आचार्य लोकेश ने सनातन का सम्मान व गरिमा बढ़ाई – अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रविन्द्र पुरी
धर्म की रक्षा के लिए जैनाचार्य लोकेशजी का साहस सरहनीय – महामंडलेश्वर बलकानन्द गिरिजी
प्रयागराज/ दिव्यराष्ट्र/ प्रयागराज में 144 वर्षों के बाद आयोजित हो रहे महाकुंभ में जैन आचार्य लोकेश जी को सनातन की ओर से धर्म की रक्षा व सनातन की गौरव गरिमा बढ़ाने के लिए सम्मानित किया गया | अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं मनसा देवी ट्रस्ट हरिद्वार के अध्यक्ष महामण्डलेश्वर रविन्द्र पुरी , एवं आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बलकानन्द गिरि ने परम्परागत चुनरी ओढ़ाकर तथा प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया |
निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानन्द गिरि की उपस्थिती में आयोजित सम्मान समारोह को संबोधित करते हुये अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महामण्डलेश्वर रविन्द्र पुरी ने कहा कि जैन आचार्य लोकेश ने अपनी जान को जोखिम में डालकर सनातन की रक्षा व गरिमा बढ़ाने के लिए रामलीला मैदान में जो साहस दिखाया वो सरहनीय है| उनका साहस हमे शहीद भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, ऋषि विश्वामित्र की याद दिलाता है | महामंडलेश्वर में रामलीला मैदान में हुये प्राकरण का उल्लेख करते हुये कहा कि वह जब अनेक हिन्दू संतों के बीच गैर हिन्दू ने सनातन धर्म के लिए अपशब्दों का प्रयोग किया, जैनाचार्य ने उसका प्रखरता से प्रतिकार किया इसीलिए सनातन के महाकुम्भ में हम उनका स्वागत करते हैं |
आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बलकानन्द गिरि ने कहा कि सनातन का महाकुंभ भव्यता और दिव्यता के साथ चल रहा है, जिसकी सम्पूर्ण विश्व में सरहना हो रही है | महाकुंभ में जैन आचार्य लोकेश जी के आगमन पर उनकी विभिन्न धर्मों के बीच एकता, समन्वय सौहर्ध के साथ साथ उनका धर्म की रक्षा व सनातन की गौरव गरिमा के उल्लेखनीय योगदान के लिए अखाड़ा परिषद उन्हे सम्मानित कर रही है |
आचार्य लोकेश ने रामलीला मैदान के प्रसंग का उल्लेख करते हुये कहा कि व मैदान भी राम जी के नाम पर था और लीला भी राम जी की थी, उन्हीं के द्वारा प्रदत्त साहस ने सब कुछ किया| भगवान महावीर कहते है कि अभय हुये बिना अहिंसक नहीं हो सकते, इसीलिए यह सम्मान मेरा नहीं, प्रभु श्रीराम का है, भगवान महावीर का है, सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का है | उन्होने कहा कि प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में भाग लेना मेरे लिए सौभाग्य का विषय है, कुम्भ जाति, धर्म संप्रदाय से परे सबको जोड़ता है, आईये महाकुंभ में भारत को दिव्य और भव्य बनाने का संकल्प लें |