करने में सहायता प्रदान करने, उनके अधिकारों के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पैरवी करने और विभिन्न कौशल विकास और रोजगार कार्यक्रमों को शुरू करने के लिए प्रयासरत हैं। सोसायटी ने आधिकारिक आंकड़ों द्वारा समर्थित ठोस अंतर्दृष्टि के माध्यम से सी.ए.ए. (CAA) जैसे कानून को पारित करने के लिए पैरवी की और उसके लिए आधार तैयार किया है।

निमित्तेकम सोसाइटी और धर्मांश फाउंडेशन के फाउंडर, जय आहुजा ने बताया कि, “हम विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से इन अल्पसंख्यकों का उत्थान कर रहे है। हमारे प्रोजेक्ट ‘पालन’ ने जयपुर में ह्यूमन लाइफ फाउंडेशन के साथ साझेदारी में 120 बच्चों को भोजन और कपड़े जैसी बुनियादी आपूर्ति के साथ-साथ शैक्षिक शिक्षा प्रदान करने की जिम्मेदारी ली है। इसी तरह, प्रोजेक्ट आत्मनिर्भर के माध्यम से हमने समाज के वंचित वर्गों में महिलाओं को सशक्त बनाने पर विशेष ध्यान देने के साथ, विभिन्न रोजगार और कौशल विकास कार्यक्रम शुरू किए हैं। इस परियोजना के तहत, हम वित्त पोषण, खरीद, उत्पादन प्रबंधन, वितरण आदि जैसे क्षेत्रों में बुनियादी व्यावसायिक शिक्षा भी प्रदान कर रहे हैं और अब तक केवल एक वर्ष में इस परियोजना के माध्यम से 300 से अधिक व्यक्तियों को प्रभावित किया जा चुका है।

अपने प्रमुख प्रोजेक्ट, प्रोजेक्ट आगमन (होम कमिंग) के एक हिस्से के रूप में, निमित्तेकम सोसायटी धर्म के आधार पर प्रताड़ित किसी भी व्यक्ति की उनके मूल निवास से भारत तक की यात्रा को सुविधाजनक बनाने के साधन के रूप में कार्य करती है। कई मामलों में, पासपोर्ट, वीज़ा, यात्रा आदि से संबंधित औपचारिकताओं पर होने वाली सभी लागतें संगठन द्वारा वहन की जाती हैं। आगमन के बाद, वे शरणार्थियों की प्रारंभिक बोर्डिंग और आवास आवश्यकताओं का भी ध्यान रखते हैं। इस कार्यक्रम में भारतवर्ष से आये हुए करीब 1500 लोगों ने भागीदारी की।

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