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64 फीसदी माता-पिता बच्चों को कोचिंग में जल्द दाखिला कराने के पक्ष में – कोआन एडवाइजरी ग्रुप के अध्ययन में खुलासा

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जयपुर, 08 अगस्त, 2024- नई दिल्ली स्थित सार्वजनिक नीति परामर्श फर्म कोआन एडवाइजरी ग्रुप द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि राजस्थान में 64 फीसदी माता-पिता मानते हैं कि उनके बच्चों को पहले कोचिंग कक्षाएं शुरू करने से लाभ होगा। इनमें से अनेक अभिभावक मिडिल स्कूल से ही बच्चों को कोचिंग में भेजने की वकालत करते हैं।
अध्ययन में राजस्थान के टियर-वाई 5 शहरों जयपुर, जोधपुर, कोटा, अजमेर और बीकानेर के 1,060 अभिभावकों की प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण किया गया, जिसमें औपचारिक शिक्षा के पूरक के लिए कोचिंग पर बढ़ती निर्भरता पर प्रकाश डाला गया। उत्तरदाताओं में शामिल लोगों की संख्या इस प्रकार रही- 70 प्रतिशत उत्तरदाता पुरुष थे और बाकी महिलाएं। आधे से थोड़ा अधिक, 52 प्रतिशत, 32 से 45 वर्ष की आयु के थे, जबकि 48 फीसदी लोग 46 से 55 वर्ष की आयु के थे।

ये निष्कर्ष जनवरी 2024 में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा कोचिंग केंद्रों के नियमन के लिए जारी किए गए दिशानिर्देशों और जुलाई 2024 में जारी राजस्थान कोचिंग केंद्र (नियंत्रण और विनियमन) विधेयक, 2024 के बीच आए हैं, जिसमें नामांकन के लिए न्यूनतम आयु सीमा 16 वर्ष निर्धारित की गई है। डेटा से पता चलता है कि 38.5 प्रतिशत बच्चों ने कक्षा 6-8 के बीच कोचिंग शुरू की और लगभग 30 फीसदी ने कक्षा 1-3 से ही कोचिंग में जाना शुरू कर दिया।
कोआन एडवाइजरी ग्रुप के पार्टनर विवान शरण ने कहा, ‘‘यह अध्ययन शैक्षिक नियम-निर्माण में माता-पिता की भागीदारी के महत्व को उजागर करता है। शिक्षा नियमों में किसी भी बदलाव को पूरी तरह से अनुभवों पर आधारित मूल्यांकन और प्रभाव आकलन द्वारा परखा जाना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे बिना किसी अनपेक्षित परिणाम के मुद्दों का प्रभावी ढंग से सामना करते हैं।’’
अध्ययन से माता-पिता की आय और निजी ट्यूशन के प्रति उनके झुकाव के बीच सीधा संबंध पता चलता है। जबकि 39 फीसदी माता-पिता ने वन-ऑन-वन ट्यूशन का विकल्प चुना, 27 प्रतिशत ने समूह ट्यूशन को चुना, और 34 प्रतिशत ने कोचिंग संस्थानों को प्राथमिकता दी।
उच्च शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित हालिया दिशा-निर्देश और राजस्थान सरकार द्वारा नया विधेयक 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कोचिंग केंद्रों में दाखिला लेने से रोकता है। यह माता-पिता की अपेक्षाओं के विपरीत हो सकता है और बच्चों को प्रारंभिक कोचिंग के कथित लाभों से वंचित कर सकता है।

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