Home हेल्थ रीढ़ के जन्मजात विकार की जटिल सर्जरी सफल कर दिया नया जीवन

रीढ़ के जन्मजात विकार की जटिल सर्जरी सफल कर दिया नया जीवन

66
0
Google search engine

जयपुर: रीढ़ की हड्डी में जन्मजात विकार के कारण 13 वर्षीय प्रियांश (परिवर्तित नाम) के कमर से नीचे का हिस्सा ठीक नहीं था। उसके पैरों में बहुत ज्यादा कमजोरी थी और उसे अपने मल मूत्र पर भी बिल्कुल भी नियंत्रण नहीं था। ऐसे में उसे बार-बार शर्मिंदा होना पड़ता था। लेकिन शहर के सीके बिरला हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने एक बेहद जटिल सर्जरी कर बच्चे की इस जन्मजात विकार को ठीक करके जीवन में एक नई आशा प्रदान की।

यह सफल सर्जरी करने वाले अस्पताल के सीनियर न्यूरो सर्जन डॉक्टर संजीव सिंह ने बताया कि बच्चे को डायेस्टेमेटामाइलिया नाम की एक जन्मजात बीमारी थी। इस बीमारी में रीड की हड्डी की बड़ी नस जिसे स्पाइनल कॉर्ड भी कहते हैं वह दो भागों में विभाजित हो जाती है। सामान्यतः स्पाइनल कॉर्ड रीढ़ की हड्डी के खोल में होती है जिसे स्पाइनल कैनाल कहा जाता है। इस कैनाल के अंदर एक हड्डी का सेप्टम बन जाता है जो स्पाइनल कॉर्ड को दो भागों में बाँट देता है। इसके कारण मरीज के पैरों में इतनी ज्यादा कमजोरी आ जाती है कि वह बिना सहारे के खड़ा भी नहीं हो पाता और उसे अपने मल मूत्र पर बिल्कुल भी नियंत्रण नहीं होता। इस समस्या के कारण बच्चे को स्कूल में शर्मिंदा होना पड़ता था और वह डिप्रेशन में चला गया था।

बीमारी के कारण स्कूल तक छूटा – मल मूत्र पर बिल्कुल भी नियंत्रण न होने के कारण उसका स्कूल तक छूट गया था और वह अवसाद में चला गया था। डॉ. संजीव ने बताया कि इस सर्जरी द्वारा ही ठीक किया जा सकता था। कुछ आवश्यक टेस्ट करने के बाद लगभग चार से पांच घंटे चली सर्जरी में दो प्रोसीजर किए गए और विकार को ठीक किया गया। सर्जरी के बाद पैरों की कमजोरी को काफी रिकवर कर लिया गया और बच्चों के मल मूत्र पर नियंत्रण भी काफी बढ़ गया है। सर्जरी के बाद वह 5 दिनों तक अस्पताल में रहा जिस दौरान उसके फिजियोथैरेपी सेशन चले और काउंसलिंग भी की गई जिससे उसे डिप्रेशन से निकलने में मदद मिली। सीके बिरला हॉस्पिटल के एक स्पेशल प्रोग्राम के तहत उसकी सर्जरी नि:शुल्क की गई।

Google search engine

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here