नई दिल्ली, दिव्यराष्ट्र/ एक छोटे से गाँव रसड़ा में जन्मे ओम नारायण सिंह ने एक अद्भुत कहानी लिखी है। 2018 में शुरू हुआ उनका सफर, जो 29 सितंबर 2019 को सरकारी मंजूरी प्राप्त करके एक नई दिशा में मुड़ गया। डिजिटल ग्रामीण सेवा की शुरुआत के साथ, उन्होंने ग्रामीणों के जीवन को सुविधाजनक बनाने का संकल्प किया।
एक यात्रा में, जब उन्हें पड़ोसी शहर का दौरा करते हुए एक नई विचारधारा का सामना हुआ, तो उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई। वहाँ उन्हें प्रौद्योगिकी के माध्यम से ग्रामीणों को बैंकिंग सेवाओं का लाभ पहुँचाने की अवधारणा मिली। इस अनोखे विचार ने उनकी सोच को पूरी तरह से बदल दिया।
ओम नारायण सिंह ने एक प्लेटफ़ॉर्म की खोज की, जो ग्रामीणों को डिजिटल वित्तीय सेवाओं की पहुँच प्रदान कर सके। उनका मकसद था कि गाँव से लेकर उसके आसपास तक सभी लोगों को वित्तीय सशक्ति मिले। ओम नारायण सिंह ने दिखाया कि सपने को हकीकत में बदलने का सपना सच हो सकता है। उन्होंने डिजिटल ग्रामीण सेवा की स्थापना की, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल वित्तीय सेवाओं को प्रदान करना था।
उन्होंने यह नहीं सिर्फ़ एक प्लेटफ़ॉर्म बनाया, बल्कि उसे उपयोगकर्ता के अनुकूल और सुलभ भी बनाया। इसमें विभिन्न सेवाएँ शामिल हैं जैसे कि बैंकिंग, गवर्नमेंट, रिचार्ज, बिल पेमेंट, रजिस्ट्रेशन, टैक्स फाइलिंग और ट्रेवल सेवाएँ। उनकी यह पहल साल 2019 से साल 2021 तक लगभग 50,000 से अधिक अधिकारियों को जोड़ चुकी है। इससे उन ग्रामीणों को भी वित्तीय सेवाओं का लाभ मिला जिन्हें पहले मीलों दूर जाना पड़ता था। डिजिटल ग्रामीण सेवा ने गाँवों को सशक्तिकरण और वित्तीय समावेशन की राह पर आगे बढ़ाया। इसका प्रभाव अब सभी गाँवों में दिखाई दे रहा है।