(दिव्य राष्ट्र के लिए -कुलदीप दाधीच)
लेखक और शिक्षक कुलदीप दाधीच का कहना है, कि आज के इस मॉडर्न जमाने में विद्यार्थियों का पुस्तकों से लगाव हटकर मोबाइल्स की ओर बढ़ रहा है, बार-बार मोबाइल्स चेक करना एक बीमारी -सी हो गई है। जिसके कारण विद्यार्थियों का ध्यान पढ़ाई से पूरी तरह हटकर मोबाइल्स पर आ गया है, इसे अंग्रेजी में इंफोमेनिया कहते है, इंफोमेनिया का अर्थ है- मोबाइल्स पर बार-बार नोटिफिकेशन चेक करने की लत, बार-बार मोबाइल छेड़ने की लत इन्फ़ोमेनिया कहलाती है, यहाँ का अर्थ- इनफॉर्मेशन और मेनिया का अर्थ- पागलपन है। विद्यार्थियों का मोबाइल्स से लगाव जितना बढ़ता चला जाएगा, उतना ही उनका शुद्ध ज्ञान, मानसिक शांति और नींद कम होती चली जाएगी।
क्योंकि मोबाइल की दुनिया इतनी विस्तृत है, कि मोबाइल चलाने वाले को पता ही नहीं चल पाता, कि उसका समय कहाँ जा रहा है, व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और कई अन्य तरह के सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म युवाओं को अपने जाल में फँसाए चले जा रहें हैं। और समय बीतता जा रहा है, सफलता दूर-दूर तक दिखाई नहीं पड़ रही है, हर-रोज विद्यार्थियों को पछतावा हो रहा है कि, आज का दिन भी यूहीं गया। हमारी पुस्तकों से जितनी दूरी होती चली जाएगी, उतनी ही समाज में विद्वानों की संख्या ही खत्म होती चली जाएगी, विश्वसनीय पुस्तकें जो ज्ञान दे सकती हैं, वो मोबाइल नहीं दे सकता, क्योंकि मोबाइल एक ऐसा प्लेटफार्म है, जिसमें ज्ञान बाँटने की हर किसी को छूट है, कोई भी कुछ भी बोल जाता है, वीडियो डाल देता है, कोई रोक -टोक नहीं है।
आजकल मोबाइल्स पर लोग केवल अपने सब्सक्राइबर्स बढ़ाने के लिए, खुद को हाईलाइट करने के लिए कुछ भी मोबाइल्स पर डाल देते हैं। जिससे युवाओं का ब्रेनवॉश हो रहा है। युवा गलत जानकारी की चपेट में आ रहें हैं। ज्ञान का मजाक बन गया है। क्योंकि झूठा ज्ञान बड़ी तेजी से वायरल हो रहा है। लोगों को झूठ और सच के भेद का पता ही नहीं चल पा रहा है, क्योंकि मोबाइल्स पर तरह-तरह की सूचनाएँ हमें भ्रमित कर रही हैं।
विद्यार्थियों के लिए कुछ सुझाव-
1. विश्वसनीय पुस्तकों से जानकारी जुटायें, मोबाइल्स से नहीं।
2. सुबह मानसिक शांति और ऊर्जा के लिए योग, प्राणायाम और मैडिटेशन अवश्य करें।
3. सच्चे गुरु से जुड़ें रहें, पढ़ने को रोज की आदत का हिस्सा बनायें।
4. घर में एक लाइब्रेरी बना लें, पुस्तकें पढ़ने का आनंद लें ।
5. मोबाइल को ज्यादा प्राथमिकता न दें