वॉन हिप्पेल लिंडौ सिंड्रोम: एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार जो 36,000 लोगों में से 1 को प्रभावित करता है
जयपुर : दिव्यराष्ट्र/ मध्य प्रदेश से 41 वर्षीय पुरुष मरीज फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, जयपुर पहुंचा, जो वॉन हिप्पेल लिंडौ (वीएचएल) सिंड्रोम से पीड़ित था, जो एक दुर्लभ वंशानुगत विकार है जिसके कारण शरीर के विभिन्न हिस्सों में ट्यूमर और सिस्ट विकसित हो जाते हैं जिसमें मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी, आंखें, एड्रिनल ग्रंथियां, अग्न्याशय और गुर्दे शामिल हैं। इस मरीज को पॉलीसिस्टिक पैनक्रियाज़ के साथ कई कैंसर (एनईटी – न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर; ट्यूमर जो न्यूरोएंडोक्राइन सिस्टम की कोशिकाओं में विकसित होते हैं, जो तंत्रिका और ग्रंथि कोशिकाओं से बने होते हैं) पैनक्रियाज़, बाएं गुर्दे में और बायीं एड्रेनल ग्रंथि में कैंसर से पीड़ित था। जीआई और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ऑन्कोलॉजी विभाग के डायरेक्टर और हेड डॉ. संदीप जैन और उनकी टीम द्वारा गहन जाँच के बाद सर्जरी करने का निर्णय किया गया। सफल प्रक्रिया के बाद, मरीज को बिना किसी जटिलता के 10 दिनों के भीतर छुट्टी दे दी गई।
कैंसर की व्यापक प्रकृति और रोगी की दुर्लभ आनुवंशिक स्थिति के कारण, डॉ. संदीप जैन और उनकी टीम, जिसमें डॉ. आदित्य, डॉ. अखिल और डॉ. अंजलि शामिल हैं, ने डॉ. मधुसूदन पटोदिया के नेतृत्व वाली यूरोलॉजी टीम, और डॉ. पंकज के सहयोग से, रोगी के कैंसर से प्रभावित पूर्ण पैनक्रियाज़, तिल्ली, बाईं एड्रिनल ग्रंथि और बाईं किडनी के जटिल हिस्सों की चुनौतीपूर्ण सर्जरी की। इस जटिल, उच्च जोखिम वाली सर्जरी के लिए सर्वोत्तम संभव परिणाम सुनिश्चित करने के लिए टीमों के बीच सावधानीपूर्वक योजना और समन्वय की आवश्यकता थी। छह घंटे के बाद, सर्जिकल टीम ने सफलतापूर्वक ऑपरेशन की प्रक्रिया पूरी की।
गंभीर स्थिति और सर्जरी के बारे में बताते हुए, डॉ. संदीप जैन, डायरेक्टर और हेड, जीआई विभाग, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ऑन्कोलॉजी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल जयपुर ने कहा, “वीएचएल एक दुर्लभ स्थिति है, और इसके बारे में जागरूकता की कमी है। इस मरीज के मामले में, पुरे पैनक्रियाज़ में मल्टीपल एनईटी के साथ पैनक्रियाज़ में पॉलीसिस्टिक रोग, फियोक्रोमोसाइटोमा एड्रेनल ग्रंथि और बायीं किडनी में कैंसर था। रोगी के इलाज के लिए, हमारी टीम ने सर्वोत्तम संभव परिणाम के लिए सावधानीपूर्वक काम किया; जो, इस मामले में, सभी अंगों की कई जांचो के साथ प्रीऑपरेटिव मूल्यांकन था, जिसके बाद तिल्ली, बाएं एड्रेनल ग्रंथि और बाएं गुर्दे के हिस्से के साथ उसके कैंसरग्रस्त पूरा पैनक्रियाज़ सभी जगह से बाहर निकालने के लिए ऑपरेशन किया गया था। ऑपरेशन सफल रहा और मरीज ठीक है। चूंकि सभी जगह से कैंसरग्रस्त पूरा पैंक्रियाज (अग्न्याशय) हटाया गया इसलिए उन्हें जीवन भर मधुमेह रहेगा। इसके अतिरिक्त, पाचन के लिए पैंक्रियाज द्वारा कुछ एंजाइमों का उत्पादन किया जाता है, इसलिए रोगी को जीवन भर एंजाइम की खुराक की आवश्यकता होगी; इसके अलावा, मरीज सामान्य जीवन जी सकता है।”
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल जयपुर के जोनल डायरेक्टर, नीरव बंसल ने कहा, “यह एक बहुत ही दुर्लभ स्थिति है, और आमतौर पर ऐसे मामले नहीं आते हैं। मरीज की जटिल स्थिति को सफलतापूर्वक पहचानने और उसका इलाज करने के लिए डॉ. संदीप जैन और पूरी टीम को बधाई। उन्नत तकनीक तक पहुंच और हमारी मेडिकल टीम की विशेषज्ञता के साथ, हमें सबसे जटिल कैंसर में भी नेतृत्व करने, जटिल और दुर्लभ स्थितियों का सामना करने वाले लोगों को आशा और उपचार प्रदान करने पर गर्व है।