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अपोलो हॉस्पिटल्स ने ‘जैप एक्स’ तकनीक शुरू की

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नई दिल्ली: महज 30 मिनट में ब्रेन ट्यूमर का इलाज संभव है। यह एक ऐसी अत्याधुनिक तकनीक से मुमकिन हुआ है जिसे पूरे दक्षिण एशिया में पहली बार भारत में अपोलो हॉस्पिटल्स ने लॉन्च किया है। 30 मिनट के सत्र में मरीज को इस प्रक्रिया के तहत न कोई दर्द और न किसी तरह का दुष्प्रभाव होने वाला है। जैप एक्स नामक यह तकनीक सीधे तौर पर ट्यूमर को तोड़ने का काम करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह तकनीक आने वाले दिनों में ब्रेन ट्यूमर के उपचार में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी।

जानकारी के अनुसार, भारत के सबसे बड़े एकीकृत स्वास्थ्य सेवा प्रदाता अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप ने जैप-एक्स जाइरोस्कोपिक रेडियोसर्जरी प्लेटफॉर्म का अनावरण किया है। यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है क्योंकि यह दक्षिण एशिया में पहली बार उपलब्ध हुई है। जैप एक्स के साथ अपोलो हॉस्पिटल्स न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया भर में मरीजों के लिए विश्व स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल समाधान प्रदान करने के लिए नवाचार और प्रतिबद्धता की अपनी विरासत को जारी रखे हुए है।

अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. प्रताप चंद्र रेड्डी ने लॉन्च के समय कहा“चार दशकों से अधिक समय से अपोलो हॉस्पिटल्स स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में सबसे आगे रहा है और अपनी असाधारण देखभाल के लिए लगातार सीमाओं को चुनौती दे रहा है। इस परंपरा को कायम रखते हुए हमने ब्रेन ट्यूमर के इलाज के लिए डिज़ाइन एक नवीन तकनीक जैप-एक्स का अनावरण किया। यह नया दृष्टिकोण विकिरण के न्यूनतम जोखिम के साथ 30 मिनट तक चलने वाले गैर-आक्रामक, दर्द-मुक्त सत्र की अनुमति देता है। जैप-एक्स उन्नत सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ आता है, जिसमें तत्काल त्रुटि का पता लगाना और विकिरण रिसाव को कम करना संभव है। यह उपचार के बाद रोगी की भलाई और जीवन की गुणवत्ता सुनिश्चित करता है। इसके अलावा, ओपीडी में भी यह संभव होगी जिससे रोगियों को काफी आसानी मिलेगी। हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि यह तकनीक हमारे देश के प्रत्येक नागरिक और विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के लोगों के लिए उपलब्ध कराई जाए, क्योंकि यह ब्रेन ट्यूमर से निपटने और उसका इलाज करने के लिए एक वरदान साबित होगी। गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के बढ़ते ज्वार के साथ, जैप-एक्स एनसीडी के खिलाफ हमारी लड़ाई में एक नया योगदान होगा, जिनमें कैंसर एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।”

जैप-एक्स तकनीक ब्रेन ट्यूमर के इलाज में एक नए युग की शुरुआत कर रही है। यह मरीजों को केवल 30 मिनट तक चलने वाले सत्र के साथ एक गैर-आक्रामक, दर्द-मुक्त विकल्प प्रदान करता है। यह परिवर्तनकारी तकनीक न्यूनतम विकिरण जोखिम के साथ परिशुद्धता को फिर से परिभाषित करती है, जिससे प्रभावशीलता और रोगी आराम में नए मानक सक्षम होते हैं। पारंपरिक तरीकों के विपरीत जैप-एक्स हजारों संभावित कोणों से रेडियो सर्जिकल बीम को निर्देशित करने के लिए एक स्व-परिरक्षित, जाइरोस्कोपिक रैखिक त्वरक डिजाइन का उपयोग करता है। यही कारण है कि यह तकनीक सीधे ट्यूमर पर विकिरण को सटीक रूप से केंद्रित करती है। यह नवोन्वेषी विधि मस्तिष्क स्टेम, आंखों और ऑप्टिक तंत्रिकाओं का विकिरण से बचाव भी करती है।

