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1965 के रिटायर्ड सैनिक को नहीं मिल पा रही अपनी जमींन

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मकान व भूमि हड़पने का नीलकंठ महादेव ट्रस्टियों पर लगा आरोप,
-न्यायालय के आदेश पर मुकदमा दर्ज

पाली, दिव्यराष्ट्र। स्वतंत्रता दिवस कल है और देशभक्ति की भावना चरम पर है, साथ ही देश की रक्षा करने वाले जवानों के लिये जज्बा भी बना हुआ है, उसी दौरान स्थानीय नीलकंठ महादेव ट्रस्ट सुमेरपुर पदाधिकारियों पर एक रिटायर्ड सैनिक को धमकाकर उसकी भूमि को हडपने का मामला प्रकाश में आया हैं और दो सेवापदकों से नवाजा हुआ रिटायर्ड सैनिक पिछले 40 से कार्यालयों के चक्कर काट रहा हैं।
रिटायर्ड सैनिक लोकमानदास गोयल ने मामले की गंभीरता को देखते हुये पुलिस थाना सुमेरपुर में फरीयाद दर्ज करवाने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस थाना के ईमानदार व कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने उसकी फरीयाद पर कोई कार्यवाही नहीं कर रिटायर्ड सैनिक को थाने से टरकाकर निकाल दिया। तत्पश्चात अधिवक्ताओं के संज्ञान में मामला आने पर श्रीमान एसीजेएम साहब के मार्फत धोखाधडी एवं भूमि हडपने का मामला नीलकंठ महादेव मंदिर ट्रस्टियों के खिलाफ पुलिस थाने में दर्ज करवाया गया। पुलिस को यह नागंवार गुजरा और मामले में आनन-फानन में कार्यवाही करते हुये एफ.आर. पेश कर दी गई, जिस पर श्रीमान न्यायालय में प्रोटेस्ट पिटीशन दायर कर रिटायर्ड सैनिक ने अपना पक्ष रखा।

