मेडिकल जांच में पता चला मरीज़ को हेमोरेजिक स्ट्रोक, ब्रेन ब्लीड या रक्तस्रावी स्ट्रोक हुआ था
नवी मुंबई, दिव्यराष्ट्र/: 65 वर्ष के, पनवेल में रहने वाले नायर घर पर बेहोश होकर गिर गए, उन्हें पास ही के स्थानीय अस्पताल में ले जाया गया। मेडिकल जांच में पता चला कि मरीज़ को हेमोरेजिक स्ट्रोक, ब्रेन ब्लीड या रक्तस्रावी स्ट्रोक हुआ था। स्थानीय अस्पताल की मेडिकल टीम ने परिवार को बताया कि मरीज़ की तबियत में सुधार लाने के लिए कुछ भी करना उनके लिए मुमकिन नहीं था। परिवार के लिए यह बहुत बड़ा झटका था, वे इस स्थिति को स्वीकार करने को तैयार नहीं थे। उन्होंने मरीज़ को अपोलो हॉस्पिटल नवी मुंबई (एएचएनएम) में ले जाने का फैसला किया, जहां उन्नत देखभाल सुविधाएं उपलब्ध हैं।
अपोलो हॉस्पिटल नवी मुंबई में मेडिकल जांच से पता चला कि मरीज़ की हालत बहुत गंभीर थी और उनके ब्रेन में काफी चोट लगी थी। मरीज़ की हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था, इसलिए अपोलो हॉस्पिटल की मेडिकल टीम ने परिवार को उपलब्ध विकल्पों के बारे में बताया कि वे मरीज़ को सहायक देखभाल प्रदान करने के लिए दूसरे अस्पताल में ले जा सकते थे। उन्हें अंग दान के बारे में भी बताया गया।
नायर के बेटे ने कहा, “हम अपने पिता की स्थिति को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे, हम चाहते थे कि उन्हें जीवित रखें और उन्हें हमारे साथ रखने के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए तैयार थे। सच कहूं तो अगर वह हमारे साथ कोमाटोज अवस्था में भी रहते तो भी हमें कोई दिक्कत नहीं थी। लेकिन यह हम पर भावनात्मक रूप से भारी पड़ने लगा और हम अपने पिता के अंगों को दान करने की संभावना पर सोचने लगे और हमने सोचा कि हम लोगों की जान बचाएंगे। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे पिता दूसरों के ज़रिए जीवित रह सकते हैं और इस निर्णय से हमारे परिवार को बहुत राहत मिली। हमारे सभी परिवार सदस्यों ने अंग दान के हमारे निर्णय का समर्थन किया और हमने अपोलो टीम को अपनी सहमति दी। आज मैं सोचता हूं कि जिस तरह लोग अपनी वसीयत बनाते हैं या अपने अंतिम संस्कार की तैयारी करते हैं, उसी तरह हर किसी को भी अपनी मृत्यु से पहले अंगदान के लिए पंजीकरण कराने पर विचार करना चाहिए।”
अंगदान समय की मांग है। साल 2022 का अनुमान है कि, 1.5-2 लाख लोगों को हर साल किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होगी, लेकिन केवल लगभग 10,000 लोगों को किडनी ट्रांसप्लांट मिला है। इसके अलावा, 2022 में 3,000 से कम लिवर ट्रांसप्लांट और केवल 250 हार्ट ट्रांसप्लांट किए गए, जबकि 80,000 लोगों को लिवर ट्रांसप्लांट और 10,000 लोगों को हार्ट ट्रांसप्लांट की आवश्यकता है। किडनी, लिवर और हार्ट जैसे अंगों की आखरी चरण की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए महत्वपूर्ण है कि अंगदान के बारे में जागरूकता पैदा की जाएं और लोगों को अंगदाता बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाएं।
ज़ेडटीसीसी मुंबई के जनरल सेक्रेटरी डॉ. भरत शाह ने कहा,“अंगदान एकमात्र तरीका होता है जिससे अंतिम चरण की बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है। साथ ही दाता और उसके परिवार के लिए, यह एक सांत्वना है कि भले ही उनके प्रियजन की मृत्यु हो गई हो, लेकिन उनके जीवनदान की वजह से एक या अधिक व्यक्ति जीवित रह सकते हैं। भारत अंगदान के मामले में पश्चिमी देशों से बहुत पीछे है, यहां प्रति मिलियन जनसंख्या पर केवल 0.65 की दान दर है। श्री नायर के परिवार जैसे अंगदान के उदाहरण इस नेक काम के लिए अधिक जागरूकता पैदा करने में मदद करेंगे। कोई भी शव प्रत्यारोपण कार्यक्रम तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक कि अस्पतालों और समाज के बीच समयबद्ध समन्वय न हो और मैं अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई की सराहना करता हूं कि वे अपना प्रत्यारोपण कार्यक्रम सफलतापूर्वक चला रहे हैं।”
अपोलो हॉस्पिटल्स के पश्चिमी क्षेत्र के रीजनल सीईओ अरुणेश पुनेथा ने कहा,“हम नायर के परिवार के आभारी हैं कि उन्होंने अंगदान के इस नेक काम का समर्थन किया, जिससे दो मरीज़ों को नया जीवन मिला है – फोर्टिस हॉस्पिटल, मुंबई में 59 वर्षीय महिला और नानावटी मैक्स हॉस्पिटल, मुंबई में 55 वर्षीय पुरुष। अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई में एक प्रभावशाली प्रत्यारोपण कार्यक्रम है, जिसमें किडनी, लीवर, हृदय और साथ ही अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण की 650 से अधिक प्रत्यारोपण प्रक्रियाएं की गई हैं। हमारे प्रत्यारोपण क्लिनीशियन प्रत्यारोपण कार्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण हैं, साथ ही हमारे इमरजेंसी मेडिसिन, पल्मोनोलॉजिस्ट, इंटेंसिविस्ट, एनेस्थेसियोलॉजिस्ट, नर्सिंग टीम और रिहैब थेरेपिस्ट भी इस कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं”