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आईएएस डॉ. महेंद्र खड़गावत की प्रेरणादायक कहानी….

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क्रिकेटर से कलेक्टर बने डॉ. महेंद्र

पिता की शर्त थी- क्रिकेट खेलना है तो पढ़ाई में आगे रहना होगा… पहले प्रयास में आरपीएससी क्लियर की 56 की उम्र में कलेक्टर बने

(दिव्यराष्ट्र के लिए खास रिपोर्ट)
ब्यावर कलेक्टर डॉ. महेंद्र खड़गावत युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत है खास कर क्रिकेट प्रेमियों के लिए । उन्होंने खेल के साथ पढ़ाई को भी खास महत्व दिया साथ ही पिता की सीख को मानकर अपना जीवन प्रशासनिक सेवा के लिए समर्पित किया। क्रिकेटर से कलेक्टर बने खड़गावत आज भी खेल की दुनियां के लिए समर्पित है।हैं। उनके 55 साल की उम्र में अन्य सेवाओं से आईएएस बनने और 56 साल में कलेक्टर की कुर्सी संभालने की कहानी प्रेरणादायक है। वे क्रिकेट के मैदान में रनों का अंबार लगाकर रणजी द्वार तक पहुंच कर आईएएस बनने वाले राजस्थान के पहले क्रिकेटर हैं। उनकी बल्लेबाजी इतनी जबरदस्त रही कि राज्य स्तरीय सीनियर कॉल्विन शील्ड प्रतियोगिता में वे 1992 तक लगातार दो सीजन में राज्य के टॉप स्कोरर रहे, लेकिन फिर उसी साल पहले ही प्रयास
में राज्य लोकसेवा आयोग की परीक्षा में चयनित होकर सरकारी अफसर बन गए। इस तरह से एक राष्ट्रीय क्रिकेटर सरकारी सेवाओं में आ गया। फिर 30 साल तक कई विभागों में बड़े पद संभालने के बाद 2022 में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बने। क्रिकेट के मैदान से लेकर कलेक्टर की कुर्सी तक का उनका सफर चुनौतीपूर्ण रहा। कोटा आए डॉ. खड़गावत ने भास्कर को बताया कि उनकी सफलता के पीछे बड़ा रोल पिता स्व. पूनमचंद का रहा। उन्होंने शर्त रख दी थी कि क्रिकेट खेलना है तो पढ़ाई में भी अव्वल रहना होगा। पहले प्रयास में उन्होंने आरपीएससी क्लीयर की।
क्रिकेट के मैदान में डॉ. महेंद्र।
विद्यार्थियों को 4 लर्निंग… अनुशासन, मेहनत और खुद पर भरोसा है तो जीत तय
1. पिता की सख्ती से अनुशासित बने जब मैं 18 साल का था तो 1987-88 में क्रिकेट शुरू की। पिता को खेल के साथ पढ़ाई बराबर चाहिए थी। इसलिए उन्होंने एक शर्त रख दी कि खेलो, लेकिन पढ़ाई में अव्वल आना होगा। मैं मैदान में किताबें व नोट्स ले जाता। इससे नंबर अच्छे आने लगे, अनुशासित भी हो गया।
महेंद्र खड़गावत कड़ी मेहनत से हर बार प्रशासनिक सेवा में सफल रहे इसी साल 1992 में आरपीएससी परीक्षा दी। पहले
ही अटेंप्ट में सलेक्ट हो गया। वर्ष 2004 में फिर आयोग से परीक्षा पास कर राज्य अभिलेखागार में निदेशक चयनित हुआ। देश का पहला डिजिटल अभिलेखागार बना- अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। अमेरिका ने वर्ष 2017 में इन्हें बुलाकर प्रशंसा की।
*भरोसा था इसलिए यूपीएससी में बैठे*
सलेक्ट होकर आइएएस बने डॉ. खड़गावत बताते हैं कि तीस साल तक राज्य सेवा के बाद वर्ष 2022 में अन्य सेवाओं से आईएएस बना। पहली पोस्टिंग पुरातत्व एवं संग्रहालय
विभाग में राज्य निदेशक की मिली। सितंबर 2024 को सरकार ने ब्यावर कलेक्टर बनाया।
राजस्थान को रणजी चैंपियन बना मैदान में भी सफलता के झंडे गाड़े: डॉ. महेंद्र खड़गावत अफसर बनने के बाद भी क्रिकेट को प्यार करते रहे। आरसीए ने उन्हें 2010 में राजस्थान रणजी टीम का मैनेजर बनाया तो टीम चैंपियन बनी। वे पहले मैच से फाइनल तक प्रबंधन करने वाले पहले मैनेजर थे। कप्तान आकाश चौपड़ा ने उनकी प्रशंसा की थी। सरकार ने दो अवॉर्ड दिए ।

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