जयपुर : दिव्यराष्ट्र/, जयपुर स्थित गैर-लाभकारी संस्था विमुक्ति द्वारा वार्षिक उत्सव का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य शहरी झुग्गी बस्तियों में रहने वाली बालिकाओं को उच्च गुणवत्ता वाली मुफ्त शिक्षा और करियर विकास के अवसर प्रदान करना है। एजु-गर्ल्स (यू.एस.ए.) के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम ने समाज के उन अनदेखे पहलुओं पर प्रकाश डाला, जो बेटियों को आर्थिक रूप से सक्षम और स्वावलंबी बनाने के लिए सतत प्रयासरत हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत “कभी बेटी को जीवन में नज़रअंदाज़ मत करना, पंख खोलोगे तो आसमान छू लेगी” जैसी प्रेरणादायक पंक्तियों के साथ हुई। इस वर्ष का थीम था “लड़की हो, क्या करोगी?”, जो समाज में बेटियों की क्षमताओं और उनके सपनों को उड़ान देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
संस्था की छात्राओं ने गणेश वंदना और दुर्गा वंदना के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत की। इसके बाद विभिन्न मनमोहक प्रस्तुतियों ने दर्शकों का दिल जीत लिया। संस्था की फाउंडर लवलीना सोगानी ने बताया कि विमुक्ति न केवल शिक्षा प्रदान करती है, बल्कि इन बच्चियों को वोकेशनल कोर्सेस और करियर के अन्य क्षेत्रों में भी प्रशिक्षित करती है। आज ये बच्चियां प्रतिष्ठित स्थानों पर रोजगार प्राप्त कर रही हैं, जिनमें रामबाग जैसे प्रसिद्ध होटल भी शामिल हैं।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और चेयरपर्सन श्री शैलेन्द्र अग्रवाल ने बताया, “इन बच्चियों ने जिस तरह सीमित संसाधनों और तमाम मुश्किलों के बावजूद शिक्षा, खेल और व्यावसायिक प्रशिक्षण के क्षेत्र में सफलता हासिल की है, वह सराहनीय है। बीस साल पहले एक छोटे से प्रयास के रूप में शुरू हुआ यह स्कूल आज एक ऐसा वटवृक्ष बन गया है, जिसकी छांव में इन बच्चियों के सपने आकार ले रहे हैं।”
कार्यक्रम में संस्था के अन्य प्रमुख बोर्ड मेंबर्स सुधीर माथुर, ऋतु ओबेरॉय, ईशा स्वरूप, मनीषा गौतम, पुनीता तनेजा, सुमित शर्मा, श्यामा माथुर, दीपक भटनागर, सुचित्रा प्रकाश, और ज्योति दीक्षित ने भी अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
इस अवसर पर संस्था की प्रतिभावान छात्राओं को विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें एकेडमिक टॉपर, आर्टिस्ट ऑफ विमुक्ति, आल-राउंडर, स्टूडेंट ऑफ द ईयर, और चैंपियन ऑफ विमुक्ति जैसी कैटेगरी शामिल थीं।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में “सपनों की उड़ान” पर आधारित नृत्य-नाटिका ने बालिका शिक्षा और उनके आत्मनिर्भर बनने के महत्व को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया। इन प्रस्तुतियों ने दर्शकों को यह एहसास कराया कि यदि बालिकाओं को सही अवसर और दिशा मिले, तो वे समाज और देश की तरक्की में अपना अनमोल योगदान दे सकती हैं।
विमुक्ति संस्था का यह वार्षिक उत्सव न केवल प्रेरणा का स्रोत बना, बल्कि इसने यह भी संदेश दिया कि “शिक्षा ही सशक्तिकरण का आधार है।”