दिव्यराष्ट्र, जयपुर: मेटेरियल रिसाइक्लिंग एसोसिएशन ऑफ इण्डिया (एमआरएआई) की ओर से आयोजित 12वीं अंतर्राष्ट्रीय मेटेरियल रिसाइक्लिंग कॉन्फ्रेंस (आईएमआरसी) आज अगले कॉन्फ्रेंस में मने के वादे के साथ सम्पन्न हो गई । इस तीन दिवसीय आयोजन के दौरान गहन चर्चा और महत्वपूर्ण नीतिगत विचार-विमर्श हुए जिनमें देश विदेश से आए अनेक प्रतिष्ठित वक्ताओं ने अपने विचार साझा किए।
एमआरएआई 12वां आईएमआरसी सिर्फ़ विचार-विमर्श के लिए आयोजित एक सम्मेलन नहीं था, बल्कि यह रीसाइक्लिंग और सस्टेनेबलेटी के प्रति भारत के दृष्टिकोण को नया आकार देने की दिशा में एक शक्तिशाली कदम था। जैसे जैसे यह कार्यक्रम सम्पन्न हुआ, यह स्पष्ट हो गया कि सस्टेनेबलेटी अब एक दृष्टिकोण नहीं बल्कि एक आंदोलन है, जिसमें प्रगति पहले से ही आकार ले रही है।
परिवर्तनकारी चर्चाओं के लिए मंच तैयार करते हुए, एमआरएआई के प्रेसिडेन्ट श्री संजय मेहता ने व्यक्तिगत कार्रवाई की शक्ति का जोरदार पक्ष लिया और माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मिशन एलआईएफई (लाइफ लाइफस्टाइलफॉर एनवायमेंट) से प्रेरित होकर, उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘लाइफ का मतलब है ‘प्रो-प्लैनेट पीपल‘ बनना। दुनिया को बदलने की शुरुआत खुद को बदलने से होती है। जब सोच समझकर रीसाइक्लिंग की जाती है, तो इससे प्रकृति पर पड़ने वाले दबाव को कम किया जा सकता है। हमें घर, दफ्तरों और कारखानों में उचित सेग्रीगेशन का अभ्यास करके इसकी शुरुआत करनी चाहिए।‘‘
उनके सारगर्भित व्याख्यान को उपस्थित लोगों सराहा, जिसमें समाज द्वारा वेस्ट को देखने और मैनेज करने के तरीके में एक मौलिक बदलाव का आग्रह किया गया। उन्होंने जोर देकर कहा कि रीसाइक्लिंग एक सचेत अभ्यास होना चाहिए, न कि केवल एक नियामक ‘टिक-बॉक्स‘।
एमआरएआई के निदेशक धवल शाह ने राष्ट्रीय आंदोलन का आह्वान करके इस बात को और पुख्ता किया। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘हमें जागरूकता बढ़ाने और रीसाइक्लिंग क्षेत्र में अपार अवसरों का पता लगाने के लिए एक अभियान ‘रीसाइक्लिंग इंडिया‘ की जरूरत है। उनके विजन ने भारत को एक जिम्मेदार सर्कुलर इकोनॉमी द्वारा संचालित सस्टेनेबल रिसोर्स मैनजमेंट में ग्लोबल लीडर के रूप में चित्रित किया।
नीति निर्माण और ग्लोबल एंगेजमेंट को बढ़ावा देना
एमआरएआई के सेक्रेटरी जनरल श्री अमर सिंह ने ‘पॉलिसी इनिशिएटिव इन ट्रेड (स्क्रैप)’ सत्र के दौरान महत्वपूर्ण नीतिगत प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने सरकारी अधिकारियों के साथ एमआरएआई के व्यापक जुड़ाव का खुलासा किया, जिसमें मात्र 60 दिनों में 70 बैठकें आयोजित की गईं।
एक बड़ी सफलता को साझा करते हुए, सिंह ने घोषणा की कि जवाहरलाल नेहरू एल्युमीनियम रिसर्च डेवलपमेंट एण्ड डिजाइन सेंटर (जेएनएआरडीडीसी) को खान मंत्रालय द्वारा मैटल रिसाइकिलिंग ऑथरेटी के रूप में अधिकृत किया गया है। इस विकास को एक स्ट्रक्चर्ड एण्ड रेगूलेटेड रिसाइकिलिंग ईकोसिस्टम की ओर एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में सराहा गया।
इस चर्चा के दौरान ग्लोबल ट्रेड चैलेंजेज पर भी प्रकाश डाला गया, श्री संजय मेहता ने यूरोपीय और यूके के नियमों के साथ तालमेल बिठाने के लिए एमआरएआई के सक्रिय प्रयासों पर जोर दिया। भविष्य में होने वाली बाधाओं को कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ सहयोगात्मक कार्य चल रहे हैं।
