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भारत में महिलाओं को परिवार का भविष्य सुरक्षित करने की ज़रूरत

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नई दिल्ली,, दिव्यराष्ट्र/ भारत भर में लाखों महिलाएं हर सुबह उठकर काम, घर संभालना, बच्चों की परवरिश और यहां तक कि बुज़ुर्ग माता-पिता की देखभाल भी करती हैं। ग्रामीण इलाकों में छोटे-मोटे व्यवसाय चलाने से लेकर, व्यस्त शहरों में कॉर्पोरेट जगत में तरक्की करने तक, आज महिलाएं सब कुछ कर रही हैं और अक्सर अपने परिवारों के लिए दूसरे सदस्यों के बराबर या उससे ज़्यादा योगदान दे रही हैं।

टाटा एआईए लाइफ इन्शुरन्स में प्रोडक्ट्स मैनेजमेंट की हेड श्रुति ओके ने कहा, “महिलाएँ शक्ति हैं – परिवारों की ताकत हैं। हमारा मानना है कि अब समय आ गया है कि बीमा योजनाएं उनकी ज़रूरतों के अनुसार बनाई जाएं – उन्हें उनके लिए जो सबसे ज़्यादा मायने रखने वाली चीज़ों की रक्षा करने, स्वतंत्र निर्णय लेने और अपने प्रियजनों के लिए फ़िकर-मुक्त भविष्य सुनिश्चित करने के लिए सशक्त बनाएं।”

फिर भी, जब वे अपने बच्चों की शिक्षा की योजना बनाती हैं, अपने सपनों के घर के लिए बचत करती हैं, या अपने माता-पिता की स्वास्थ्य ज़रूरतों का ध्यान रखती हैं, तो अक्सर एक ज़रूरी सवाल को नज़रअंदाज़ कर देती हैं: “अगर कल मुझे कुछ हो जाए, तो क्या मेरा परिवार आर्थिक रूप से सुरक्षित होगा?” टाटा एआईए के 2023 के एक सर्वेक्षण से पता चला है कि 89% विवाहित महिलाएं अभी भी वित्तीय योजनाएं बनाना अपने पतियों पर छोड़ देती हैं, और केवल 44% ही विकल्प मिलने पर स्वतंत्र वित्तीय फ़ैसले लेती हैं।

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