दिव्यराष्ट्र, जयपुर: हाल ही में ओरेंज ट्री फाउन्डेशन द्वारा जारी एक रिपोर्ट ‘बिजली की आपूर्ति की उपलब्धता और गुणवत्ता को समझना (अंडरस्टैंडिंग द अवेलेबिलिटी एण्ड क्वालिटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई)’ राजस्थान के ग्रामीण एवं शहरी इलाकों में बिजली की आपूर्ति में मौजूद असमानता पर रोशनी डालती है। जहां एक ओर भारत के 100 फीसदी इलाकों में बिजली पहुंचाई जा चुकी है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश के ग्रामीण परिवार आज भी बिजली की भरोसेमंद आपूर्ति से वंचित हैं। रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में तकरीबन 30 फीसदी ग्रामीण परिवारों को दिन भर में 12 घण्टे से भी कम समय के लिए बिजली मिलती है, जबकि शहरी इलाकों को ऐसी मुश्किलों का सामना कम करना पड़ता है।
बिजली की आपूर्ति में सबसे बड़ी चुनौती है ग्रामीण क्षेत्रों में लगाए जाने वाले छोटे आकार के ट्रांसफॉर्मर। हालांकि बिजली के वितरण में नुकसान को कम करने के लिए छोटे ट्रांसफॉर्मर का उपयोग कर 11 किलोवॉट लाईन के विस्तार का प्रावधान दिया गया है, लेकिन वास्तविकता यह है कि इससे लम्बी अवधि में लागत बढ़ जाती है। छोटे ट्रांसफॉर्मर, विशेष रूप से एल्युमीनियम वाइंडिंग वाले ट्रांसफार्मर के फेल होने की संभावना अधिक होती है और ये औसतन 3-4 साल तक ही चलते हैं। यह वितरण ट्रांसफार्मर के अपेक्षित 25-वर्षीय जीवन काल से बहुत कम है, जिससे उपभोक्ताओं के लिए लागत बढ़ जाती है और ग्रामीण क्षेत्रों में बार-बार बिजली गुल हो जाती है।
श्री एल एन नीमावत, रिटायर्ड सीई एवं समता पावर के सदस्य ने राज्य की इस समस्या को जल्द से जल्द हल करने की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए कहा, ‘‘ग्रामीण परिवारों को भी शहरों की तरह भरोसेमंद और अच्छी गुणवत्ता की बिजली मिलनी चाहिए। ट्रांसफॉर्मर फेलियर और वोल्टेज जैसी समस्याओं को जल्द से जल्द हल करने की ज़रूरत है। हमें लंबा चलने वाले कॉपर वाइंडिंग ट्रांसफॉर्मर्स के उपयोग को प्राथमिकता देनी चाहिए और साथ ही बिजली चोरी को रोकने के लिए बेहतर निगरानी एवं आधुनिक तकनीकें अपनानी चाहिए। ऐसा करके हम अपने उपकरणों को फेल होने से बचा सकते हैं और गांवों में बिजली की भरोसेमंद आपूर्ति में भी सुधार कर सकते हैं, जहां अक्सर लोगों को बिजली के संकट से जूझना पड़ता है।’
बिजली के वितरण में सुधार लाने के लिए कॉपर और एलुमिनियम वाइंडिंग वाले ट्रांसफॉमर्स पर वाद-विवाद होता रहा है। ओवरहीटिंग या ओवरलोड के मामले में एलुमिनियम वाइंडिंग वाले ट्रांसफॉर्मर के फेल होने की संभावना अधिक होती है। वहीं कॉपर वाइंडिंग वाले ट्रांसफॉर्मर अधिक टिकाऊ और भरोसेमंद होते हैं, ये लम्बे चलते हैं। भारत के कई राज्य पहले से एलुमिनियम वाइंडिंग वाले छोटे ट्रांसफॉर्मर्स के बजाए कॉपर वाइंडिंग वाले ड्राय-टाईप ट्रांसफॉर्मर की ओर रूख कर चुके हैं जो अधिक स्थायी और भरोसेमंद बिजली की आपूर्ति को सुनिश्चित करते हैं।
इस समस्या को हल करने के लिए राजस्थान के डिस्कॉम्स को काम करना होगा। आधुनिक मॉनिटरिंग तकनीकों, चोरी की रोकथाम और बेहतर गुणवत्ता के इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपनाकर कर ग्रामीण इलाकों में बिजली की आपूर्ति को भरोसेमंद बनाया जा सकता है। सरकार और बिजली कंपनियों को एक साथ मिलकर ऐसे समाधान लाने होंगे जो शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में बिजली की एक समान उपलब्धता को सुनिश्चित कर सकें।