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अपोलो की कैंसर सर्वाइवर्स के लिए ‘कॅन विन’ एक पहल

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‘कॅन विन’ एक सहायता समूह जो कैंसर से बाहर निकलने के अपने सफ़र में सभी को एक साथ जोड़ता है

नवी मुंबई, दिव्यराष्ट्र/अपोलो कैंसर सेंटर ( एसीसी) ने राष्ट्रीय कैंसर सर्वाइवर्स महीने के उपलक्ष्य में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए ‘कॅन विन’ लॉन्च करने की घोषणा आज की। यह एक कैंसर सहायता समूह है जो कैंसर से बाहर निकलने के सफ़र में सभी को एक साथ जोड़ता है। ‘साझा शक्ति जीवन बदल सकती है’ इस विश्वास पर आधारित ‘कॅन विन’ इस ब्रांड प्लेटफार्म पर ऑन्कोलॉजिस्ट, साइको-ऑन्कोलॉजिस्ट, मरीज़ों, सर्वाइवर्स, देखभाल करने वालों और स्वयंसेवकों को एक साथ लाया जाता है। इसका उद्देश्य है यह सिर्फ़ एक समूह नहीं, बल्कि बात करने, सुनने, सीखने और ठीक होने के लिए एक सुरक्षित स्थान है। चाहे आपका हाल ही में निदान किया गया हो, उपचार चल रहा हो या आप किसी और की देखभाल करने वाले हों, या कैंसर के बाद जी रहे हों, ‘कॅन विन’ आपको बताता है कि आप अकेले नहीं हैं।‘कॅन विन’ दो शक्तिशाली विचारों को दर्शाता है: कैंसर में एक ‘कॅन’ है – जो ताकत और संभावना की याद दिलाता है। एक ‘विन’ है जो सिर्फ़ मंज़िल नहीं, बल्कि एक मानसिकता दर्शाता है। यह निर्णय है, धैर्य, शालीनता और दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ने का। इस पहल की शुरूआत एक सत्र के साथ हुई, जिसमें कैंसर विजेताओं ने अपनी भावनात्मक कहानियों को सुनाया। हर कहानी उनके व्यक्तिगत साहस, शक्ति और विजय से भरी हुई थी। असल ज़िन्दगी को बयान करने वाली ये प्रेरक कहानियां उसी राह पर चल रहे दूसरे लोगों के लिए आशा की किरण बन रही हैं।

पनवेल के 11 वर्षीय मास्टर जयेश के पिता ने अपने बेटे की कहानी सांझा करते हुए कहा,”हमारा बेटा तो इतना छोटा था कि कैंसर को समझना उसके लिए नामुनकिन था, उसकी बस एक ही चाह थी, अपनी सामान्य गतिविधियों को फिर से कर पाना, दोस्तों के साथ खेलना, स्कूल जाना। डॉक्टरों ने हमारी बहुत मदद की। हालांकि हम तबाह हो गए थे, हमने उसे कभी उम्मीद नहीं खोने दी। हमारे बेटे को कई उपचारों से गुज़रना पड़ा, जो कई बार चुनौतीपूर्ण थे। उसकी उम्र भले ही कम थी, लेकिन लड़ाई बड़ी थी, और उसने जीत हासिल की। अब, वह उस कठिन दौर को याद नहीं करता है और बस जीना, हंसना और बड़ा होना चाहता है। हम उसे उसकी उम्र के किसी भी दूसरे बच्चे की तरह सामान्य ज़िन्दगी जीने के लिए जितना हो सके उतना समर्थन देने की कोशिश करते हैं।”

पनवेल की 6 साल की अभिद्या के पिता ने बताया,”हमारी छोटी सी बिटिया बहुत ही बहादुरी से अभी भी कैंसर से लड़ रही है। उसे दो बार कैंसर हुआ, लेकिन हमारे डॉक्टरों और दूसरे लोगों के समर्थन से उसकी आशाएं बनी हुई हैं और वह अपनी उम्र की छोटी लड़कियों की तरह सब कुछ करना चाहती है। हमारे परिवार के लिए यह बहुत कठिन और चुनौतीपूर्ण समय है, लेकिन हम उसे सर्वोत्तम देखभाल प्रदान करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। हम उसके भविष्य को लेकर काफी चिंतित हैं और आशा करते हैं कि लोग हमारे बच्चों के प्रति समझदारी दिखाएंगे, जिन्होंने अपनी छोटी सी ज़िन्दगी में बहुत कुछ झेला है।”

अपोलो हॉस्पिटल्स एंटरप्राइज़ लिमिटेड के ग्रुप ऑन्कोलॉजी और इंटरनेशनल के अध्यक्ष, श्री दिनेश माधवन ने कहा,”कैंसर के खिलाफ लड़ाई सिर्फ उन्नत उपचारों तक सीमित नहीं है – यह भावनात्मक लचीलेपन और मानवीय संबंधों के बारे में भी है।‘कॅन विन’ जैसी पहल कैंसर विजेताओं को एक मंच प्रदान करती है जहां वे अपने विचार सांझा कर सकते हैं, अपनी ही तरह जी रहे दूसरों की ज़िन्दगी को देख सकते हैं और डॉक्टरों, देखभाल करने वालों के साथ मिलकर ठीक हो सकते हैं। यह पहल कैंसर के खिलाफ लड़ाई में मौजूद कमियों को दूर करना चाहती है। अगर सहानुभूति हो, तो कहानी सुनाना एक थेराप्यूटिक टूल बन जाता है – वक्ता और श्रोता दोनों को सशक्त बनाता है। जैसे-जैसे हम देखभाल के अधिक समग्र मॉडल की ओर बढ़ते हैं, हम एक ऐसी इकोसिस्टम बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जहां विज्ञान और मानवता हाथ से हाथ मिलाकर काम करते हैं और ‘कॅन विन’ हमारी उसी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।”

इस कार्यक्रम में प्रोफेशनल कहानीकारों ने भी हिस्सा लिया। उन्होंने कैंसर विजेताओं को उपचार, समर्थन और कनेक्शन के एक साधन के रूप में अपनी यात्रा साझा करने के बारे में मार्गदर्शन किया।

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