डॉक्टरों के अनुसार, यह तकनीक प्राथमिक और मेटास्टैटिक ब्रेन ट्यूमर, आर्टेरियोवेनस मैलफॉर्मेशन (एवीएम), ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया, पार्किंसंस रोग, मिर्गी और अन्य इंट्राक्रैनियल घावों जैसे मेनिंगियोमास, ध्वनिक न्यूरोमास और पिट्यूटरी एडेनोमास जैसे विकारों के इलाज में सक्षम है।

जैप-एक्स तकनीक प्रमुख फायदों के साथ आती है जिसमें इसका गैर-आक्रामक होना शामिल है। इससे कुछ मस्तिष्क ट्यूमर के लिए सर्जिकल हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती है। यह दर्द रहित और कम उपचार अवधि के लिए फ़्रेमलेस, पिनपॉइंट सटीकता और वास्तविक समय छवि मार्गदर्शन प्रदान करता है। साथ ही मरीजों की सुरक्षा को भी बढ़ाता है। इस तकनीक ने न्यूनतम दुष्प्रभावों के साथ प्रभावी नियंत्रण और सुरक्षा के लिए बीते 10 वर्षों में 95% से अधिक नियंत्रण दर प्राप्त की है। साथ ही छोटे ट्यूमर के मामलों में बीते पांच साल में असाधारण 99.4% नियंत्रण दर हासिल की है।

इस अवसर पर स्टैनफोर्ड स्कूल ऑफ मेडिसिन के न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रोफेसर और जैप सर्जिकल के संस्थापक व सीईओ प्रो. जॉन आर एडलर ने कहा, “स्टीरियोटैक्टिक रेडियोसर्जरी पिछली शताब्दी की सबसे महत्वपूर्ण चिकित्सा प्रगति में से एक है। मरीजों को अब दुर्बल करने वाली सर्जिकल सर्जरी का अनुभव नहीं करना पड़ेगा। इतना ही नहीं अब पूरे मस्तिष्क को रेडियोथेरेपी से गुजरने के कारण संज्ञानात्मक क्षमता नहीं खोनी पड़ेगी। जैप-एक्स रेडियो सर्जरी के साथ मरीजों को अब एक आउट पेशेंट सेटिंग में जल्दी से इलाज किया जा सकता है और बिना किसी चीरे व दर्द वह उसी दिन अपने घर लौट सकता है।”

यहां बताना यह भी जरूरी है कि आमतौर पर ट्यूमर का ऑपरेशन करीब तीन से चार घंटे तक चलता है जबकि जैप-एक्स तकनीक 30 मिनट के एक सत्र में उपचार कर देती है। एक ही दिन में उपचार और मरीज की घर वापसी संभव है। अभी तक पांरपरिक सर्जरी में ऐसा नहीं होता है क्योंकि ऑपरेशन के करीब चार से सात दिन अस्पताल में रुकना होता है। इस नई तकनीक के लिए मरीज को एनेस्थीसिया की जरूरत भी नहीं पड़ती है।

दरअसल, अपोलो इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेज पूरे भारत में न्यूरोलॉजिकल देखभाल में क्रांति लाने के लिए एक अग्रणी शक्ति के रूप में खड़ा है। आपातकालीन सेवाओं, न्यूरो-आईसीयू और पुनर्वास केंद्रों सहित अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ अपोलो ने अब तक 1.80 लाख से भी ज्यादा सफल न्यूरोसर्जरी का एक रिकार्ड बनाया है। अत्याधुनिक एआई तकनीक से स्ट्रोक प्रोटोकॉल पर भी काम किया है जिसकी वजह से मरीज का जल्दी, सटीक और बेहतर उपचार संभव हुआ। 300 से अधिक न्यूरोसर्जन और न्यूरोलॉजिस्ट की एक मजबूत टीम के साथ अपोलो सालाना 25,000 से अधिक रोगियों का इलाज कर रहा है जिनमें लगभग 6,000 मस्तिष्क और रीढ़ की सर्जरी शामिल हैं। यह असाधारण संख्या सबसे दुर्लभ और सबसे जटिल न्यूरोलॉजिकल मामलों के प्रबंधन में अपोलो की विशेषज्ञता को मजबूत कर रही है, जो अद्वितीय देखभाल की तलाश में दुनिया भर के रोगियों को आकर्षित करता है। जैप-एक्स प्लेटफॉर्म का अनावरण जीवन को बदलने वाले नवाचारों का नेतृत्व करने के लिए अपोलो की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।

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