नई दिल्ली,, दिव्यराष्ट्र/अमृता विश्व विद्यापीठम ने अमृता स्कूल फॉर सस्टेनेबल फ्यूचर्स, यूनेस्को चेयर ऑन एक्सपेरिमेंटल लर्निंग फॉर सस्टेनेबल इनोवेशन एंड डेवलपमेंट, और अमृता सेंटर फॉर वायरलेस नेटवर्क्स एंड एप्लिकेशन के सहयोग से सुनामी के जोखिम को कम करने और स्थिति को संभालने ( आईसीटीआर ) पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया, जिसका समापन विश्वविद्यालय के अमृतपुरी कैंपस में हुआ।
गोवा के राज्यपाल पी.एस. श्रीधरन पिल्लई, जो समापन समारोह के मुख्य अतिथि थे, ने अलप्पड़ जैसे छोटे क्षेत्र में इतने महत्वपूर्ण वैश्विक सम्मेलन के आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने विज्ञान के साथ परंपरा के सहज मिश्रण के प्रयासों के लिए अमृता विश्व विद्यापीठम और माता अमृतानंदमयी देवी (अम्मा) की सराहना की।
अमृता स्कूल फॉर सस्टेनेबल फ्यूचर्स के प्रधानाचार्य, डॉ. एम. रविशंकर ने इस सभा का स्वागत किया। अन्य प्रमुख वक्ताओं में शामिल थे: डॉ. टी.एम. बालकृष्णन, भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र के निदेशक; जोइचिरो यासुकावा, यूनेस्को के आपदा जोखिम कम करने की इकाई के प्रमुख; डॉ. मनीषा वी. रमेश, अमृता विश्व विद्यापीठम की प्रोवोस्ट; प्रोफेसर विनोद मेनन, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के संस्थापक सदस्य; और डॉ. सुधा अरलिकाटी, अमृता स्कूल फॉर सस्टेनेबल फ्यूचर्स में शोध प्रमुख।
कार्यक्रम के अंतर्गत “20 इयर्स ऑफ सूनामी” शीर्षक से एक वीडियो भी दिखाया गया। 13 दिसंबर को शुरू हुए इस तीन दिवसीय सम्मेलन में, 2004 के हिंद महासागर सुनामी की 20वीं वर्षगांठ पर इस घटना को याद किया गया, इसमें 15 देशों के 45 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए। इसमें मुख्य रूप से सुनामी की तैयारी, जोखिम प्रबंधन, और पुननिर्माण के उपायों पर चर्चा की गयी थी।
इस सम्मेलन में विशेषज्ञों के लेक्चर, चर्चाएं, वर्कशॉप, रिसर्च पेपर प्रेज़ेंटेशन, और प्रदर्शनियां शामिल थीं। इस समारोह में आए प्रतिनिधियों ने अलप्पड़ सुनामी मेमोरियल और आसपास के प्रभावित क्षेत्रों का भी दौरा किया, जहां जीवित बचे लोगों ने उनसे अपने अनुभव साझा किए। विभिन्न भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के छात्रों और शिक्षकों ने इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर भाग लिया।