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मुँह का टेढ़ापन या शरीर की जकड़न और पार्किंसंस जैसे मूवमेंट डिसऑर्डर का इलाज अब होगा आसान

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-पार्किंसन के लिए डीबीएस -एआई पेसमेकर से सबसे एडवांस उपचार नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर में उपलब्ध।
-डीबीएस और बोटोक्स के सफल मरीजों को योद्धाओं के रूप में किया गया सम्मानित।

जयपुर: दिव्यराष्ट्र/नारायणा हॉस्पिटल जयपुर में अब अत्याधुनिक इलाज के माध्यम से टेढ़े मुंह, कम्पन, शरीर की अकड़न और असंतुलन पन जैसे मूवमेंट डिसऑर्डर वाले मरीजों का सफल इलाज किया जा रहा है। इसी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 29 नवंबर को वर्ल्ड मूवमेंट डिसऑर्डर डे मनाया जाता है। इस अवसर पर नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जिसमें डीबीएस और बोटोक्स के सफल मरीजों को इस बीमारी को हराने वाले योद्धा के रूप में सम्मानित किया गया। नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर के डॉ. वैभव माथुर , डॉ. नितिन भाकल, डॉ. ए.एल. धाकड़, डॉ. प्रदीप गोयल और बलविंदर सिंह वालिया ने मरीजों को सम्मानित किया और राजस्थान में पहली बार इस्तेमाल किए गए एडवांस एआई डीबीएस पेसमेकर के बारे में जानकारी दी जो पार्किंसन के लिए सबसे नवीनतम उपचार है।

मूवमेंट डिसऑर्डर के इलाज में नए आयाम*

पिछले कुछ वर्षों में पार्किंसन रोग के इलाज में काफी प्रगति हुई है और अब मेडिकल साइंस में मूवमेंट डिसऑर्डर को विशेष दर्जा दिया जा रहा है। डोपामाइन की गोलियां अलग-अलग फॉर्मेट में दी जा सकती हैं, इसके अलावा एपोमोर्फिन नामक इंजेक्शन भी चुनिंदा मरीजों में फायदेमंद है। पार्किंसन रोग के लिए सबसे आधुनिक उपचार डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस) सर्जरी है, जो भारत के कुछ अस्पतालों में 20 वर्षों से चल रही है। राजस्थान के मरीज अभी तक इस उपचार से वंचित थे, बोटॉक्स इंजेक्शन भी एक नई विधि है, जिसमें हम नसों और मांसपेशियों के बीच कनेक्शन को अवरुद्ध करने वाली मांसपेशियों में सीधे हाइपोडर्मिक ईएमजी सुइयों का उपयोग करते हैं। इससे ऐंठन और मांसपेशियों की अति सक्रियता से संबंधित अन्य स्थितियों से राहत मिलती है।

डीबीएस और बोटॉक्स तकनीक के लाभ*

नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर के कंसल्टेंट न्यूरोलॉजी और मूवमेंट डिसऑर्डर विशेषज्ञ डॉ. वैभव माथुर ने बताया कि “डीप ब्रेन स्टिमुलेशन” या “डीबीएस” एक आधुनिक तकनीक है, जिसमें सर्जरी के माध्यम से मस्तिष्क में संवेदनशील तार (इलेक्ट्रोड) डाले जाते हैं और इन्हें छाती में लगे पेसमेकर जैसे उपकरण (आईपीजी) से जोड़ा जाता है। इसके बाद इस आईपीजी को बाहर से नियंत्रित (प्रोग्राम) किया जा सकता है और रोगियों के लक्षणों में 70-80% तक सुधार होता है। इस बार हमने एक उन्नत विधि का उपयोग किया हैं, जिसमें रोगी में एआई आधारित पेसमेकर लगाया जाता है और यह विधि लक्षणों में परिवर्तन के लिए मरीज की मस्तिष्क गतिविधि की निगरानी करने के लिए एआई से प्राप्त होती है। नारायणा में हम एडवांस ईएमजी बोटॉक्स इंजेक्शन का उपयोग करते है जो ज्यादा कारगर है। इसमें आँखों का टेढ़ापन, झपकना, गर्दन का टेढ़ापन और स्ट्रोक के बाद के लक्षण को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है

नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर के कंसल्टेंट न्यूरो सर्जन डॉ. नितिन भाकल ने कहा कि, “हमें 5 से अधिक न्यूरो सर्जरी करने में खुशी हो रही है और हाल ही में हुई सर्जरी, जिसमें AI तकनीक का उपयोग करके उन्नत पेसमेकर का प्रयोग किया गया है। हम मरीजों को सर्वोत्तम उत्तम उपचार विकल्प प्रदान करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

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