Home एजुकेशन पुस्तकें पढ़ेंगे तभी आगे बढ़ेंगे, शिक्षा के बिना ​विकास नहीं : प्रो.अविनाश

पुस्तकें पढ़ेंगे तभी आगे बढ़ेंगे, शिक्षा के बिना ​विकास नहीं : प्रो.अविनाश

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युवाओं को कौशल व शिक्षा में सशक्त बनाकर पैदा करें रोजगार के अवसर
शेखावाटी विश्वविद्यालय में ‘विज़न 2047 : विकसित भारत के लिए समग्र प्रबंधन’ पर राष्ट्रीय कार्यशाला

सीकर। दिव्यराष्ट्र/पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय, सीकर में ‘विजन 2047 : विकसित भारत के लिए समग्र प्रबंधन’ विषय पर चल रही दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला मंगलवार को संपन्न हुई। कार्यशाला के दौरान विभिन्न तकनीकी सत्रों में प्रतिभागियों और अतिथियों ने ‘विकसित भारत’ के विचार को जमीनी स्तर पर उतारने के उपायों पर चर्चा की। प्रारंभ में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) अनिल कुमार राय ने अतिथियों का स्वागत किया।

कार्यशाला के की—नोट स्पीकर प्रो. अविनाश डी. पाथर्डिकर, मानव संसाधन विकास विभाग, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर और प्रो. पवनेश कुमार, प्रबंधन अध्ययन संस्थान, इग्नू, नई दिल्ली ने जोर दिया कि विकसित भारत के विजन को साकार करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। युवाओं को कौशल एवं शिक्षा के साथ सशक्त बनाना और रोजगार के अधिक अवसर पैदा करना प्राथमिकता होनी चाहिए। प्रो. अविनाश ने विद्यार्थियों से कहा कि पुस्तकें पढ़ेंगे तो ही आगे बढ़ेंगे। बिना शिक्षा के ​विकास संभव नहीं है। भारत की समृद्ध ज्ञान और परम्परा में ही समस्याओं के सूत्र भी दिए गए है, जिनसे उनका निदान संभव है। उन्होंने कहा कि भारत का विकास केवल तकनीकी और आर्थिक प्रगति तक सीमित नहीं है, बल्कि उसमें भारतीय संस्कृति, परंपरा और मूल्यों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
प्रो. पवनेश कुमार ने कहा कि किसी भी काम को करने के लिए इंटेशन इज मोर इम्पोरटेंट। लीडर वह होता है जो सबको साथ लेकर चलें और हमेशा धैर्य रखें। तभी वह सफल बन पाता है। उन्होंने कहा कि भारत की आत्मा उसकी परंपरा में है। यदि हम 2047 तक विकसित भारत देखना चाहते हैं, तो हमें अपने सांस्कृतिक जड़ों को आधार और मजबूत बनाकर आधुनिकता को अपनाना होगा। उन्होंने नवाचार और पारंपरिक ज्ञान को एक साथ जोड़ते हुए विचार प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम की विशेष अतिथि जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर इंडिया, गुरुग्राम की इंस्टिट्यूशनल बिजनेस प्रमुख डॉ. नीतू जायसवाल ने मार्केटिंग विषय पर अपना प्रजेंटेशन दिया। उन्होंने विभिन्न उत्पादों के उदाहरण देते हुए कहा कि उपभोक्ता एक प्रकार का राजा होता है, उसकी हर बात सुननी पड़ती है। किसी भी प्रोडक्ट के लिए उपभोक्ता सबसे अहम है, इ​सलिए उसके बिना वह प्रोडक्ट विकास नहीं कर सकता।
समग्र प्रबंधन के महत्व पर चर्चा करना उद्देश्य
कुलपति प्रो. (डॉ.) अनिल कुमार राय ने कार्यशाला के सफल आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम विद्यार्थियों में जागरूकता, नेतृत्व और प्रबंधन क्षमता का विकास करते हैं। कार्यशाला का उद्देश्य भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने के विजन को साकार करने के लिए समग्र प्रबंधन के महत्व पर चर्चा करना था।
इस अवसर पर कुलसचिव श्वेता यादव, निदेशक (अकादमिक, शोध, खेल) डॉ. राजेंद्र सिंह, उप कुलसचिव (संबद्धता) डॉ. रविंद्र कटेवा, सहायक कुलसचिव ( परीक्षा) डॉ. संजीव कुमार, डॉ. महेश गुप्ता (मीडिया), डॉ.बीएस राठौड़, डॉ आरएस चुंडावत समेत कई फेकल्टी मैंबर्स, शोधार्थी और स्टूडेंट्स मौजूद रहे। संचालन स्टूडेंट सुरभि शुक्ला ने किया।

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