Home हेल्थ सीके बिरला हॉस्पिटल में हुई री-रिवीजन हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी

सीके बिरला हॉस्पिटल में हुई री-रिवीजन हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी

33
0
Google search engine

जयपुर: 78 वर्ष के सोहनलाल (परिवर्तित नाम) के लिए मुसीबतें तब और बढ़ गई थीं जब तीसरी बार उनका हिप जॉइंट खराब हो गया और वे पूरी तरह बिस्तर पर आ गए। जोड़ प्रत्यारोपण सर्जरी दूसरी बार करने में ही कई चुनौतियां होती हैं। मरीज का तीसरी बार जोड़ खराब हुआ और साथ ही उन्हें हड्डियों की एंकालूजिंग स्पॉन्डिलाइटिस नाम की गंभीर बीमारी भी थी। ऐसे में उन्हें राहत मिली शहर के सीके बिरला हॉस्पिटल में। यहां सीनियर जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. ललित मोदी ने एक जटिल री-रिवीजन हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी कर मरीज का तीसरी बार हिप जॉइंट ठीक किया।

गिरने से खराब हुआ हिप जॉइंट, फ्रैक्चर भी हुआ – डॉ. ललित मोदी ने बताया कि मरीज का 20 साल पहले कूल्हे के जोड़ की रिप्लेसमेंट सर्जरी हुई थी। फिर 8 साल बाद जोड़ के खराब होने पर उनकी वापस सर्जरी हुई। अब गिरने के कारण उनका कृत्रिम जोड़ ढीला पड़ गया था और हड्डी में भी फ्रैक्चर हो गया था। तीसरी बार में स्थिति गंभीर थी और वे पूरी तरह से बिस्तर पर आ गए थे। उन्हें एंकालूजिंग स्पॉन्डिलाइटिस नाम की गंभीर बीमारी थी जिसमे शरीर के सभी जोड़ों की चाल बिल्कुल खत्म हो जाती है।

सर्जरी में थी कई चुनौतियां – इस केस में दो बड़ी चुनौतियां, सर्जरी और एनेस्थिसिया था। हिप जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी में सामान्यतः कमर के जरिए एनेस्थिसिया दिया जाता है। लेकिन इस केस में ऐसा संभव नहीं था क्योंकि रीढ़ के बीच की कोमल जगह खत्म हो गई थी और पूरी रीढ़ एक हड्डी में बदल गई थी। ऐसे में जनरल एनेस्थिसिया दिया जाता है लेकिन इसमें भी चुनौती थी क्योंकि बीमारी के कारण गर्दन नहीं हिल सकती थी और उनके मुंह में भी पाइप नहीं डाला जा सकता था। हालांकि हॉस्पिटल में आधुनिक तकनीक फाइबर ऑप्टिक स्कोप उपलब्ध था जिसके जरिए पाइप डाला जा सका। हॉस्पिटल के सीनियर एनिस्थिसिया विशेषज्ञ डॉ. अतुल पुरोहित और ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. हितेश जोशी का विशेष सहयोग रहा।

तीन घंटे चली जटिल सर्जरी रही सफल – मरीज की पहले दो बार सर्जरी हो चुकी थी जिसके कारण अंदरूनी संरचना में काफी बदलाव हो चुका था। डॉ. ललित मोदी ने बताया कि सर्जरी के दौरान उनके हिप जॉइंट में बॉल के डिस्लोकेशन होने का खतरा बढ़ गया था। फ्रैक्चर पहले से ही था और हड्डी भी पूरी तरह से गल चुकी थी। उनकी हड्डी बहुत कमजोर थी इसीलिए स्पेशल इंप्लांट का इस्तेमाल किया गया। फ्रैक्चर को भी वायर का इस्तेमाल करके ठीक किया गया। तीन घंटे चली सर्जरी के 5 दिन बाद उन्हें वॉकर की सहायता से चलाना शुरू किया। करीब डेढ़ महीने बाद वे सामान्य तरीके से चलने में सक्षम हुए और अब सामान्य जीवन जी पा रहे हैं।

Google search engine

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here