दिव्यराष्ट्र, नई दिल्ली: जल ही जीवन है। यह कृषि को बढ़ावा देता है, आजीविका को बनाए रखता है और समाज को सशक्त बनाता है। ग्रामीण भारत में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और दैनिक जीवन को बेहतर बनाने के लिए जल तक सतत पहुंच सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।
जल संचय, स्वच्छ पेयजल तक उपलब्धता, वाटरशेड मैनेजमेंट और पारंपरिक जल स्रोतों को बहाल करने पर केंद्रित परियोजनाओं के साथ आनंदना – कोका-कोला इंडिया फाउंडेशन समुदायों का समर्थन करके जल संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। आनंदना की पहलों एवं उनके प्रभाव पर एक नजर:
- अनंतपुर में बंजर भूमि को समृद्ध खेतों में बदलना
भारत के सबसे शुष्क जिलों में से एक अनंतपुर लंबे समय से अनियमित वर्षा और घटते भूजल स्तर की समस्या से पीड़ित है, जिससे किसानों को खेती के लिए संघर्ष करना पड़ता था (Source)। इस चुनौती से निपटने के लिए आनंदना ने एसएम सहगल फाउंडेशन के साथ मिलकर प्रोजेक्ट जलधारा की शुरुआत की है।
इस पहल के तहत पांच चेक डैम का निर्माण किया गया, भूजल स्तर में सुधार किया गया और कृषि को पुनर्जीवित किया गया। जो किसान कभी बंजर खेतों की समस्या से जूझते थे, वे अब कई फसलें उगा रहे हैं, जिससे खाद्य सुरक्षा और बेहतर आय सुनिश्चित हो रही है।
कोडुर गांव के किसान ई. सुधाकर कहते हैं, “पहले हमारी जमीन सूखी रहती थी और खेती अनिश्चित थी। अब पानी की आसान उपलब्धता से हम साल में एक के बजाय तीन से पांच फसलें उगाने में सक्षम हुए हैं।”
- 2.मध्य प्रदेश में पानीतक पहुंच आसान करना और समाज को सशक्त बनाना
छतरपुर के बिजावर ब्लॉक में महिलाओं के लिए पानी लाना बड़ा संघर्ष था। उन्हें मीलों पैदल चलना पड़ता था, जिससे काम या शिक्षा के लिए बहुत कम समय बचता था। इस बीच, पानी की कमी ने पलायन को भी बढ़ावा दिया, जिससे कई किसानों ने खेती करना ही छोड़ दिया।
प्रगति ग्राम परियोजना के माध्यम से, आनंदना और हरितिका ने स्टॉप डैम और तालाब बनाए, जिससे पानी की उपलब्धता बढ़ी और पानी तक पहुंच आसान हुई। इसका नतीजा यह है कि अब महिलाओं को अपने परिवार और सपनों पर ध्यान केंद्रित करने की आजादी मिली है। कई किसान भी अपनी जमीन पर वापस आ रहे हैं।
गणेशगंज की कलावती कहती हैं, “पहले हमें दूर-दूर से सिर पर पानी ढोना पड़ता था। अब जीवन आसान हो गया है और हमारे पास अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए ज़्यादा समय है।”
बिजावर में पानी की कमी के कारण गांव छोड़ने वाले किसान मक्खन अब वापस आ गए हैं। वह बताते हैं, “बेहतर सिंचाई की उपलब्धता से अब मैं कई फसलें उगा सकता हूं और बिना किसी कर्ज के अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकता हूँ।”
- धौलपुर में कृषि को पुनर्जीवित करना और पलायन को कम करना
कभी संपन्न कृषि का केंद्र रहे धौलपुर के टोंटारी गांव में भूजल स्तर गंभीर रूप से नीचे आ गया। इससे कई किसानों को खेती छोड़कर शहरों की ओर पलायन करना पड़ा। इस समस्या को समझते हुए आनंदना ने ल्यूपिन ह्यूमन वेलफेयर एंड रिसर्च फाउंडेशन के साथ मिलकर दो चेक डैम का निर्माण किया, जिससे पानी की उपलब्धता बहाल हुई।
आज खेती फिर से फल-फूल रही है और पलायन में काफी गिरावट आई है।
धौलपुर की कमला उन दिनों को याद करते हुए कहती हैं, “हर सुबह मैं सिर्फ एक बाल्टी पानी लाने के लिए मीलों पैदल चलती थी। कोका-कोला इंडिया फाउंडेशन की वर्षा जल संचयन पहल से सब कुछ बदल गया। कोका-कोला इंडिया फाउंडेशन के वर्षा जल संचयन ने सिर्फ मेरी ज़िंदगी ही नहीं बदली, बल्कि इसने हमारे पूरे समाज में बदलाव की चिंगारी जला दी। 100 से ज़्यादा प्रोजेक्ट और हर साल अरबों लीटर पानी का पुनर्भरण एक बेहतर भविष्य के लिए मिलकर काम करने की ताकत को साबित करते हैं।”
- सीकर में जल सुरक्षा और आजीविका को मजबूत करना
राजस्थान का एक विशाल जिला सीकर लंबे समय से अनियमित वर्षा और भूमि के अत्यधिक दोहन की समस्या से जूझ रहा है, जिससे गंभीर सामाजिक-आर्थिक समस्याएं पैदा हुईं। जल स्रोतों में फ्लोराइड के ऊंचे स्तर ने संकट को और बढ़ा दिया, जिससे लोगों की सेहत और कृषि उत्पादकता दोनों पर दुष्प्रभाव पड़ने लगा। मजबूरी में कई परिवारों को बेहतर आजीविका के लिए अपना घर छोड़ना पड़ा और शहरों की ओर पलायन करना पड़ा।