ऋषि पंचमी पर विशेष आलेख:— (डॉ.सीमा दाधीच)।
भारत देश आस्था और भक्ति का केंद्र है हमारे देश में प्रत्येक दिन एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है उनमें ऋषि पंचमी पर्व भी एक प्रमुख दिवस है। भारत देश ऋषि, मुनि और संतो का देश है इसलिए अनादि काल से हम ऋषि मुनियों को अपना आदर्श और प्रेरणा स्त्रोत मानते आए है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को हमारे देश मे ऋषि पंचमी मनाकर हम ऋषियों का वंदन करते है ताकि उनके द्वारा दर्शाए ज्ञान से हम लाभान्वित हो सके। 18 पुराण,ग्रंथ, वेद सभी में सप्तर्षियों का वर्णन मिलता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सप्तऋषि की उत्पत्ति ब्रह्मा जी के मस्तिष्क से हुई है। इसलिए उन्हें ज्ञान, विज्ञान, धर्म-ज्योतिष और योग में सर्वोपरि माना जाता है। ऋषि पंचमी के दिन कुछ लोग व्रत रखकर देवी-देवता की पूजा के साथ इस दिन विशेष रूप से सप्तर्षियों की पूजा करते है। सप्त ऋषि को एक साथ याद के लिए एक मंत्र
“कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोथ गौतमः।
जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः॥”
दहन्तु पापं सर्व गृह्नन्त्वर्ध्यं नमो नमः’॥
सातवें मन्वन्तर में सप्तऋषि इस प्रकार हैं वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र और भारद्वाज। इसके अलावा अन्य पुराणों के अनुसार सप्तऋषि की नाम इस प्रकार है क्रतु, पुलह, पुलस्त्य, अत्रि, अंगिरा, वसिष्ठ और मरीचि है। ऋषि त्याग और तपस्या से सदैव सभी के रक्षक ही रहे उन्होंने देवता को भी अस्त्र निर्माण में अपने अस्थि दान से भी पीछे नहीं रहे जैसे शिव भक्त जो तीनों लोगों की भलाई के लिए अपनी अस्थि का दान किया जिनके अस्थि वज्र से व्रतासुर का अंत हुआ वह और कोई नहीं ऋषि दधीचि थे।
वशिष्ठ जी के पास तप से कामधेनु गाय प्राप्त हुई जो मनचाहा वर देने वाली गाय थी।
विश्वामित्र वशिष्ठ से कामधेनु गाय को प्राप्त करने के लिए युद्ध किया हार के बाद तपस्वी बने और ईश्वरीय कृपा से शरीर सहित त्रिशंकु को स्वर्ग भेजने का चमत्कार किया, ऋषि विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र की रचना की थी।इन ऋषियो से सीखना चाहिए की जीवन में कभी निराश नहीं होना चाहिए।
जगत कल्याण के लिए महर्षि सुश्रुत संहिता के जनक हैं माने जाते हैं जिन्होंने शल्य चिकित्सा को दुनिया में बताया। शनक ऋषि ने प्रथम गुरुकुल कुलपति होने के गौरव को प्राप्त किया और उन्होंने गुरु शिष्य परंपरा को बहुत फैलाया।
वैसे ही पतंजलि ऋषि ने आधुनिक दौर में जानलेवा बीमारियों में एक कैंसर का आज उपचार संभव यह कई सदियों पहले ही ऋषि पतंजलि ने कैंसर को रोकने वाला योगशास्त्र रचकर बताया कि योग से कैंसर का भी उपचार संभव है। भारद्वाज ऋषि ने महान ग्रंथों की रचना की ,आयुर्वेद के ग्रंथ की रचना भी इन्होंने ही की थी। इन ऋषियो ने समाज मे रक्षक बनकर कार्य किया वैसे ही कई आविष्कार भी किए जिसे आधुनिक युग के लोग मानते हैं युवाओं को भी निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए जीवन में निराशा या हताश नहीं होना चाहिए जब ऋषि पंचमी की बात करे तो जीवन में ऋषि बल ऐसे ही नहीं इंद्रियों पर विजय से प्राप्त होता है।
माहेश्वरी समुदाय ऋषियों/संतों के आशीर्वाद से ही अस्तित्व में आया। यही कारण है कि वे ऋषि पंचमी पर रक्षा बंधन का त्यौहार मनाते हैं जो भाद्रपद महीने में शुक्ल पक्ष के 5 वें दिन पड़ता है।हमें ऋषि पंचमी के दिन केवल राखी का धागा बांधना या ऋषि को याद करना ही पर्याप्त नहीं हमे अपने जीवन में एक दूसरे के सहयोग की भावना को अपनाना चाहिए।