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अपोलो ने 78 बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन पूरे किए

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नॉन-कैंसर हेमटोलॉजिकल विकारों से पीड़ित वयस्कों और बच्चों को नया जीवन दिया

नवी मुंबई, दिव्यराष्ट्र/: अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई ( एएचएन एम) ने उन्नत बोन मैरो ट्रांसप्लांट (बीएमटी) प्रक्रियाओं में अपने उल्लेखनीय प्रदर्शन को जारी रखते हुए, 78 ट्रांसप्लांट्स के साथ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। अस्पताल की दीर्घकालिक सफलता दर 70% से अधिक रही है। दूसरे देशों से आए हुए मरीज़ों सहित छोटे बच्चें और वयस्क दोनों मरीज़ों का इलाज सफलतापूर्वक किया गया है। उनकी यह सफलता उच्च गुणवत्तापूर्ण, जीवन रक्षक ट्रांसप्लांट सेवाएं प्रदान करने में अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई के नेतृत्व को रेखांकित करती है।

ल्यूकेमिया,थैलेसीमिया,सिकलसेल बीमारी, गंभीर अप्लास्टिक एनीमिया, मल्टीपल मायलोमा मायलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम और कुछ दुर्लभ प्रकार की इम्युनोडेफिशिएंसी जैसी स्थितियों में जटिल मेडिकल चुनौतियां होती हैं और अक्सर दीर्घकालिक रिकवरी के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन जैसे उन्नत उपचार की आवश्यकता होती है। बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन से पहले गहन कंडीशनिंग की आवश्यकता होती है और ट्रांसप्लांटेशन के बाद प्रतिरक्षा में धीमी रिकवरी होती है, जिसकी वजह से इन मरीज़ों में संक्रमण और अन्य जटिलताएं होने का खतरा ज़्यादा होता है।

जब बोन मैरो पर्याप्त स्वस्थ रक्त कोशिकाओं का उत्पादन नहीं करता है तब बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन प्रक्रिया में रोगग्रस्त या निष्क्रिय बोन मैरो को बदला जाता है। अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई की बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन इकाई ऑटोलॉगस, हैप्लोइडेन्टिकल और एलोजेनिक ट्रांसप्लांट के साथ-साथ नवीनतम सीएआर टी-सेल थेरेपी करने के लिए सुसज्जित है। अपने मरीज़-केंद्रित दृष्टिकोण की वजह से यह अस्पताल न केवल भारत के भीतर बल्कि अन्य देशों में भी मशहूर है।

डॉ.पुनीत जैन, कंसल्टेंट हेमाटोलॉजी, हेमेटो-ऑन्कोलॉजी, प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर बीएमटी-सीएआर टी-सेल थेरेपी, अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई ने कहा,“अपोलो में हम जटिल और उच्च जोखिम वाली बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन प्रक्रियाएं कर रहे हैं, जिनकी सफलता दर 70% से अधिक रही है, जो दुनिया भर के प्रतिष्ठित बी एमटी केंद्रों की सफलता दर के अनुरूप है। इन मरीज़ों में ट्रांसप्लांट के बाद इम्यून रिकवरी बहुत धीमे से होती है, जिसकी वजह से संक्रमण और दूसरी गंभीर जटिलताएं होने का खतरा होता है, लेकिन हमारे संक्रमण नियंत्रण के उत्कृष्ट प्रोटोकॉल और प्रशिक्षित टीमें सर्वोत्तम परिणाम सुनिश्चित करती हैं। इसके अलावा, हम इंडियन सोसाइटी फॉर ब्लड एंड मैरो ट्रांसप्लांटेशन रजिस्ट्री का हिस्सा हैं, जो अपने सभी रजिस्टर्ड सेंटर्स में इलाज किए गए बिमारियों और उनमें मिले परिणामों के स्पेक्ट्रम को नापती है। हमारी सीएआर टी सेल थेरेपी क्षमताएं और ट्यूमर बोर्ड पर आधारित उपचार प्रोटोकॉल हमारे मरीज़ों को सबसे उन्नत, सबूतों पर आधारित उपचार प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।”

डॉ.विपिन खंडेलवाल, पीडियाट्रिक हेमेटो ऑन्कोलॉजी और बीएमटी कंसल्टेंट, अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई ने बताया,“पीडियाट्रिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट्स के लिए प्रक्रिया की सफलता सुनिश्चित करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे के साथ एक बहु-विषयक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। ल्यूकेमिया, थैलेसीमिया, सिकल सेल बीमारी, गंभीर अप्लास्टिक एनीमिया, मल्टीपल मायलोमा, एमडीएस से लेकर चेडियाक-हिगाशी सिंड्रोम जैसे दुर्लभ मामलों तक के रक्त संबंधी विकारों के पूरे स्पेक्ट्रम का प्रबंधन हम सफलतापूर्वक करते हैं, यह बात अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई हमारे में असाधारण टीमवर्क और विशेषज्ञता का प्रमाण है। हम गंभीर रक्त संबंधी स्थितियों का सामना कर रहे बच्चों की ज़िन्दगियों में परिवर्तन लाने के लिए समर्पित हैं।”

नवी मुंबई की 14 वर्षीय लड़की के माता-पिता ने अपना अनुभव साझा किया, “‘ल्यूकेमिया’ शब्द सुनते ही हमारी ज़िन्दगी थम सी गयी थी; हम अपनी बेटी के लिए बहुत चिंतित थे। लेकिन, अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई के डॉक्टरों ने न केवल बेहतरीन चिकित्सा देखभाल प्रदान की, बल्कि हमारी बेटी के इलाज के हर चुनौतीपूर्ण चरण में वे हमारे साथ खड़े रहे। हमारी बच्ची के ठीक होने में उनके समर्पण और देखभाल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज हमारी बेटी सामान्य जीवन जीने में सक्षम है। अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई के डॉक्टरों और कर्मचारियों के हम बहुत आभारी है।”

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