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टोटल या पार्शियल: जानें नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के विकल्प

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जयपुर, दिव्यराष्ट्र/
आज के समय में घुटने में दर्द की समस्या काफी आम हो गई है। लगभग 95% मामलों में घुटने का अंदरूनी भाग बाहरी भाग की तुलना में तेजी से क्षतिग्रस्त होता है। ऐसे में स्थिति गंभीर होने पर नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की जरूरत पड़ती है। आजकल लोगों में नी रिप्लेसमेंट सर्जरी को लेकर कई तरह के सवाल और भ्रम की स्थिती भी रहती है। नारायणा हॉस्पिटल जयपुर के डॉ. अमित अग्रवाल – कंसल्टेंट ऑर्थोपेडिक्स, ज्वाइंट रिप्लेसमेंट एंड स्पोर्ट मेडिसिन ने, नी रिप्लेसमेंट सर्जरी से मिलने वाले परिणामों और यह किन-किन तरीकों से की जाती है इसके बारे में बताया ताकि लोग जागरूक रहें और दर्द ना सहे बल्कि डॉक्टर से परामर्श लें।

नी रिप्लेसमेंट सर्जरी करने के विभिन्न तरीके, उनके परिणाम व सावधानियां –

टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी

गंभीर गठिया या फिर घुटने की गंभीर चोट से पीड़ित लोगों को टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की जरूरत पड़ती है। इसमें गठिया या चोट से क्षतिग्रस्त हुए घुटने को बदलकर सही किया जाता है। इस सर्जरी में घुटने के जोड़ के साथ घुटने के जोड़ का निर्माण करने वाली हड्डियों के सिरों को ढकने के लिए मेटल और प्लास्टिक के भागों का प्रयोग किया जाता है। गंभीर ऑस्टियोआर्थराइटिस की बीमारी में भी नी रिप्लेसमेंट की आवश्यकता पड़ सकती है। सर्जरी में डॉक्टर जरुरी टेस्ट और अन्य जरुरी जांचों को करने के बाद घुटने के हिस्से में एक चीरा लगाते हैं और फिर घुटने के जोड़ के क्षतिग्रस्त भागों को हटाकर जोड़ में मेटल और प्लास्टिक से बने कृत्रिम अंग लगा देते हैं इसके बाद चीरे को सर्जिकल स्टेपल या टांके से बंद कर पट्टी से बांध दिया जाता है। सर्जरी के बाद आपको कुछ दिन फिजियोथेरेपी की भी सला दी जाती है।

आंशिक नी रिप्लेसमेंट-

आंशिक या पार्शियल नी रिप्लेसमेंट एक बेहद सरल प्रक्रिया है, जिसमें घुटनों के जोड़ों में आंशिक बदलाव करके पूरे घुटने के खराब होने की प्रक्रिया को धीमा किया जा सकता है। घुटने कई तरह के हिस्सों से मिलकर बने होते हैं और जब इन्हीं में से कोई एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाता है तब पार्शियल नी रिप्लेसमेंट की सलाह दी जाती है जिसे यूनिकम्पार्टमेंटल घुटना आर्थ्रोप्लास्टी भी कहा जाता है। क्षतिग्रस्त हिस्से को बदलने से मरीज अधिक सामान्य रूप से कार्य करने लगता है और उसका दर्द भी कम हो जाता है।

केस – डॉ. अमित अग्रवाल ने बताया कि ऐसा ही एक दुर्लभ केस नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर में हुआ जिसमें 70 साल के दोनों पति पत्नी का एक साथ नी रिप्लेसमेंट किया गया। पिछले कुछ 20 साल से दोनों दांपत्य इस दर्द से पीड़ित थे, पति चाहता था कि पत्नी का ऑपरेशन पहले हो जाए ताकि उसकी सेवा कर सकूं और बाद में मैं अपना ऑपरेशन करवाऊं, ठीक ऐसा ही पत्नी ने भी सोचा था। मेरे संपर्क में आने के बाद मेरे सुझाव से दोनों ने निर्णय किया की जब जिन्दगी के हर सुख दुःख साथ देखें हैं, तो अब इस यात्रा को भी साथ ही तय करेंगे। ऑपरेशन थिएटर में पहले पत्नी के दोनों नी रिप्लेसमेंट किए गए फिर एक ही दिन में उनके पति का भी बायां हिप और दायां नी रिप्लेसमेंट किया गया। इसमें सुव्यवस्थित अप्रोच के साथ पेशेंट की सर्जरी की गई जिससे पेशेंट को कम दर्द होता है और रिकवरी भी जल्दी हो जाती है। दोनों को आईसीयू ऑब्जरवेशन में भी साथ ही रखा गया और फिर एक ही कमरे में उनकी रिकवरी भी हुई। 5 दिन बाद दोनों को जब खुद से चल के हॉस्पिटल से जाते देखा तो, मैं और मेरी पूरी टीम भावुक हो गए।

नी रिप्लेसमेंट सर्जरी में बहुत ही सावधानी की जरूरत होती है, ऐसे में इसे ऐसे हॉस्पिटल में करवाना चाहिए जहां पर सभी सुविधाएं उपलब्ध हों जिससे आगे इन्फेक्शन का खतरा ना रहे।

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