एक सर्कूलर फ्यूचर के लिए इनोवेशन
तीसरे दिन एडवांस टेक्नोलॉजीज ई-वेस्ट मैनेजमेंट और ऑटोमोटिव सर्कूलरेटरी पर चर्चा ने ध्यान आकर्षित किया। प्लास्टिक और टायर रीसाइक्लिंग पर चर्चा ने एनवायरमेंट गोल्स को प्राप्त करने में रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट के महत्व को रेखांकित किया।
एक गौरवपूर्ण क्षण तब आया जब रीसाइक्लिंग उद्योग में उत्कृष्ट योगदान के लिए ग्रेविटा इण्डिया को ‘ग्लोबल रीसाइक्लर ऑफ द ईयर‘ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
एमआरएआई के 12वें आईएमआरसी में एक विशेष सत्र में दो महत्वपूर्ण सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को आगे बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित किया गया: लैंगिक समानता (एसडीजी 5) और सभ्य कार्य एवं आर्थिक विकास (एसडीजी 8)। एक संपन्न रीसाइक्लिंग क्षेत्र को आकार देने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, सत्र ने रीसाइक्लिंग में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से विविधता और समावेश को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
वक्ताओं ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे ग्लोबल पॉलिसीज और कार्यान्वयन ढांचे संसाधन दक्षता में सुधार और सस्टेनेबल प्रेक्टिसेज को बढ़ावा देने के लिए महिलाओं की भूमिका को प्राथमिकता दे रहे हैं। एजेंडा विचारों पर मंथन करना और उद्योग के भीतर विविधता और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए एमआरएआई की पहल का समर्थन करना था।
जयपुर नगर निगम की मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर ने इस क्षेत्र में महिला उद्यमियों की भागीदारी बढ़ाने का आग्रह किया। मिनिषा (सलाहकार एमआरएआई) और सुश्री सूसी बुरेज ओबीई, बीआईआर की अध्यक्ष और बीआईआर के महानिदेशक श्री अर्नाे बू्रनेट के योगदान की सराहना करते हुए डॉ. गुर्जर ने कहा, ‘‘रीसाइक्लिंग में महिलाओं को सशक्त बनाने से सस्टेनेबिलिटी के लिए इनोवेशन और नए दृष्टिकोण सामने आते हैं।‘‘
कॉन्फ्रेंस के निर्णायक क्षणों में से एक एमआरएआई द्वारा महाराष्ट्र के मालेगांव में एक अपूर्व रीसाइक्लिंग हब स्थापित करने की दिशा में अपनी प्रगति की घोषणा थी। जीआईजेड और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के समर्थन से, यह साहसिक पहल वैश्विक रीसाइक्लिंग ईकोसिस्टम में भारत की भूमिका को बदलने के लिए तैयार है। यह देश के स्थिरता प्रयासों को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जबकि भारत को दुनिया भर में सर्कुलर ईकोनॉमी प्रेक्टिसेज के भविष्य को आगे बढ़ाने वाली एक शक्तिशाली शक्ति के रूप में स्थापित करता है।
12वें आईएमआरसी में रीसाइक्लिंग उद्योगों के लिए सरकार के बढ़ते समर्थन, उनकी नींव को मजबूत करने और भारत के लिए ग्लोबल बैंचमार्क स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त करने पर भी गहन चर्चा हुई। नेट जीरो लक्ष्यों को प्राप्त करने पर सामूहिक ध्यान के साथ, इस कार्यक्रम ने पॉलिसी मेंकर्स, इण्डस्ट्री लीडर्स और इनोवेटर्स के बीच सहयोग की परिवर्तनकारी शक्ति को रेखांकित किया।
इस आयोजन के प्रभाव पर विचार व्यक्त करते हुए, एमआरएआई के प्रेसिडेन्ट श्री संजय मेहता ने कहा, इन तीन दिनों में ‘परिवर्तनकारी विचार और कार्रवाई योग्य नजरिया यहां उभर कर आया हैं। सस्टेनेबल रिसोर्सेज मैनेजमेंट के लिए हमारा संकल्प और मजबूत हुआ है।