
महर्षि दधीचि सेवा ट्रस्ट का निर्बाध आयोजन
– महर्षि दधीचि तीर्थ मिश्रित में देशभर से आए सैकड़ों दधीचि बंधु
मिश्रिख, दिव्यराष्ट्र*
महर्षि दधीचि की तपस्थली मिश्रिख पर महर्षि दधीचि की कथा सुनाते हुए मैने उसे जीवंत जिया। यह कहना है महर्षि दधीचि कथा का रसपान कराने वाले आचार्य गिरिराज शास्त्री का। महर्षि दधीचि तपस्थली मिश्रित, नैमिषारण्य में दो दिवसीय कथा का आयोजन महर्षि दधीचि सेवा ट्रस्ट ने किया। आयोजक, अध्यक्ष शंकर लाल शर्मा ने दिव्यराष्ट्र को बताया कि राष्ट्रसंत परम पूज्य गोविंददेव गिरीजी के मार्गदर्शन में, महंतश्री देवानंद गिरिजी महाराज (दधीचि मंदिर मिश्रित धाम) के सानिध्य में, भारतवर्ष के अनेक प्रांतो से आए हुए सैकड़ों दाधीच बंधुओ ने हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी हर्षोल्लास के साथ अपने पितृ पुरुष महर्षि दधीचि का जन्मोत्सव भगवान दधीचि मंदिर में मनाया।
इस त्रि- दिवसीय कार्यक्रम के अंतर्गत प्रथम दिवस कलश यात्रा के उपरांत श्रीमान गिरिराजजी शास्त्री दाधीच के मुखारविंद से महर्षि दधीचि कथा का रसास्वादन किया गया। इसके अलावा दधीचेश्वर महादेव का सहस्र धारा अभिषेक हुआ उसके बाद आरती व भजन संध्या का आनंद लिया l
द्वितीय दिवस भगवान दधीचि नारायण का पंचामृत स्नान, शोडोपचार पूजन हुआ।
दोपहर में बैंड बाजा, डीजेके साथ परंपरागत भव्य शोभायात्रा निकली। यात्रा में भगवान दधीचि का रथ चल रहा था, महंत देवानंद गिरिजी विराजित रहे, मिश्रित के प्रमुख मार्गों से निकली शोभा यात्रा का नगर के प्रबुद्ध, धर्मप्रेमी बंधुओ ने भव्य स्वागत किया। रास्ते में जगह जगह मिठाई, पेय पदार्थ, फल, प्रसाद आदि बांटे गए।
रात्रि कालीन दधीचि भगवान की महा आरती आदि कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। तृतीय दिवस पर पधारे हुए दधीचि बंधुओं ने नैमिषारण्य भ्रमण किया।
देशभर से आए सैकड़ों दधीचि पुत्र
इस वर्ष तीनों दिनों में लगभग 400 समाज बंधुओ ने दधीचि मंदिर, दधीचि भवन, गुप्ता धर्मशाला में ठहराव किया। सतीश दाधीच ने बताया की प्रति वर्ष यहां की व्यवस्था महर्षि दधीचि सेवा ट्रस्ट द्वारा निःशुल्क की जाती है। आयोजन में इंदौर, हैदराबाद, मुंबई, गोरखपुर, दिल्ली, मोदीनगर, जयपुर, भीलवाड़ा, केकड़ी, चित्तौड़, रायपुर, जोधपुर, राजसमंद, झुंझुनू, सीकर, डीडवाना, लाडनूं, किशनगढ़, ब्यावर, आसींद, अहमदाबाद, अजमेर, नसीराबाद आदि स्थानों से आए ।इसके साथ ही जयपुर से 30सदस्यों का दल भी आया, यात्रा के दौरान ट्रेन, बस और भवन में बृजेश दाधीच किशनगढ़ अराई एवं शशि शेखर तिवारी इंदौर ने निरंतर भजनो की शानदार प्रस्तुति का आनंद दिलाया।
सेवा भावी कार्य कर्ता
जानकारी देते हुए महर्षि दधीचि सेवा ट्रस्ट के मनोज दाधीच ने बताया कि साथी प्रदीप बरमोटा, सांवरमल जोशी, राजेंद्र रतावा ओम प्रकाश ब्यावर, राधेश्याम गुलाबपुरा, श्रीमती माया राजेंद्र दाधीच लाडनूं आदि के सहयोग ने आयोजन में चार चांद लगा दिए। नाश्ता – भोजन व्यवस्थाएं ओमप्रकाश बहड़, पूजन व्यवस्थाएं श्रीमती संतोष शर्मा, चंदा राजेंद्र दाधीच, सुषमा दाधीच ने संभाली।
आवास व्यवस्था मुकेश शर्मा,
शोभायात्रा व्यवस्था राजेंद्र दाधीच तथा अमित दाधीच (सीतापुर) ने संभाली।
अनजाना नहीं रहा स्थान
महर्षि दधीचि सेवा ट्रस्ट के मनोज दाधीच ने जानकारी देते हुए बताया कि अब यह स्थान दाधीच बंधुओ से अनजाना नहीं है, पहली बार 13 सितंबर 2013 को यहां पर महर्षि दधीचि जन्मोत्सव मनाया गया, इस अवसर पर तत्कालीन महंत पूज्य देवदत्त गिरिजी महाराज ने कहा कि पहली बार दधीचि बंधु यहां जन्मोत्सव मनाने आए । दूसरे वर्ष 2014 के आयोजन में राष्ट्रसंत गोविंद देव गिरी महाराज ने इस स्थान के संपूर्ण विकास का आह्वान किया, और शंकर लाल शर्मा को इस कार्य के लिए विस्तृत योजना बनाकर आगे बढ़ने का निर्देश दिया, फल स्वरुप सितंबर 2018 में गोविंददेव गिरी महाराज के मुखारविंद से 108 श्रीमद् भागवत कथा के भव्य आयोजन से उत्साह बढ़ा। महर्षि दधीचि सेवा ट्रस्ट ने समाज बंधुओ के लिए यहां पर एक भवन की व्यवस्था भी कर दी है। अब प्रतिवर्ष यहां सैकड़ों दाधीच बंधुओ का आगमन होने लगा है।