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मुंबई में आयोजोत हुआ”विशाल हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला

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मुंबई, दिव्यराष्ट्र/ “विशाल हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला 2025” का रविवार को समापन हुआ, जहां धर्म, एकता और समाज सेवा का संदेश हर दिल में गूंज उठा। इस आयोजन में जैन समाज के चारों संप्रदाय के आचार्य प्रणाम सागर महाराज,आचार्य वैभव सागर महाराज, आचार्य भगवंत मुक्तिवल्लभ सुरिंश्वर सहित अनेक साधू, साध्वी सहित अनेक हस्तियों ने उपस्थिति दर्ज की।

अतिथि के रूप में उपस्थित जैन स धर्म के चारों सम्प्रदाय के साधू संत की उपस्थिति हुई, कार्यक्रम अध्यक्ष के.सी. जैन , वीरेंद्र पी. शाह , घेवरचन्द बोहरा , गिरीश शाह ,तथा अन्य समाजसेवी, उद्योगपति और श्रद्धालुओ ने इस ऐतिहासिक आयोजन में भाग लिया।

समापन समारोह में कार्यक्रम केअतिथि ने देश की समृद्धि और एकता के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

अपने संबोधन में देवेन्द्र ब्रह्मचारी ने हिंदुत्व और जैन धर्म की एकता और सहिष्णुता की अहमियत पर प्रकाश डाला। उन्होंने यह कहा, “हमारे धर्मों में अहिंसा, आत्म-साक्षात्कार, और मोक्ष की प्राप्ति पर जोर दिया गया है। हमें धर्म की रक्षा के लिए हमेशा एकजुट रहना होगा, और यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर सुरक्षित रहे।”

कार्यक्रम के आयोजन में विशेष रूप से जैन समुदाय का महत्वपूर्ण योगदान रहा और इसे ‘सर्वधर्म एकता’ के सिद्धांत के अनुरूप एकता और सद्भाव का प्रतीक माना गया। इस आयोजन के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि हम सभी एक हैं, और हमें धर्म की रक्षा करते हुए अपनी परंपराओं को आगे बढ़ाना चाहिए।

कार्यक्रम के अध्यक्ष के.सी. जैन ने समाज में एकता और सद्भाव फैलाने के लिए हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा संस्थान के योगदान की सराहना की। इसके साथ ही, उन्होंने आयोजकों, समाजसेवियों और स्वयंसेवकों का भी धन्यवाद किया, जिनकी निस्वार्थ सेवा से इस मेले का आयोजन सफल रहा।

इस अवसर पर महिलाओं के उत्थान, समाज सेवा और राजनीति में उत्कृष्टता को लेकर अपने विचार व्यक्त किए, वहीं वीरेंद्र पी. शाह और ने भी समाज की बेहतरी के लिए अपने योगदान को साझा किया।

समापन में आयोजक की तरफ से गिरीश भाई शाह, अमर शर्मा, ललित बहेती, अशोक दोषी लगायत ने सभी उपस्थित लोगों को उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया और आग्रह किया कि इस मेले से मिली प्रेरणा को अपने जीवन में उतारते हुए समाज के हर क्षेत्र में फैलाने का प्रयास करें।

अंत में, उन्होंने सभी धर्मगुरुओं और नेताओं से अपील की कि हम सब मिलकर धर्म को एकजुटता, सहिष्णुता और मानवता के आदर्शों के माध्यम से देखे, ताकि हम समाज में शांति, प्रेम और सद्भाव को प्रोत्साहित कर सकें।

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