ऋण देने में जनरेटिव एआई का इस्तेमाल

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बीएफएसआई सेक्टर के लिए एक गेम-चेंजर

(दिव्यराष्ट्र के लिए ज्योतिर्लता बी., चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर, गोदरेज कैपिटल)

बीएफएसआई (बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा) सेक्टर एक बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जिसकी अगुवाई जनरेटिव एआई कर रहा है। यह तकनीक वित्तीय संस्थानों के ग्राहकों से जुड़ने, क्रेडिट योग्यता का मूल्यांकन करने और जोखिम को कम करने के तरीके को पूरी तरह से बदल रही है। पारंपरिक ऑटोमेशन से अलग, जनरेटिव एआई अधिक सहज, बुद्धिमान और व्यक्तिगत सेवाएं प्रदान करने में सक्षम है—चाहे वह बहुभाषी सहायता हो, ग्राहक के अनुसार अनुकूल लोन विकल्प तैयार करना हो या रियल-टाइम डेटा विश्लेषण के जरिए धोखाधड़ी की पहचान को बेहतर बनाना हो, गोदरेज कैपिटल की चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर, ज्योतिर्लता बी. ने यह जानकारी दी।

ज्योतिर्लता बी. के अनुसार उधारदाताओं के लिए जनरेटिव एआई अपार संभावनाओं के द्वार खोलता है: तेज़ प्रोसेसिंग, गहरे विश्लेषण और बेहतर ग्राहक अनुभव। लोन अधिकारी अब प्राकृतिक भाषा में बातचीत करते हुए एआई-आधारित सिफारिशों पर भरोसा कर सकते हैं, जिससे वित्तीय उत्पाद अधिक सुलभ और समावेशी बनते हैं। इसके अलावा, विशाल डेटा सेट्स का विश्लेषण करने और नए पैटर्न से सीखने की इसकी क्षमता इसे कम क्रेडिट फ़ाइल वाले ग्राहकों के लिए भी सटीक निर्णय लेने योग्य बनाती है।

हालांकि, जनरेटिव एआई को पायलट प्रोजेक्ट्स से पूर्ण स्तर पर लागू करना चुनौतियों से भरा है। वित्तीय संस्थानों को गवर्नेंस, नैतिक उपयोग, व्याख्यात्मकता और मजबूत डेटा सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी ताकि जनविश्वास हासिल और बनाए रखा जा सके। निष्पक्षता सुनिश्चित करने और पूर्वाग्रह को कम करने के लिए मानव पर्यवेक्षण अनिवार्य बना रहेगा। भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार, जनरेटिव एआई भारत की जीडीपी में 438 बिलियन तक का योगदान दे सकता है। बीएफएसआई पर जनरेटिव एआई का प्रभाव व्यापक और गहरा होगा—यह केवल उधारी के तरीके को नहीं बदलेगा, बल्कि वित्तीय सशक्तिकरण की हमारी सोच को भी पुनर्परिभाषित करेगा। आगे का रास्ता नवाचार के साथ-साथ जवाबदेही की मांग करता है।

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