जयपुर। दिव्यराष्ट्र*ये कहानी किसी नेटफ्लिक्स सीरीज की पटकथा जैसी लगती है, लेकिन यह एकदम हकीकत है। भारत के जलवायु योद्धा और इनोवेटर संदीप चौधरी का सपना 2007 में उस वक़्त चकनाचूर हो गया, जब एलन मस्क की सह-स्थापित कंपनी पेपल ने उनकी एक अहम अंतरराष्ट्रीय पेमेंट रोक दी — और देखते ही देखते, उनका जयपुर का ऑफिस बंद हो गया। जी-34, सिटी सेंटर, संसार चंद्र रोड, जयपुर से चल रहे उनके छोटे लेकिन महत्वाकांक्षी स्टार्टअप को तगड़ा झटका लगा। पेपैल से पैसे अटक गए, उधारी बढ़ी, ऑफिस का किराया न चुका पाने की नौबत आ गई, और अंततः, ऑफिस बंद करना पड़ा।साल 2008 में वह 10, मद्रांपुरा, सिविल लाइंस, जयपुर के एक किराए के मकान में शिफ्ट हो गए, जहां हालात और भी खराब हो गए। पिता ने दो टूक कहा “अगर ये घर नहीं चला सकते, तो गांव लौट चलो। सिलाई-कढ़ाई सीखो और सपने देखने की आदत बंद कर दो।”ये शब्द किसी को भी तोड़ सकते थे — लेकिन संदीप को और मजबूत बना गए। और तभी हुआ चमत्कार — गूगल ऐडसेंस, यूएसए से एक मामूली चेक आया। “वो बहुत बड़ी रकम नहीं थी,” संदीप बताते हैं,लेकिन उस वक़्त आई जब सबसे ज्यादा ज़रूरत थी। पेपैल ने गिराया, गूगल ने संभाल लिया।”आज संदीप चौधरी करोड़ों डॉलर की स्टार्टअप वैल्यू के साथ ‘सेव अर्थ मिशन‘ के इंडिया चैप्टर के प्रेसिडेंट हैं — और उनकी टीम ने अभी हाल ही में गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ दिया: सिर्फ एक घंटे में 5 लाख से ज़्यादा पेड़ लगाए। संदीप को अब फोर्ब्स, रॉयटर्स, टेड्र, बिजनेस इनसाइडर, ग्लोब एंड मेल जैसे टॉप इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म्स ने एक वैश्विक पर्यावरण लीडर के रूप में पहचान दी है। उनकी नई पहल, “पृथ्वी पर सबसे बड़ा केस स्टडी”, तहत वह अब दुनिया भर के पॉडकास्ट, पब्लिकेशंस और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर युवाओं को बड़ा सोचने, नया करने और खुद पर भरोसा करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।“एलन मस्क मंगल पर जाने का सपना देखता है, मैं धरती को ठीक करने का सपना जी रहा हूं,”संदीप कहते हैं।“ गूगल ने मुझे दूसरी ज़िंदगी दी — अब मैं पृथ्वी को दूसरा मौका देना चाहता हूं।”