मुंबई, दिव्यराष्ट्र/ एशिया के प्रमुख डायलिसिस सेंटर नेटवर्क, नेफ्रोप्लस ने हेमोडायलिसिस मरीजों में हेपेटाइटिस सी संक्रमण की समस्याओं से निपटने के लिए एक नया और असरदार कार्यक्रम शुरू किया है, खासकर उन जगहों पर जहां संसाधन कम हैं। यह पहल नेफ्रोप्लस की मरीजों के इलाज को बेहतर बनाने और स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को दिखाती है। हेपेटाइटिस सी एक ऐसा संक्रमण है जो अक्सर बिना लक्षण के रहता है और यह उन मरीजों को ज्यादा प्रभावित करता है जो नियमित रूप से हेमोडायलिसिस करवा रहे होते हैं। डायलिसिस यूनिट्स में जोखिम के कारक एक साथ होने से मजबूत सुरक्षा, जांच, और इलाज के तरीके अपनाने की जरूरत होती है। नेफ्रोप्लस ने इस स्वास्थ्य प्रणाली की कमी को दूर करने के लिए एक ऐसा तरीका अपनाया है जो डॉक्टरों द्वारा संचालित है, और यह मरीजों और सिस्टम दोनों के लिए फायदेमंद है।
2022 से 2024 के बीच, नेफ्रोप्लस ने बिहार और आंध्र प्रदेश के 11 डायलिसिस क्लिनिक में हेमोडायलिसिस मरीजों की हेपेटाइटिस सी के लिए जांच की, यह एक सार्वजनिक-निजी साझेदारी कार्यक्रम के तहत किया गया। जांच के लिए एचसीवी आरएनए पीसीआर तरीका इस्तेमाल किया गया, जो 60 साल से कम उम्र के मरीजों पर केंद्रित था, जिनमें कोई अन्य बीमारी नहीं थी और जो तीन महीने तक हर हफ्ते दो डायलिसिस सत्र कर रहे थे। ऐसे मरीज जिनमें वायरस पाया गया, उनका इलाज 12 सप्ताह तक सोफोसबुविर और वेलपैटिसविर के संयोजन से किया गया, तथा वायरल में कमी होने का निर्धारण करने के लिए इलाज के बाद एचसीवी आरएनए के स्तर का मूल्यांकन किया गया।
अध्ययन से पता चला कि 11 सेंटर में हेपेटाइटिस सी का संक्रमण 2% से 21% तक फैला हुआ था, एचसीवी एल जी एम एलिसा विधि का उपयोग करके 114 मरीजों में हेपेटाइटिस सी वायरस के लिए किया गया टेस्ट पॉजिटिव पाया गया। इनमें से 94 मरीज ऐसे थे जो शामिल किये जाने के मानदंडों पर खरे उतरे और उनमें से 85 ने भाग लेने की सहमति दी। मरीजों की औसत आयु 45 वर्ष थी, जिनमें 80% पुरुष और 20% महिलाएँ थीं। सभी मरीज आर्टेरियोवेन्स फिस्टुला का उपयोग कर रहे थे, और वे सप्ताह में औसतन 2.5 बार हेमोडायलिसिस करवा रहे थे।
85 प्रतिभागियों में से 37 मरीज एचसीवी आरएनए पीसीआर नेगेटिव निकले। इससे पता चलता है कि हेपेटाइटिस सी की जाँच करते समय एचसीवी आरएनए को हमेशा प्राथमिकता दी जानी चाहिए। 48 एचसीवी आरएनए पॉजिटिव मरीजों में से 38 ने पूरा इलाज करवाया तथा 33 मरीजों ने वायरल से छुटकारा पाया।
यह वास्तव में सभी स्टेकहोल्डर्स के लिए फायदेमंद था। मरीजों को सबसे ज़्यादा फायदा हुआ, क्योंकि उनका बिना किसी अतिरिक्त खर्च के सफलतापूर्वक इलाज किया गया और अब वे बेहतर परिणाम की आशा कर सकते हैं, क्योंकि हेपेटाइटिस सी संक्रमण की वजह से जीवित रहने की संभावना और अन्य परिणामों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। सरकार को फायदा हुआ क्योंकि सफल उपचार से इन मरीजों के स्वास्थ्य देखभाल की लागत कम हो गई। कंपनी को भी फायदा हुआ क्योंकि हेपेटाइटिस सी संक्रमित मरीजों का इलाज उन मरीजों की तुलना में महंगा है जो इस वायरस से संक्रमित नहीं हैं।
डॉ. सुरेश संकर, सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, क्लिनिकल अफेयर्स, नेफ्रोप्लस ने कहा, नेफ्रोप्लस का यह नया कार्यक्रम दिखाता है कि सक्रिय एचसीवी आरएनए टेस्टिंग और इलाज न सिर्फ गलत नतीजों को रोकता है, बल्कि डायलिसिस यूनिट्स में बीमारी का बोझ और संक्रमण का खतरा भी कम करता है।” इस पहल से मरीजों के इलाज के नतीजे बेहतर हुए हैं और यह स्वास्थ्य प्रणाली के लिए सस्ता समाधान साबित हुआ है | नेफ्रोप्लस की बेहतर देखभाल और नए स्वास्थ्य समाधान के लिए प्रतिबद्धता डायलिसिस क्षेत्र में नए मानक बना रही है, जिससे कम संसाधनों वाले क्षेत्रों में भी मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य मिल रहा है।