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स्टार प्लस के शो ‘कभी नीम नीम कभी शहद शहद’ की कथा बनीं अफिया तैयब अली

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मुंबई,, दिव्यराष्ट्र/स्टार प्लस एक बार फिर अपनी कहानियों में नयापन ला रहा है। ऐसी कहानियाँ जो सीधे दिल से जुड़ें, जिनमें इमोशन्स हों और जो हम सभी की ज़िंदगी से मिलती-जुलती लगें। अपने मजबूत किरदारों और रिलेटेबल कहानियों के साथ चैनल एक बार फिर कुछ ऐसा लेकर आ रहा है जो दिल छू जाए और देर तक याद रहे।

इन्हीं नई कहानियों में से एक है “कभी नीम नीम कभी शहद शहद” एक ऐसा शो जो ज़िंदगी के कड़वे-मीठे पलों से गुजरते हुए एक दिल छू लेने वाली जर्नी का वादा करता है। इस शो से टीवी डेब्यू कर रही हैं एक्ट्रेस अफिया तैयब अली, जो निभा रही हैं ‘कथा’ का किरदार। अपने रोल के बारे में अफिया कहती हैं, “कथा अपनी संस्कृति से गहराई से जुड़ी हुई है। उसे पुराने बॉलीवुड गानों में सुकून मिलता है, वो अपने मूल्यों को थामे रखती है और मानती है कि कायनात का सबसे छोटा सा भी इशारा उसके रास्ते को सही दिशा दे सकती है।”

अपने किरदार की प्रकृति को लेकर अफिया आगे कहती हैं, “कथा देखने में भले ही मासूम और प्यारी लगे, लेकिन उसकी सोच बहुत मजबूत है। वो सही के लिए खड़ी होती है और अपने अपनों की पूरी शिद्दत से हिफाजत करती है।” अफिया ने ये भी जोड़ा, “शो के हर किरदार की अपनी एक अलग खासियत है, और मुझे पूरा भरोसा है कि दर्शकों को इनमें से कोई न कोई किरदार ज़रूर अपना सा लगेगा। ये एक दिल से जुड़ी, पूरी तरह सुकून देने वाला सफर है।”

स्टार प्लस ने कभी नीम नीम कभी शहद शहद का प्रोमो रिलीज़ कर दिया है, जो कथा की दुनिया की एक प्यारी और दिलचस्प झलक दिखाता है, जहां भावनाएं हैं, सादगी है और एक गहरा आध्यात्मिक जुड़ाव भी। प्रोमो में दिखाया गया है कि कथा को अपने मामा-मामी से कितना लगाव है, उसका प्रकृति से कितना गहरा रिश्ता है और कैसे उसमें एक अंदरूनी ताकत है जो उसे सबसे अलग बनाती है। पौधों की देखभाल वो जैसे अपने परिवार की तरह करती है और ज़िंदगी के मुश्किल फैसलों में भी वो ऊपरवाले के संकेतों पर भरोसा करती है। उसकी ये जर्नी दिल को छू लेने वाली और कई परतों से भरी हुई लगती है।

जैसे-जैसे शो कभी नीम नीम कभी शहद शहद अपनी शुरुआत के करीब पहुंच रहा है, ये साफ है कि ये सिर्फ एंटरटेनमेंट नहीं, बल्कि परंपरा, भावना और अपनापन से भरी ज़िंदगी की एक खूबसूरत झलक देने वाला है। क्या होता है जब आस्था टकराती है तक़दीर से? जब सादगी का सामना होता है उलझनों से? कथा की कहानी धीरे-धीरे खुलेगी… बड़े ही प्यार से।

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