‘ऑपरेशन सिंदूर’ – नई नीति, निर्णायक भारत

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(डॉ. गोविंद पारीक)

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की कहानी जितनी पुरानी है, उतनी ही जटिल और संवेदनशील भी। विभाजन के बाद से लेकर अब तक दोनों देशों के रिश्तों में विश्वास की जगह अविश्वास और शांति की जगह संघर्ष ने ले ली है। चार युद्ध, अनेक सीमाई झड़पें और आतंकवाद की पीठ पर चल रही अघोषित लड़ाई—इन सबका केंद्र बिंदु हमेशा जम्मू-कश्मीर रहा है। किंतु अब भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह केवल सहने वाला राष्ट्र नहीं रहा; अब वह ठोस जवाब देने वाला राष्ट्र है—वह भी सटीक, संयमित और निर्णायक।

आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई

हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में निर्दोष नागरिकों की मौत ने देश को झकझोर दिया। इस घटना के महज 14 दिन के भीतर भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक एयर स्ट्राइक कर दी। यह न केवल एक जवाबी कार्रवाई थी, बल्कि यह भारत की आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति का जीवंत उदाहरण भी था।

यह ऑपरेशन भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना की संयुक्त रणनीति का परिणाम था। कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका द्वारा साझा जानकारी के अनुसार, इस अभियान के दौरान किसी भी निर्दोष नागरिक को नुकसान न पहुंचे, इसका विशेष ध्यान रखा गया। आतंकियों के प्रमुख अड्डों जैसे बहावलपुर, मुरिदके, सियालकोट और मुजफ्फराबाद स्थित शिविरों को ध्वस्त किया गया।

तकनीक और रणनीति का समन्वय

‘ऑपरेशन सिंदूर’ की खास बात यह रही कि इसमें उन्नत हथियार प्रणालियों जैसे स्कैल्प और हैमर मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया। सैटेलाइट इंटेलिजेंस, AI आधारित विश्लेषण, और ड्रोन तकनीक के समन्वय से यह सुनिश्चित किया गया कि लक्ष्य पर सटीक वार हो, और collateral damage न हो। इससे यह स्पष्ट हो गया कि भारत अब न केवल सैन्य बल, बल्कि तकनीकी श्रेष्ठता के साथ लड़ रहा है।

इसके अतिरिक्त, सीमाओं पर निगरानी को और मजबूत किया गया है। थर्मल इमेजिंग, ड्रोन रोधी तकनीक और फेंसिंग निगरानी से यह तय किया जा रहा है कि कोई भी घुसपैठकारी सीमा पार न कर सके।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की रणनीतिक कूटनीति

भारत की इस कार्रवाई को केवल सैन्य दृष्टि से ही नहीं, बल्कि कूटनीतिक दृष्टिकोण से भी सफल कहा जा सकता है। अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, सऊदी अरब और यूएई जैसे प्रमुख देशों को इस कार्रवाई की पूर्व जानकारी दी गई। भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अमेरिकी समकक्ष मार्को रुबियो के बीच संवाद ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत कोई उकसावे की कार्रवाई नहीं कर रहा, बल्कि यह एक ‘नपी-तुली, जिम्मेदार और वैधानिक’ प्रतिक्रिया है।

अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी भारत की इस नीति की सराहना की गई है। पाकिस्तान की दुष्प्रचार मुहिम का भारत ने डिजिटल डिप्लोमेसी के माध्यम से प्रभावी जवाब दिया है। सोशल मीडिया, वैश्विक न्यूज़ प्लेटफॉर्म और सामरिक मंचों पर भारत की स्थिति मज़बूत हुई है।

पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति और भारत की परिपक्वता

वहीं पाकिस्तान आंतरिक रूप से भारी अस्थिरता का सामना कर रहा है। आर्थिक बदहाली, राजनीतिक अनिश्चितता और आतंकवादियों को संरक्षण देने की नीति ने उसे वैश्विक मंचों पर अलग-थलग कर दिया है। FATF की सूची और IMF की शर्तों ने उसकी संप्रभुता को सीमित कर दिया है। ऐसे में पाकिस्तान अपनी जनता का ध्यान भटकाने के लिए भारत विरोधी गतिविधियों को हवा देता है।

किन्तु भारत अब इन चालों को भली-भांति समझ चुका है। ‘नई नीति, नई रणनीति’ के तहत भारत संयम बरतता है, लेकिन कमजोरी नहीं दिखाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं इस अभियान की निगरानी कर रहे थे, जो इस बात का प्रतीक है कि अब भारत राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ आगे बढ़ रहा है।

भारत की सैन्य श्रेष्ठता

स्वीडन स्थित थिंक टैंक सिपरी की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में भारत का रक्षा खर्च पाकिस्तान की तुलना में 9 गुना अधिक था। भारत आज दुनिया की शीर्ष 5 सैन्य शक्तियों में शामिल है। पाकिस्तान के पास न रणनीतिक क्षमता है, न ही संसाधन कि वह भारत को सैन्य स्तर पर चुनौती दे सके। यही कारण है कि वह छद्म युद्ध और आतंकवाद का सहारा लेता है।

लेकिन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी कार्रवाइयाँ यह संकेत देती हैं कि अब भारत ऐसे हमलों को मात्र सुरक्षा चुनौती नहीं, बल्कि संप्रभुता पर आक्रमण मानता है और उसी स्तर की प्रतिक्रिया देता है।

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