यह है मामला :-
रिटायर्ड सैनिक का एक मकान कस्बा सुमेरपुर मे नीलकंठ महादेव मदिर के पास पुराना खसरा सख्या 138/1 एवं वर्तमान खसरा सख्या 458 में आया हुआ है। कृषि भूखण्ड भूतपूर्व सैनिक होने से राज्य सरकार द्वारा तहसीलदार बाली द्वारा सन् 1975 मे सनद जारी कर 1 बीघा भूखण्ड ऐलोटमेन्ट किया था, जिस पर रिटायर्ड सैनिक का ऐलोट मेन्ट के समय से लगातार कब्जा है, इस भूमि पर रिटायर्ड सैनिक ने अपने रहने के लिये एक कमरा, रसोई, इत्यादि बनाया हुआ है। रिटायर्ड सैनिक सैना से रिटायर्ड मेन्ट होने के बाद वर्ष 1979 में भूतपूर्व सैनिक होने के कोटे से शिवगंज के पोस्ट ऑफिस मे पी.ए. के पद पर कार्यरत रहे। उस दौरान भी इस मकान पर निवास करते थे, तथा पास की भूमि पर गार्डन लगाकर कृषि कार्य भी करते थे। बाद मे सन् 1979 मे पोस्ट ऑफिस से ट्रांसफर बादरा (जालोर) होने से रिटायर्ड सैनिक चले गये। उक्त मकान मे रिटायर्ड सैनिक के घरेलू सामान, बिस्तर, पलंग व जमीन से संबंधित असल दस्तावेज एवम उक्त सनद असल वगैरा भी रखे हुये थे। एवं उक्त मकान पर रिटायर्ड सैनिक का ताला एवं जमीन पर चाहरदिवारी बनाकर ताला लगाकर बादरा जालोर चले गये थे, बाद में समय-समय पर आते रहते थे। सन 1991 मे रिटायर्ड सैनिक का पोस्ट ऑफिस जालोर से ट्रांसफर अजमेर हेड ऑफिस हो गया, तब से रिटायर्ड सैनिक अपने परिवार सहित अजमेर मे ही रहने लगे। बाद में रिटायर्ड सैनिक वृद्व होने व बीमार होने से लम्बे समय तक सुमेरपुर नही आ पाये। बाद मे दिनांक 10सितंबर.2017 को रिटायर्ड सैनिक पारिवारिक कार्य से सुमेरपुर आये व अपने मकान व जमीन पर गये तब रिटायर्ड सैनिक ने देखा कि उनके मकान के कमरो पर अन्य ताला लगा हुआ है तथा मकान के कमरो पर रददोबदल व खुर्दबुर्द कर रैन बसैरा नीलकंठ महादेव मंदिर रैन बसेरा सीमेन्ट ब्लौको से लिखवा दिया व रसोई पर कौशल्या प्याउ लिखवा दिया तथा शेष रिटायर्ड सैनिक की जमीन बाउंड्री वाल पर मुख्य फाटक के पास नीलकंठ महादेव मंदिर ट्रस्ट सुमेरपुर कलर से लिखवा दिया। निर्माण करवाकर एवम रिटायर्ड सैनिक के उक्त खसरा नंबर की भूमि पर बनी हुई चारदिवारी को पीछे व साईड से तोडकर व रद्दोबदल कर नीलकंठ महादेव मंदिर की भूमि के साथ मिला लिया गया, उस समय वहां पर 5-6 व्यक्ति आये जिन्होने अपना मुंह ढक रखा था, जिन्होने रिटायर्ड सैनिक को कहा कि आप यहा क्यो खडे हो इस पर रिटायर्ड सैनिक ने बताया कि यह मेरा मकान व यहा पर मेरी जमीन थी किसने तोडी तो कहने लगे कि बुढढे यहां से चला जा और तेरी कार्यवाही बंद कर ले। अगली बार यहां दिखा तो तुझे जान से मार देंगे। किसी को पता भी नहीं चलेगा। भूल जा इस जमीन को यह हमारी हैं। एवम ऐसा कहकर गाली गलौज व धक्का मुक्की करने लगे। जिस पर रिटायर्ड सैनिक ने तत्कालीन मंदिर ट्रस्ट के लोगां वगैराह से बातचीत की तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया एवं गाली गलौज पर उतारू हुये। जिस पर रिटायर्ड सैनिक ने दिनांक 10.जून.2017 को थाना सुमेरपुर मे घटना की रिपोर्ट दी। एवम पुलिस ने कार्यवाही का आश्वासन दिया, परन्तु पुलिस ने लम्बे समय तक कोई कार्यवाही नहीं की। रिटायर्ड सैनिक ने तत्कालीन अध्यक्ष कृपाशंकर राजपुरोहित, उपाध्यक्ष उम्मेदमल नवाजी, मंत्री प्रभुलाल देवडा, कोषाध्यक्ष चम्पालाल रावल, सदस्य गणेशमल विश्वकर्मा, जीवाराम देवासी, गणेशमल छीपा, मांगीलाल कुमावत,, किशनलाल खण्डेलवाल, करणसिंह राजपुत की नामजद रिपोर्ट दी, उसके बाद भी पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की। तथा बाद में रिटायर्ड सैनिक ने 2-3 बार पुलिस थाने में लिखित तथा पुलिस अधिकारियों को रिपोर्ट देने के बावजूद भी कार्यवाही नहीं होने पर मजबूरन रिटायर्ड सैनिक को न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पडा। रिटायर्ड सैनिक ने जब नगरपालिका के अधिकारियों के समक्ष बने मकान का पट्टा बनाने की गुहार लगाई तब पालिका कर्मचारियों व अधिकारियों ने यह कहकर पल्ला झाड दिया कि ये जमीन नीलकंठ महादेव मंदिर की हैं। देवस्थान विभाग से बने ट्रस्ट लाल महाराज मंदिर व नीलकंठ महादेव मंदिर ट्रस्ट के पंजीयन में कहीं पर भी रिटायर्ड सैनिक की भूमि का उल्लेख नहीं हैं और ना ही इस ट्रस्ट वालों ने इस भूमि को डोली, मंदिर की भूमि का उल्लेख कहीं नहीं किया हैं। झूठा षडयंत्र रचकर ट्रस्टीगण भविष्य में इस भूमि को खुद के उपयोग लेने के लिये सुव्यवस्थित तरीके से और षडयंत्र के साथ एक रिटायर्ड सैनिक को उसके हक से बेदखल कर रहे हैं।
बहरहाल, मामला भले ही न्यायालय की शरण में हो देशभक्त सैनिक पर महादेव के भक्तों का तांडव चिंताजनक तो है। सावन का महीना चल रहा है महादेव के भक्तों का रैला मंदिरों में निरन्तर जारी है, वहीं रिटायर्ड सैनिक न्याय की आस में न्याय के मंदिर में अपनी गुहार की राह ताक रहा हैं। नीलकंठ महादेव मंदिर ट्रस्टीगण कई मर्तबा साधु-संतों का निरादर करने, असामाजिक तत्वों की शरण स्थली बनने, अवैध धंधों के संचालन को लेकर चर्चा में रहे है, जिससे पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों से उनका पुराना संबंध होने के चलते रिटायर्ड सैनिक का कोई साथ नहीं दे रहा हैं।
भूमि को लेकर है असमंजस की स्थिति*
पुलिस थाना सुमेरपुर इस भूमि को लेकर रिटायर्ड फौजी को कहता है कि ये भूमि तो नगरपालिका की है, और नगरपालिका सुमेरपुर इस भूमि को नीलकंठ महादेव मंदिर ट्रस्ट की बताकर अपना पल्ला झाड देती है, वहीं राजस्व विभाग की माने तो भूमि को भाखर दर्शाया गया है। जिससे रिटायर्ड सैनिक को अपनी ही भूमि को लेकर अलग-अलग विभागों से अलग-अलग आंकलन सुनकर आश्चर्य में और पिछले 40 वर्षों से इन विभागों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं।
भारत-पाकिस्तान के 1965 युद्ध में निभाई अहम भूमिका-
रिटायर्ड सैनिक लोकमानदास गोयल ने वर्ष 1965 में पाकिस्तान के साथ हुये युद्ध में केप्टन अमरिन्दरसिंह के नेतृत्व में खेमकरण सैक्टर अमृतसर में पाकिस्तान के ऑपरेशन जिब्राल्टर का मुहतोड जवाब देते हुये लाहोर से महज 3 किलोमीटर दूर तक भारतीय सेना में अपनी भागीदारी निभाते हुये दुश्मनों को लोहा मनवाया था, जिससे भारतीय सेना ने रिटायर्ड सैनिक गोयल को युद्ध सेवा मेडल से नवाजा था। हिमालय माउंटेन के 4डीव – 3डीव में रहते हुये हिमालय क्लाईमिंग के लिये मेडल से भी नवाजा गया था, इस तरहकी अहम सेवाएं देकर रिटायर्ड हुये थे लोकमानदास गोयल।

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