जयपुर/दिव्यराष्ट्र। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को जयपुर में ‘द कुलिश स्कूल’ का उद्घाटन और राजस्थान पत्रिका के संस्थापक कर्पूर चन्द्र कुलिश की प्रतिमा का अनावरण किया। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने इस मौके पर ज्ञान को सबसे बड़ा धन तथा शिक्षा को सबसे बड़ा दान और समाज में बदलाव का सबसे प्रभावी माध्यम बताया। इस अवसर पर राजस्थान पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने कहा कि शिक्षा शरीर व आत्मा के बीच संतुलन का कार्य करती है और जीवन में शिक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण कोई नहीं है।
उपराष्ट्रपति धनखड़ व कोठारी ने इस मौके पर आयोजित समारोह में विद्यार्थियों, अभिभावकों, शिक्षकों और अन्य अतिथियों को संबोधित किया। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने अपने जीवन में स्कूल में मिले संस्कारों का महत्व बताते हुए कहा कि “मेरा जन्म भले किठाना गांव में हुआ, लेकिन असली जन्म सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ में हुआ।” उन्होंने कहा कि हमारी पांच हजार साल पुरानी संस्कृति में शिक्षा के महत्व पर विशेष ध्यान दिया गया। इसी तरह संविधान की मूलप्रति के भाग 2 में गुरुकुल और भाग 4 में कुरुक्षेत्र में श्री कृष्ण के गीता उपदेश का प्रसंग के चित्र, संविधान सभा द्वारा शिक्षा को दिए गए महत्व को दर्शाते हैं।
शिक्षा ही असमानता मिटाने का साधन—
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि शिक्षा ही समाज मे समानता लाने और असमानता मिटाने का साधन हो सकती है। इसके अलावा बदलाव का कोई और रास्ता नहीं हो सकता है। शिक्षा में अपना स्थान बनाने वाले ही हर क्षेत्र में नेतृत्व कर रहे हैं। ऐसे में सभी को शिक्षा व स्वास्थ्य के लिए अपने योगदान की आहुति देनी होगी। साथ ही, सरकारी तंत्र, सरकारी नीतियां और सरकारी व्यवस्था कुछ इस प्रकार का वातावरण पैदा करें, जिससे हर व्यक्ति को अपनी प्रतिभा चमकाने और सपने पूरा करने का अवसर मिल सके।
समृद्ध हो रही अर्थव्यवस्था—
उपराष्ट्रपति ने भारत की बढ़ती आर्थिक क्षमता की चर्चा करते हुए कहा कि जब 1989 में पहली बार लोकसभा का सदस्य बना तो हमारी अर्थव्यवस्था की ताकत लंदन शहर से भी कम थी। आज हम विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं, हमने यूके को पीछे छोड़ दिया। आने वाले सालों में हम जापान-जर्मनी को पीछे छोड़ देंगे।
सबके ऊपर प्राइस टैग लग गए—
पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने मौजूदा शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि हमारी शिक्षा ने हमें अंग्रेज बना दिया और बेरोजगारी बढ़ने का मूल कारण भी शिक्षा ही है। सबको सरकारी नौकरी चाहिए, क्योंकि वहां कच्चा-पक्का सब चलता है। निजी क्षेत्र में ऐसा नहीं चलता। कोठारी ने कहा कि आज हम उपभोक्ता सामग्री बन गए है, सबके ऊपर प्राइस टैग लग गए हैं। उन्होंने कहा कि आज संयुक्त परिवार टूट रहे हैं, मां-बाप के पास बच्चों के लिए समय नहीं है। बच्चों को स्कूल और मोबाइल के भरोसे छोड़ दिया गया है। बच्चों को ऐसा बनाना होगा कि वे समाज को कुछ देने लायक बनें, उन्हें समाज से लेने के लिए तैयार नहीं करें।