मुंबई, फरवरी, 2025.
भारत में हर चार मिनट में एक महिला को ब्रेस्ट कैंसर का पता चलता है। यह एक गंभीर समस्या है, लेकिन यदि समय पर जांच हो जाए, तो इसका इलाज संभव है। हालांकि, एक सर्वे के अनुसार, भारत की 75% महिलाएं जांच करवाने से बचती हैं या इस पर ध्यान नहीं देतीं, जबकि 60% महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर के बारे में अपने परिवार या दोस्तों से चर्चा करने में झिझक महसूस करती हैं। इसी सोच को बदलने और महिलाओं को जागरूक करने के लिए टाटा ट्रस्ट्स ने ‘गाँठ पे ध्यान’ अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत महिलाओं को यह समझाने की कोशिश की गई है कि जैसे वे खाना बनाते समय उसमें गाँठ नहीं बनने देतीं, वैसे ही अपने स्वास्थ्य पर भी ध्यान दें। यह एक सरल लेकिन प्रभावी संदेश है, जो उन्हें आत्मनिरीक्षण और जागरूकता की ओर ले जाता है।
इस अभियान का एक अनोखा अंत ‘गाँठ पे ध्यान‘ कुकबुक के लॉन्च के साथ हुआ। यह केवल एक सामान्य रेसिपी बुक नहीं है, बल्कि इसके पीछे ‘हर रेसिपी के साथ बदलाव लाने’ का उद्देश्य छिपा है। यह कुकबुक ऑनलाइन उपलब्ध है और इसे मुफ्त में डाउनलोड किया जा सकता है। इसमें ऐसी खास रेसिपी शामिल की गई हैं, जिनमें स्वाभाविक रूप से गाँठ बनती है। इस पहल में भारत के कुछ प्रसिद्ध शेफ भी शामिल हुए, जो इस अभियान के एम्बेसडर बने। इनमें मास्टरशेफ शिप्रा खन्ना और संता सरमाह के साथ-साथ शेफ अनन्या बनर्जी, शैलजा ऐचुरी, प्रिया गुप्ता, वराप्रसाद कार्थियनी और लाइबा अशरफ जैसे नाम शामिल हैं। इस पहल के जरिए टाटा ट्रस्ट्स ने एक गंभीर विषय को सहज और व्यावहारिक तरीके से प्रस्तुत किया, जिससे महिलाएं बिना किसी हिचकिचाहट के अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दे सकें।
टाटा ट्रस्ट्स की शिल्पी घोष द्वारा संचालित एक पॉडकास्ट में इस कुकबुक की समीक्षा जानी-मानी न्यूट्रिशनिस्ट ऋजुता दिवेकर और अनुभवी ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. राजेंद्र बाडवे ने की। इस चर्चा में ब्रेस्ट कैंसर, महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण के आपसी संबंध को समझाने की कोशिश की गई। यह कुकबुक असल में ‘गाँठ पे ध्यान’ नाम की एक सामाजिक प्रयोग पर आधारित फिल्म का विस्तार है, जिसमें मशहूर शेफ संजीव कपूर भी शामिल रहे हैं। इस फिल्म को टाटा ट्रस्ट्स ने पिछले साल लॉन्च किया था और इसे देशभर के युवाओं और कामकाजी पेशेवरों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली थी।
अभियान के तहत एक और फिल्म भी बनाई गई, जिसमें मुंबई की महिला स्ट्रीट फूड वेंडर्स ने दूसरी महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर का जल्दी पता लगाने और नियमित रूप से खुद की जांच करने के लिए प्रेरित किया। इस फिल्म से यह भी पता चला कि कई महिलाएं यह नहीं जानतीं कि स्तनों में गाँठ बनना कैंसर का संकेत हो सकता है, जबकि वे सिर्फ इतना समझती हैं कि खाने में गाँठ नहीं होनी चाहिए। इस जागरूकता अभियान को मुंबई के टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल और अन्य अस्पतालों के डॉक्टरों का समर्थन मिला। इसके अलावा, ट्रस्ट ने कई कंपनियों में भी ब्रेस्ट कैंसर पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए और जांच के लिए शिविर लगाए, ताकि उन मामलों का भी पता चल सके, जिनकी पहचान सामान्य परिस्थितियों में नहीं हो पाती।
‘गाँठ पे ध्यान’ अभियान को न केवल भारत बल्कि दुनियाभर में सराहा गया है। इसे प्रोवोक के ग्लोबल क्रिएटिव इंडेक्स 2024 में दूसरा स्थान मिला, जो इसकी प्रभावशीलता और रचनात्मकता को साबित करता है।