(दिव्यराष्ट्र के लिए डॉ मधुमिता कृष्णन, आयुर्वेद एक्सपर्ट)
जोधपुर, दिव्यराष्ट्र/ जब सर्दी का मौसम ख़त्म होता है और गर्मियां शुरू होती हैं, तो आयुर्वेद के हिसाब से हमें इस संधि कला (स्प्रिंग) के दौरान अपने खान-पान का खास ध्यान रखना चाहिए। इस समय हमारे शरीर के तीन दोष (वात, पित्त और कफ) बिगड़ जाते हैं, जिससे हम बीमार पड़ सकते हैं। गर्म और सूखा मौसम वात को बढ़ाता है, जिससे शरीर में सूखापन, बेचैनी और सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। वहीं, तापमान के बदलने से हमारा पाचन भी कमजोर हो जाता है, जिससे शरीर में ज़हरीले पदार्थ जमा होने लगते हैं और हमारी इम्युनिटी कम हो जाती है।
इस चरण के दौरान अपनी सेहत को दुरुस्त बनाए रखने के लिए, हमें गर्म, अच्छी तरह से पके हुए भोजन के साथ शरीर को पोषण देना आवश्यक है। एक आयुर्वेद विशेषज्ञ के रूप में, मैं दैनिक आहार में घर का बना घी, वेजीटेबल सूप, मौसमी साग-सब्जियां और मुट्ठी भर बादाम जो प्राकृतिक प्रोटीन का बढि़या स्रोत है, को शामिल करने की सलाह देती हूं।
इस मौसम में सुबह ठंडी और दोपहर गर्म होने की वजह से, हमारी खाने की आदतें बदल जाती हैं। ठंडे दिनों में हमें तला-भुना और भारी खाना खाने का मन करता है, जबकि गर्मी बढ़ने पर हम ठंडे पेय और आइसक्रीम खाना चाहते हैं। लेकिन, अगर हम ऐसा असंतुलित खाना खाते हैं, तो हमारा पाचन तंत्र खराब हो सकता है, जिससे पेट फूलना (ब्लोटिंग), थकान और मौसमी बीमारियाँ हो सकती हैं।
एक अच्छी तरह से बनाई गई सप्ताह भर की आयुर्वेदिक डाइट आपको मौसम बदलने के समय होने वाली बीमारियों से बचा सकती है और आपको पौष्टिक और स्वादिष्ट खाना खाने में मदद करेगी। हम आपके लिए एक आसान और असरदार डाइट प्लान लेकर आए हैं। ध्यान रखें कि हर किसी का शरीर अलग होता है, इसलिए आप अपनी ज़रूरत के हिसाब से खाने की मात्रा और चीज़ें बदल सकते हैं।
बदलते मौसम के लिए सप्ताह भर का आयुर्वेदिक डाइट प्लान: नाश्ते में दही के साथ मेथी थेपला (लगातार एनर्जी पाने के लिए विटामिन बी2 और मैग्नीशियम से भरपूर)। दोपहर के भोजन में पालक-पनीर करी के साथ बाजरा की रोटी, ताजा बना हुआ सब्जियों का सलाद और मुट्ठी भर कैलिफोर्निया आमंड्स (इम्युनिटी को सपोर्ट करने के लिए प्राकृतिक प्रोटीन और हेल्दी फैट से भरपूर) और रात के भोजन में घी, जीरा और काली मिर्च के साथ पकाई गई मूंग दाल की खिचड़ी, उबली हुई चुकंदर और गाजर की सब्जी के साथ (रात भर मांसपेशियों की रिकवरी में सहायता करती है)।
इसी तरह दुसरे दिन नाश्ते में भुने हुए बादाम (एनर्जी और फाइबर का पोषक तत्वों से भरपूर स्रोत) और चुटकी भर अदरक और दालचीनी के साथ मसाला ओट्स दलिया। दोपहर के भोजन में जीरा चावल के साथ राजमा करी, सॉटे किए गए पत्तेदार साग (ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करते हैं और पेट भरा होने का अहसास कराते हैं)। इसके अलावा रात के भोजन चुकंदर रायता के साथ लौंग और काली मिर्च जैसे गर्म मसालों के साथ बाजरा की खिचड़ी, (पाचन और आंतों की सेहत को सपोर्ट करती है)।
हमेशा अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं के आधार पर खाना परोसें*
अच्छी तरह से संतुलित भोजन के लिए सभी छह स्वादों (मीठा, खट्टा, नमकीन, कड़वा, तीखा और कसैला) को शामिल करें। गर्म तेल (अभ्यंग) से नियमित खुद से मालिश करके वात को संतुलित करने, सर्कुलेशन में सुधार करने और अपनी संपूर्ण सेहत को बरकरार रखने में मदद मिलती है। इस आसान आयुर्वेदिक डाइट प्लान को अपनाकर आप पौष्टिक और सेहतमंद भोजन का आनंद ले सकते हैं, अपने पाचन तंत्र को मजबूत बना सकते हैं, अपनी इम्युनिटी बढ़ा सकते हैं और मौसम बदलने के दौरान होने वाली समस्याओं से बच सकते हैं।