प्रबंधन सीखे मारुतिनंदन से

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(डॉ.सीमा दाधीच)

हर वर्ष चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि को पूरे श्रद्धा और भक्ति से हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है यह श्री राम के परम भक्त कहलाए और पहले ऐसे भक्त है जो वानर रूप में जन्म लेकर सूर्यवंशी राजा के काम आए।
हनुमान भगवान रूप में घर घर भगवान शिव के ग्यारहवां रुद्र अवतार माने जाते है। हनुमान को 8 चिरंजीवियों में से एक माना गया है। हनुमान जी को आंजनेय,बजरंगबली, केसरीनंदन और मारुति अञ्जनि सुत, पवनपुत्र, संकटमोचन, केसरीनन्दन,महावीर, कपीश,शङ्कर सुवन आदि नाम से भी जाना जाता है। हनुमान जी युवा पीढ़ी के लिए प्रेरकपुंज माने जाते है हनुमान जी से बल और बुद्धि के बीच संतुलन, समर्पण,और दृढ़ संकल्प की सीख मिलती है,जो हनुमान चालीसा में वर्णित है। हनुमान चालीसा में 40 चौपाई हैं और इन 40 चौपाइयों से हमें जीवन में बहुत कुछ सीखने को मिलता है हनुमान चालीसा की शुरुआत में “श्री गुरु चरण सरोज रज निज मन मुकुर सुधारी”अर्थात अपने गुरु के चरणों की धूल से अपने मन के दर्पण को साफ करता हूं इसमें गुरु की महिमा सिखाई गई है जीवन में प्रत्येक इंसान को गुरु के महत्व को समझना चाहिए।
महाबली हनुमान से हमे सीखना चाहिए कैसे लक्ष्य के प्रति समर्पित रह कर हनुमान वानर रूप में अवतार लेकर नर से नारायण बन घर घर पूजे गए। इन्होंने शक्ति और बुद्धि का संतुलन,लक्ष्य के प्रति समर्पण, आत्मविश्वास, साहस,सकारात्मक, प्रेरणा और गुरु का सम्मान के साथ
वीरता, विवेक की शिक्षा भी दी जो हमें हनुमान चालीसा से मिलती है। हनुमान चालीसा से आत्मविश्वास की सीख भी मिलती है।
हनुमान ने अपने जीवन में पूर्ण निष्ठा और समर्पण भाव से श्री राम की भक्ति में लीन रहकर उनके कार्य को प्राथमिकता दी और माता सीता ने उन्हें
अष्ट सिद्धि और निधि प्रदान की ये माता सीता को श्रीराम से विवाह के पश्चात् जानकी की विदाई के समय उनके पिता जनक ने दि थी अष्ट सिद्धि नौ निधि इसलिए दी क्यों की वे जानते थे की समयानुसार इसे आपातकाल आएगा तब इसे अष्ट सिद्धि नौ निधि के जरूरत पड़ेगी। लेकिन माता सीता ने इनका प्रयोग नहीं किया और हनुमान जी सच्ची समर्पण और निष्ठा को देख कर माता ने हनुमान को 8 सिद्धियां और 9 निधियां प्राप्त करने का वरदान दिया था, जिससे हनुमान जी इन शक्तियों को प्राप्त कर सके।अष्ट सिद्धियाँ कोई साधारण नहीं है यह विशेष शक्तियों से संपन्न बनाती हैं ये इस तरह की है 1.अणिमा: इसे प्राप्त कर हनुमान जी अति सूक्ष्म रूप धारण कर सकते हैं।2.महिमा: हनुमान जी विशाल रूप धारण कर सकते हैं।3.गरिमा: हनुमान जी अपना वजन बढ़ा सकते हैं।4.लघिमा: हनुमान जी अपना वजन कम कर सकते हैं।5.प्राप्ति: हनुमान जी कोई भी वस्तु प्राप्त कर सकते हैं।6.प्राकाम्य: हनुमान जी अपनी इच्छा के अनुसार कार्य कर सकते हैं।7.ईशित्व: हनुमान जी को दैवीय शक्तियां प्राप्त हैं।8.वशित्व: हनुमान जी किसी को भी वश में कर सकते हैं।
हनुमान जी के पास माता सीता द्वारा दी गई नौ निधियां ये है। 1.पद्म निधि : इस निधि से संपन्न व्यक्ति सात्विक होता है और जीवन में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है। ऐसे लोग बहुत उदारवादी होते हैं और दान-पुण्य के कार्यों में रुचि रखते हैं।2.महापद्म निधि : पद्म निधि की तरह महा पद्म निधि से संपन्न व्यक्ति सात्विक होता है। लेकिन यह केवल 7 पीढ़ियों तक प्रभावी रहता है। इस निधि से संपन्न व्यक्ति दान-पुण्य के कार्यों में विश्वास रखते हैं और 7 पीढ़ियों तक सुख-समृद्धि और खुशहाली में जीवन गुजारते हैं।3.नील निधि : इसमें सत्व और जन दोनों गुण होते हैं। इस निधि का प्रभाव केवल 3 पीढ़ियों तक रहता है।4.मुकुंद निधि : मुकंदु निधि से सुशोभित व्यक्ति में रजोगुण होता है। इस निधि से संपन्न व्यक्ति का मन राज्य संग्रह में लगा रहता है। एक पीढ़ी के बाद यह निधि समाप्त हो जाती है।5.नंद निधि : नंद निधि से युक्त व्यक्ति रज और तम दोनों गुणों वाला होता है। यह निधि साधक को दीर्घायु और उन्नति प्रदान करती है।6.मकर निधि :इस निधि से संपन्न व्यक्ति अस्त्र-शस्त्र का संग्रह करने वाला होता है। ऐसे जातक का शत्रुओं पर प्रभुत्व रहता है। राजा और प्रशासन में काफी प्रभाव रखता है।7.कच्छप निधि : कच्छप निधि का व्यक्ति तामस गुण वाला होता है। ऐसे लोग धन छिपाकर रखते हैं। वह न स्वंय उसका उपयोग करते हैं और न ही दूसरों को करने देते हैं।8.शंख निधि : शंख निधि प्राप्त करने वाला व्यक्ति भोग और विलास की इच्छा रखता है। ऐसे लोग खूब धन कमाते हैं, लेकिन घर में दरिद्रता का वास रहता है।9.खर्व निधि : निधि से युक्त व्यक्ति में अन्य 8 निधियों का मिश्रण होता है। ऐसे निधि से संपन्न व्यक्ति के कार्यों और स्वभाव के बारे में अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।
आज मानव सीधा शॉर्ट कट चाहता है वह कठिन परिश्रम में भरोसा ही नहीं करता उसे परिश्रम करते समय हताशा मिलते ही निराशा के भाव से वो मेहनत से मुंह मोड़ लेते हैं और जीवन को संघर्ष के रूप में देखकर वह घबरा जाता है ।हमें हनुमान जी से प्रेरणा लेनी चाहिए कि हम अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहे घड़ी से कड़ी मेहनत करें।
हनुमान जी ने कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी, इसलिए युवाओं को भी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित रहना चाहिए।हनुमान जी की शक्ति और साहस से युवाओं को प्रेरणा मिलती है कि वे भी मुश्किल समय में धैर्य रखें।

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