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भारत विविध और अनोखी कलाओं से समृद्ध देश : शेखावत

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– केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री ने किया अंतरराष्ट्रीय भारतीय नृत्य महोत्सव का शुभारंभ

नई दिल्ली, दिव्यराष्ट्र/। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि भारत विविध और अनोखी कलाओं से समृद्ध देश है। हम अपनी नृत्य कला के माध्यम से विश्व को संस्कृतियों के मेल और इससे साझी प्रगति का संदेश देते रहते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे लिए यह गर्व की बात है कि हजारों वर्षों के मानवीय इतिहास में जहां कई संस्कृतियां काल के गोद में समा गईं, वहीं भारतीय जीवन और संस्कृति का वैश्विक प्रसार और उभार आज भी जारी है।

बुधवार को केंद्रीय मंत्री शेखावत ने अंतरराष्ट्रीय भारतीय नृत्य महोत्सव का कला-संस्कृति जगत की नामचीन हस्तियों डॉ. सोनल मान सिंह और डॉ. पद्मा सुब्रह्ममणियम व संगीत नाटक अकादमी की चेयरमैन डॉ. संध्या पुरेचा के साथ शुभारंभ किया। अपने संबोधन में शेखावत ने कहा कि भारतीय नृत्य परंपरा के इस वैश्विक महोत्सव में आना निश्चित रूप से मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है। मेरे मन में आह्लाद का विषय भी है। साथ-साथ मेरे मन में गरिमा और गौरव का पल भी है। उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा और संस्कृति में नृत्य विधान का सारा अनुष्ठान जीवन में रसोत्पत्ति के संकल्प से भरा है। एक ऐसा संकल्प, जो हमें एक तरफ तो सृष्टि से लयात्मक जुड़ाव का आह्वान करता है। दूसरी ओर जीवन को प्रशांत आनंद से भर देने का मार्ग भी दिखाता है। नैतिक विचलन और सांस्कृतिक पराभव के दौर में रस और आनंद के अखंड और अखिल भाव को जीवंत बनाए रखने वाली भारतीय संस्कृति पर हमें गर्व है।

शेखावत ने कहा कि भारत गंगा और गीता का देश है ही। यह श्रीकृष्ण के प्रेम और माधुर्य पर नर्तन और कीर्तन करने वाला देश भी है। हमारा समस्त संस्कार, हमारा बोध, हमारी उत्सवप्रियता, हमारी लोक संस्कृति, सभी जीवन को रस और आनंद से ईश्वरीय एकात्म की प्रेरणा देते हैं। भरतनाटयम, ओडिसी, कुचिपुड़ी और कत्थक जैसे शास्त्रीय नृत्य से लेकर जनजातीय और लोकनृत्य की असंख्य परंपराओं वाला भारत इस मामले में दुनिया का विलक्षण देश है कि हमारी सांस्कृतिक बहुलता हमारी राष्ट्रीयता को बांटती नहीं, बल्कि उसे इंद्रधनुषी सौंदर्य प्रदान करती है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैं राजस्थान से आता हूं और अपने अनुभव से कह सकता हूं कि रेत की वीरानगी और शुष्कता के बीच भी जीवन का आनंद और उत्सव अगर हमारी संस्कृति में जीवंत रहा है तो इसलिए क्योंकि हम कभी मीरा के इकतारे पर भक्ति का अनहद गाते रहे हैं तो कभी कालबेलिया नृत्य की धुन पर जीवन में आनंद का समारोह मनाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि संगीत का स्वर और नृत्य की मुद्रा जब लोक कल्याण के अभीष्ट से अभिसिंचित होती है तो जीवन और अध्यात्म एक तल पर आकर जुड़ जाते हैं। भारत के संस्कार बोध में यह बात नई नहीं है। हम संत ज्ञानेश्वर से लेकर रवींद्र संगीत तक इस जीवन संस्कार को आत्मसात करते रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी को इस बात का श्रेय है कि उन्होंने बीते एक दशक में भारत के विकास को भारत की श्रेष्ठता, उसकी पारंपरिक विलक्षणता से जोड़ते हुए विरासत भी, विकास भी के विजन से साथ निरंतर आगे बढ़ाया है। आज भारत अगर विश्व की सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है तो इसके पीछे बड़ा कारण हमारा अपनी संस्कृति पर वह गर्व है, जो पूरी दुनिया में हमारी पहचान को गढ़ता है। हमारी सांस्कृतिक अस्मिता को प्रतिष्ठित करता है।

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