– लघु एवं मध्यम उद्योगों को राहत देने का प्रयास
– 50 हेक्टेयर तक की माइनिंग लीज के साथ 300 बेड तक के अस्पताल एवं एरियल रोप वे की सम्मति दें सकेंगे क्षेत्रीय अधिकारी
जयपुर, दिव्य राष्ट्र/ विकसित राजस्थान की संकल्पना को साकार करने की दृष्टि से राज्य सरकार द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे है। वहीँ मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा की राज्य की जनता एवं हितधारकों के हितों को सर्वोपरि रखने की सोच को साकार करने के क्रम में राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा इस दिशा में सार्थक प्रयास किये जा रहे है। जिसके तहत हाल ही में मंडल मुख्यालय में सम्मति/प्राधिकार देने की शक्तियों का विकेन्द्रीकरण किया गया ताकि लघु एवं मध्यम उद्योगों को राहत मिल सके और वे मंडल मुख्यालय की जगह क्षेत्रीय कार्यालयों पर ही सम्मति / प्राधिकार सुगमता से प्राप्त कर सकें।
मुख्य पर्यावरण अभियंता प्रेमालाल ने बताया कि ईज ऑफ़ डूइंग बिजनेस के क्षेत्र राज्य नए आयाम स्थापित करे एवं लघु एवं मध्यम उद्योगों की स्थापना के लिए सुलभता प्रदान करने को देखते हुए मंडल द्वारा लाल एवं नारंगी रंग की क्ष्रेणी में आने वाले मुख्य उद्योगों के सम्मति / प्राधिकार एवं अन्य कार्यवाही हेतु क्षेत्रीय अधिकारीयों को शक्तियां प्रदत की गयी है।
लाल श्रेणी के 8 एवं नारंगी क्ष्रेणी के 2 उद्योगों को मुख्यता दी गयी राहत—
प्रेमालाल ने बताया कि मुख्यालय की शक्तियों के विकेंद्रीकरण के तहत नारंगी क्ष्रेणी के अंतर्गत 50 हेक्टेयर तक के टाउनशिप व एरिया डेवलपमेंट प्रोजेक्ट एवं वृहद स्तर तक के खाद्य और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयाँ जिनमें फल और सब्ज़ियाँ प्रसंस्करण आदि शामिल हैं, ऐसे उद्योगों को अब सम्मति/ प्राधिकार क्षेत्रीय कार्यालय स्तर से ही प्राप्त हो सकेंगे। वहीँ लाल क्ष्रेणी के अंतर्गत कुल 8 प्रकार उद्योगों को राहत प्रदान की गयी है। जिसके तहत 50 हेक्टेयर तक की माइनिंग लीज, 300 बेड तक के अस्पताल, डेयरी एवं डेयरी उत्पादों से सम्बंधित सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम,गैर-अल्कोहलिक पेय पदार्थ और अल्कोहल/गैर-अल्कोहलिक उत्पादों की बोतलबंदी सम्बंधित सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम,क्षेत्रीय कार्यालय के अंतर्गत उद्योगों में स्थापित/प्रस्तावित स्टैंडअलोन बायोमास आधारित विद्युत संयंत्र या कैप्टिव बायोमास आधारित विद्युत संयंत्र, खतरनाक और अन्य अपशिष्ट नियम 2016 की अनुसूची 4 के अंतर्गत खतरनाक अपशिष्ट के पुनर्चक्रण/पुनर्प्रसंस्करण/पुनर्प्राप्ति/पुनः उपयोग में लगे लघु उद्योग,एरियल रोप वे के साथ औद्योगिक एस्टेट/पार्क/कॉम्पलेक्सेस/निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र/विशेष आर्थिक क्षेत्र/बायोटेक पार्क/लेदर काम्प्लेक्स शामिल है।
– हजार्डियास अपशिष्ट रीसाइक्लिंग को मिलेगा प्रोत्साहन, रियल एस्टेट सेक्टर को भी मिलेगी राहत
मुख्य पर्यावरण अभियंता ने बताया कि उक्त उद्योगों को पूर्व में सम्मति/ प्राधिकार समबन्धित कार्यवाही मंडल मुख्यालय द्वारा की जाती थी। जोकि कहीं न कहीं एक जटिल प्रक्रिया थी। अब राज्य में हजार्डियास अपशिष्ट रिसाइक्लिंग को बढ़ावा मिल सकेगा, जिससे हजार्डियास अपशिष्ट से होने वाले प्रदूषण की समस्या से छुटकारा मिल सकेगा। वहीँ रियाल स्टेट क्षेत्र को भी राहत मिलेगी तथा 300 बेड तक के अस्पतालों को आसानी से क्षेत्रीय/स्थानीय स्तर पर ही सम्मति/प्राधिकार प्राप्त हो सकेंगे। मंडल द्वारा हितधारकों के हितों का विशेष ध्यान रखते हुए एवं उनकी समस्याओं का समाधान करने हेतु ईज ऑफ़ डूइंग बिजनेस के तहत क्षेत्रीय अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र विस्तृत किये जा रहे है। ऐसा करने से न केवल राज्य में उद्योगों की स्थापना एवं संचालन में आसानी होगी बल्कि आर्थिक क्षेत्र में भी राज्य एक नए आयाम स्थापित करने की राह में आगे बढ़ सकेगा।