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राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पहला उद्देश्य स्टूडेंट का सर्वांगीण विकास कर बेहतर नागरिक तैयार करना है : कुलपति प्रो. अनिल राय

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बाबा खींवादास पीजी महाविद्यालय, सांगलिया में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर संगोष्ठी आयोजित

सीकर। दिव्यराष्ट्र/बाबा खींवादास पीजी महाविद्यालय, सांगलिया में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 क्रियान्वयन की चुनौतियां और संभावनाएं’
विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय,सीकर के कुलपति प्रो. (डॉ.) अनिल कुमार राय ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पहला उद्देश्य व्यक्ति का सर्वांगीण विकास कर बेहतर नागरिक तैयार करना है। व्यक्तित्व निर्माण ऐसा होना चाहिए जिसमें परिवार, समाज, संस्कृति, संवेदना, मानवता के साथ ही उत्कृष्ट ज्ञान होना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में थ्यौरी के साथ ही प्रायोगिक तरीके से हर चीज का बारीक अध्ययन करवाना है ताकि वह मन-मस्तिष्क में लंबे समय तक रह सके। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमारी प्रतिभाएं विदेशी यूनिवर्सिटी में जा रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत भारत सरकार दुनिया के सबसे बड़े व प्रतिष्ठित 100 यूनिवर्सिटी के कैंपस तैयार करने के लिए उन्हें भारत में जगह व अन्य संसाधन उपलब्ध करवाएगी। वहीं हमारे देश के टॉप 100 यूनिवर्सिटी को भी विदेशी धरती पर अपनी यूनिवर्सिटी खोलने के लिए मदद करेगी। जिससे कि हमारे यहां की प्रतिभा को निखरने के साथ ही देश में रोजगार के अवसर बढ़ाने में मदद मिलेगी। प्रतिभाओं का विदेशी पलायन भी रूक सकेगा।
गोष्ठी की अध्यक्षता अखिल भारतीय सांगलिया धूणी के पीठाधीश्वर ओमदास महाराज ने की। उन्होंने विद्यार्थियों को आर्शीवचन देते हुए अपने लक्ष्य को पाने व जिद कर दुनिया जीतने का मंत्र दिया।

कुलपति प्रो. डॉ. अनिल राय ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सबको कौशल के लिए इंटर्नशिप करना जरूरी हो गया है। इसमें युवाओं को कौशलयुक्त बनाया जाने पर अधिक जोर दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि छह साल में भारत में हम एक भी डिजीटल यूनिवर्सिटी नहीं बना सके हैं, जबकि पाकिस्तान में डिजीटल यूनिवर्सिटी है। हमें एआई, ऑनलाइन एजुकेशन सहित अन्य विद्याओं में पारंगत होने की जरूरत है और इसके लिए हमें शिक्षकों व विद्यार्थियों दोनों को डिजीटल प्लेटफॉर्म तैयार करने के साथ ही उन्हें इसमें रूचि लेने के लिए जाग्रत करना होगा। अध्यापक और छात्र दोनों के बीच डिजीटल एजुकेशन को लेकर सामंजस्य नहीं बैठ पा रहा है। कुछ जगह पर संसाधानों का भी अभाव है।

देश में कुकरमुत्ते की तरह खुले थे इंजीनियरिंग व एमबीए कॉलेज*

कुलपति प्रो. अनिल राय ने कहा कि देश में 90 के दशक के बाद एमबीए और इंजीनियरिंग कालेज कुकुरमुत्ते की तरह खुल गए थे, इनमें से अधिकांश कॉलेज विगत एक दशक में बंद हो गए हैं। इसके पीछे मुख्य कारण यह रहा कि आईआईटी, एनआईटी व देश के एमबीए संस्थानों से निकले प्रतिभावान छात्र बाहर चले गए। बचे हुए देश की बड़ी कंपनियों में चले गए और शेष जो अंत में बचे वे शिक्षक की भूमिका निभाने लगे, जिससे कि संस्थानों के कार्य, शिक्षण, तकनीकी आदान-प्रदान में कमी आई। यही नहीं इन संस्थानों ने तकनीक, कौशल व प्रायोगिक ज्ञान के लिए पर्याप्त संसाधन भी नहीं जुटाए थे। ऐसे में अब जरूरी है कि शोध और शोधार्थियों के बीच आपसी तारतम्य, व्यवहार, परस्पर सहयोग, भावनात्मक जुड़ाव होना चाहिए। देश में बड़े शोध संस्थान और शोध के लिए यूनिवर्सिटी खुले। जब एयर कंडीश्नर कमरों में बैठकर कृषि नीतियां बनने लगी तभी हमारे देश में कृषि का विघटन शुरू हूआ जिसके चलते जो कृषकों के ये हालात हुए हैं।

विश्व की सबसे बड़ी शिक्षा नीति है राष्ट्रीय शिक्षा नीति*
कुलपति प्रो. अनिल राय ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2017 में बनाकर उस पर काम शुरू किया गया जो 2020 में बनकर तैयार हुई है। यह शिक्षा नीति विश्व की सबसे बड़ी शिक्षा नीति है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को तैयार करने में 33 करोड़ लोगों ने अपने विचार रखे थे। वहीं एक लाख से अधिक ग्राम पंचायतों में भी इस पर ग्रामीणों ने अपने विचार रखे थे। हमारे बीच में एक अंधकार युग आया जिसने हमारे विग्यान, संस्कृति, इतिहास, ज्ञान, को भुलाया गया है। उन्होंने बताया कि विदेशी व आयातित सिद्धांतों से हमने कृषि, राजनीति, आदि को अपनाया है जो कि गलत है।

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